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NEW DELHI. बजट में सिगरेट पर राष्ट्रीय आपदा आकस्मिक शुल्क (NCCD) को 16 फीसदी तक बढ़ा दिया गया है। इसका मतलब हुआ कि सिगरेट महंगी होने वाली हैं। बीते 2 साल से सिगरेट की ड्यूटी में कोई बदलाव नहीं किया था। महिला और बाल कल्याण के लिए काम कर रहे विभिन्न संगठनों ने आम बजट से पहले वित्त मंत्री को इस बारे में पत्र लिखा था।
वित्त मंत्री से संगठनों की ये थी अपील
महिला एवं बाल अधिकार संगठन (WCRO) की संयोजक और वकील वर्षा देशपांडे ने लैटर में टैक्स बढ़ाने की अपील की थी। उन्होंने पत्र में कहा था कि टैक्स बढ़ाने से तंबाकू उत्पाद महंगे हो जाएंगे। इससे महिलाएं और युवतियां तंबाकू उत्पादों के सेवन को लेकर हतोत्साहित होंगी। नतीजतन उन्हें तंबाकू से संबंधित बीमारियों से बचाया जा सकेगा। WCRO समुदाय आधारित संगठनों का एक गठबंधन है। यह देश के 8 राज्यों राजस्थान, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, ओडिशा, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, पश्चिम बंगाल, पुडुचेरी और चंडीगढ़ जैसे केंद्र शासित प्रदेशों में तंबाकू नियंत्रण समेत महिलाओं और बच्चों के स्वास्थ्य के लिए काम कर रहा है।
सिगरेट पर टैक्स क्यों?
भारत में तंबाकू की खपत के कारण स्वास्थ्य देखभाल का बोझ सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का करीब 1.04% है। इसके कारण कई लोगों को गरीबी का सामना करना पड़ रहा है। एक्सपर्ट्स की मानें तो रेवेन्यू लाने के लिए तंबाकू पर टैक्सेशन एक प्रभावी उपकरण है। वहीं, भारत उन 182 देशों में शामिल है, जिन्होंने तंबाकू नियंत्रण पर डब्ल्यूएचओ फ्रेमवर्क कन्वेंशन पर दस्तखत किए हैं, जिसमें सभी तंबाकू प्रोडक्ट्स के फुटकर मूल्य पर कम से कम 75% टैक्स की सिफारिश की गई है। हालांकि, भारत में सिगरेट पर 52.7%, बीड़ी पर 22% और चबाने वाले तंबाकू पर 63.8% टैक्स है।
संसद की स्थायी समिति ने क्या कहा था?
संसद की स्थायी समिति ने सिंगल सिगरेट बेचने पर रोक लगाने की सिफारिश की है। समिति ने तर्क दिया था कि इससे टोबैगो कंट्रोल कैंपेन प्रभावित हो रहा है। समिति ने रिपोर्ट में बताया था कि देश मे GST लागू होने के बाद भी तंबाकू उत्पादों पर टैक्स में ज्यादा बढ़ोतरी नहीं हुई। समिति ने IARC की रिपोर्ट का हवाला देते हुए बताया था कि अल्कोहल और तंबाकू का सेवन करने से कैंसर की आशंका बढ़ती है।
सिगरेट से भारत में हर साल 3.5 लाख लोगों की मौत
एक रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में हर साल सिगरेट पीने के असर से 3.5 लाख लोगों की मौत हो जाती है। अमेरिका में यह संख्या 4.8 लाख के आसपास है। सिगरेट से मौत की प्रमुख वजह निकोटिन की ज्यादा मात्रा होना है। 2018 में नेशनल काउंसिल ऑफ एप्लायड इकोनॉमिक रिसर्च के सर्वे के मुताबिक, स्मोकिंग करने वाले 46% लोग अशिक्षित, जबकि 16% कॉलेज जाने वाले स्टूडेंट हैं। फाउंडेशन फॉर स्मोक फ्री वर्ल्ड की रिपोर्ट कहती है कि भारत में हर साल करीब 6.6 करोड़ लोग सिगरेट पीते हैं, जबकि 26 करोड़ से ज्यादा लोग अन्य तंबाकू प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल करते हैं। भारत में करीब 21% लोगों में तंबाकू उपयोग की वजह से कैंसर होता है।
लैंसेट जर्नल ने 2022 में एक रिपोर्ट में कहा था कि सिगरेट पीने से 56 तरह की बीमारियां होती है। इनमें कैंसर, ब्रेन स्ट्रोक्स, नपुंसकता अहम है। इस रिपोर्ट के मुताबिक, दुनिया में स्मोकिंग करने वाले 40% लोग चीन में रहते हैं।
भारत में सिगरेट को लेकर ये कानून
- पब्लिक प्लेस सिगरेट पीने पर पाबंदी है। नियम तोड़ने पर 200 रुपए तक का जुर्माना हो सकता है। होटल, रेस्तरां, सिनेमा हॉल, मॉल के मालिकों को 60x30 सेमी बोर्ड पर 'नो स्मोकिंग' लिखकर लगाना होगा।
1880 में पहली बार आई हाथ से बनी सिगरेट
अमेरिका के उत्तरी कैरोलाइना शहर में जेम्स बुकानन ड्यूक नामक शख्स ने 1880 में पहली बार हाथ से बनी सिगरेट को मार्केट में उतारा। इस सिगरेट की लोकप्रियता धीरे-धीरे बढ़ती गई। 1990 में सिगरेट पीने वालों की संख्या वर्ल्ड वाइड 99 करोड़ हो गई थी।