BHOPAL. आज देशभर में बुद्ध पूर्णिमा ( Buddha Purnima ) का त्योहार मनाया जा रहा है। बुद्ध पूर्णिमा मुख्य रूप से बौद्ध धर्म के संस्थापक भगवान गौतम बुद्ध ( Lord Gautam Buddha ) को समर्पित है। सनानत धर्म की मान्यताओं के अनुसार, गौतम बुद्ध को भगवान विष्णु ( Lord Vishnu ) का नौवां अवतार माना गया है। वहीं, पूर्णिमा तिथि पर चंद्रमा अपनी 16 कलाओं से पूर्ण होता है। इसलिए भगवान विष्णु की विधिवत पूजा और चंद्रदेव को अर्घ्य देने से जीवन की हर बाधा को दूर किया जा सकता है। आइए आपको बुद्ध पूर्णिमा के कुछ दिव्य उपाय बताते हैं।
बुद्ध पूर्णिमा के दिव्य उपाय
1. अगर आपकी कुंडली में चंद्रमा की स्थिति अशुभ या कमजोर है तो बुद्ध पूर्णिमा पर इसे एक सरल उपाय से दूर किया जा सकता है। चन्द्रमा को मजबूत बनाने के लिए भगवान शिव की उपासना सबसे ज्यादा फलदायी होती है। इसलिए बुद्ध पूर्णिमा पर शिव मंत्र का अधिक से अधिक जाप करें। चाहें तो पूर्णिमा का उपवास भी रख सकते हैं।
2. कुंडली में चंद्रमा की स्थिति को मजबूत बनाने के लिए बुद्ध पूर्णिमा पर अंगुली में मोती धारण करें। इसे पहनने के बाद गरीब या जरूरतमंदों को दान जरूर करें। अंगुली में मोती धारण करने के लिए ज्योतिषविदों की सलाह जरूर लें।
3. बुद्ध पूर्णिमा पर सुबह स्नानादि के बाद सफेद वस्तुओं का दान जरूर करें। विशेषकर खीर का दान करना बहुत ही उत्तम माना जाता है। शिव मंदिर में भी दान करने से लाभ मिलेगा। इससे घर में सुख-संपन्नता बढ़ेगी।
4. संध्याकाल में जल में सुगंध डालकर स्नान करें। भगवान शिव को सफेद फूल अर्पित करें। उन्हें सफेद वस्तुओं का भोग लगाएं। पहले शिवजी और फिर फिर चन्द्रमा के मंत्रों का जाप करें। पूजा के बाद जल में सफेद फूल डालकर चन्द्रमा को अर्घ्य दें।
5. बुद्ध पूर्णिमा पर सुबह विष्णु पूजन के बाद पानी से भरा घड़ा और पकवान आदि का दान करें. कहते हैं कि इस दिन मिट्टी के घड़े का दान गौदान के समान होता है। इस दिन पीले वस्त्र, पंखा, चप्पल, छतरी, अनाज या फल का दान करने से पितृगण प्रसन्न होते हैं।
बुद्ध पूर्णिमा पर चमत्कारी मंत्रों का जाप
- ॐ श्रां श्रीं श्रौं सः चन्द्रमसे नमः
- ॐ सोम सोमाय नमः
- ॐ ह्रीं श्रीं लक्ष्मीवासुदेवाय नमः
- ॐ चन्द्रशेखराय नमः
बौद्ध धर्म के अनुयायियों का सबसे बड़ा त्यौहार
बुद्ध पूर्णिमा बौद्ध धर्म के अनुयायियों का सबसे बड़ा त्यौहार है। इस दिन भगवान बुद्ध का जन्मदिन बहुत धूमधाम से मनाया जाता है। बौद्ध धर्म को मानने वाले लोग इस दिन कई तरह के समारोह आयोजित करते हैं, दुनियाभर में फैले बौद्ध धर्म के अनुयायी इस दिन को अपने-अपने तरीके से मनाते हैं। बौद्ध धर्म दुनिया का प्राचीन धर्म में से एक है, जो आज के समय में दुनिया के प्रमुख धर्म में से एक है। इस धर्म की स्थापना भगवान बुद्ध ने 2600 साल पहले किया था। भगवान बुद्ध का जन्म ईसा पूर्व 536 और मृत्यु ईसा पूर्व 483 को माना जाता है। दुनियाभर में बौद्ध धर्म को मानने वाले चीन, कोरिया, जापान, थाईलैंड, श्रीलंका, कंबोडिया, नेपाल, भारत और भूटान जैसे कई देशों में हैं। बुद्ध पूर्णिमा के इस खास अवसर पर चलिए भगवान बुद्ध और इस धर्म से जुड़ी कुछ रोचक बातों के बारे में जानते हैं।
भगवान बुद्ध और बौद्ध धर्म से जुड़ी खास बातें
1. गौतम बुद्ध की मृत्यु के बाद उनके अनुयायियों ने उनके शरीर को 8 भागों में बांट कर उनपर आठ स्तूपों का निर्माण करवाया था।2. भगवान बुद्ध का असली नाम सिद्धार्थ गौतम था, जिसमें बुद्ध उनके लिए सम्मान जनक उपाधि है। बुद्ध या भगवान बुद्धकोई व्यक्तिगत नाम नहीं है।
3. बौद्ध धर्म की कोई एक ग्रंथ नहीं है, बल्कि इस धर्म में अनेकों धर्म ग्रंथ हैं, जिसे कोई भी व्यक्ति अपने पूरे जीवन काल में नहीं पढ़ सकता। बौद्ध धर्म के सभी महत्वपूर्ण ग्रंथों में सबसे जरूरी त्रिपिटक ग्रंथ को माना गया है।
4. भगवान बुद्ध का जन्म भारत में नहीं बल्कि नेपाल के लुम्बिनी में वैशाख पूर्णिमा के दिन एक बगीचे में हुआ था।
बौद्ध धर्म अन्य धर्म की तरह किसी व्यक्ति को एक निर्माता, भगवान या देवता में विश्वास नहीं रखता।
5. बौद्ध धर्म तीन मौलिक अवधारणाओं पर विश्वास रखता है जो कि इस प्रकार से है, पहला कुछ भी स्थायी नहीं है, दूसरा सभी कार्यों के परिणाम होते हैं और तीसरा इसे बदलना संभव है।
6. भूटान, कंबोडिया, श्रीलंका, थाईलैंड, लाओस और म्यांमार दुनिया के वह 6 देश हैं, जिन्हें बौद्ध राष्ट्र कहा गया है। वहीं मंगोलिया, चीन, काल्मिकिया दुनिया के वे देश हैं, जिन्हें आधिकारिक रूप से बौद्ध राष्ट्र नहीं कहा गया है, लेकिन ये देश बौद्ध धर्म का समर्थन करते हैं साथ ही बौद्ध धर्म का प्रचार प्रसार भी करते हैं।
7. भगवान बुद्ध की पहली मूर्ति मथुरा कला के अंतर्गत बनी थी। मथुरा कला में सबसे ज्यादा बुद्ध की मूर्तियों का निर्माण गांधार शैली के अंतर्गत किया गया था।
8. बौद्ध धर्म दुनिया का पहला विश्व धर्म और पहला प्रचारक धर्म भी था, जो अपने मूल स्थान से दूर-दूर तक पूरी दुनिया में फैल गया।