उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर जिले के खुर्जा शहर में 50 साल पुराने एक बंद पड़े मंदिर को लेकर हिंदू संगठनों ने जिला प्रशासन से जीर्णोद्धार और धार्मिक गतिविधियों को फिर से शुरू करने की मांग की है। विश्व हिंदू परिषद (विहिप) और जाटव विकास मंच ने इस मुद्दे को उठाते हुए मंदिर को फिर से पूजा-अर्चना के लिए खोलने का अनुरोध किया है।
1990 के दंगों के बाद से बंद है मंदिर
खुर्जा के सलमा हाकन मोहल्ले में स्थित यह मंदिर वर्ष 1990 के दंगों के बाद से बंद है। दंगों के चलते इलाके से हिंदू परिवारों के पलायन के बाद से मंदिर की पूजा गतिविधियां बंद हो गई थीं। जाटव समुदाय द्वारा बनाए गए इस मंदिर की स्थिति को लेकर अब धार्मिक संगठनों ने प्रशासन से हस्तक्षेप की मांग की है।
विहिप और जाटव विकास मंच का कदम
विहिप के मेरठ प्रांत के पदाधिकारी सुनील सोलंकी ने कहा कि मंदिर की साफ-सफाई और सौंदर्यीकरण कर पूजा शुरू की जानी चाहिए। जाटव विकास मंच के अध्यक्ष कैलाश भागमल गौतम ने कहा कि मंदिर समुदाय की धार्मिक पहचान का प्रतीक है, और इसे फिर से जीवंत करना जरूरी है। दोनों संगठनों ने मिलकर प्रशासन को ज्ञापन सौंपा है।
प्रशासन की प्रतिक्रिया
खुर्जा के एसडीएम दुर्गेश सिंह ने मंदिर की उपस्थिति की पुष्टि करते हुए बताया कि जाटव समुदाय ने मंदिर का निर्माण किया था। पलायन के बाद मंदिर की मूर्तियों को कथित तौर पर पास की नदी में विसर्जित कर दिया गया। उन्होंने कहा कि मंदिर की संरचना अभी भी बरकरार है और इस स्थल को लेकर कोई विवाद नहीं है।
1990 के दंगों की छाया
मंदिर का बंद होना 1990 के दंगों के बाद क्षेत्र में हिंदू समुदाय के पलायन से जुड़ा है। इस घटना के बाद मंदिर की पूजा-अर्चना बंद हो गई, और मंदिर उपेक्षित हो गया। स्थानीय निवासियों ने अब इसे सांस्कृतिक और धार्मिक पुनर्जागरण का हिस्सा बनाने का आग्रह किया है। हिंदू संगठनों ने मंदिर को पुनः खोलने और पूजा के लिए तैयार करने की योजना बनाई है। हालांकि, प्रशासन ने मामले की जांच शुरू कर दी है और मंदिर के जीर्णोद्धार पर निर्णय लिया जा सकता है।
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