आयकर रिफंड के दावे के लिए कारोबारियों-उद्यमियों को अब सीबीडीटी के नहीं लगाने होंगे चक्कर, जानें कैसे?

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BP Shrivastava
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आयकर रिफंड के दावे के लिए कारोबारियों-उद्यमियों को अब सीबीडीटी के नहीं लगाने होंगे चक्कर, जानें कैसे?

NEW DELHI. कारोबारियों-उद्यमियों को अपने रिफंड के दावे और कारोबारी नुकसान को अगले वर्ष के लाभ में समायोजन करना और आसान होगा। आयकर अधिकारियों के नए क्षेत्राधिकार घोषित कर दिए गए हैं। एक जून से लागू हुई व्यवस्था के मुताबिक, बड़े मामलों में रिफंड के लिए केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) के चक्कर नहीं लगाने होंगे। अब तीन करोड़ रुपए तक के मामले प्रधान मुख्य आयकर आयुक्त के यहां से ही निपटाए जा सकेंगे। पहले यह सीमा 50 लाख रुपए ही थी।





क्यों लिया जाता है रिफंड 





टीडीएस, टीसीएस, एडवांस टैक्स में ज्यादा भुगतान या सेल्स असेसमेंट में ज्यादा टैक्स देने की स्थिति में रिफंड बनता है। उद्यमी और कारोबारी अपने नुकसान को अगले वर्ष के लाभ में समायोजित भी करते हैं। इसके लिए आवेदन करना होता है। अब तक 10 लाख रुपए तक रिफंड के मामले प्रधान आयकर आयुक्त, 50 लाख तक मुख्य आयकर आयुक्त और इसके ऊपर के सभी मामले सीबीडीटी के पास जाते थे। 





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नई व्यवस्था में प्रधान आयकर आयुक्त को 50 लाख रुपए, मुख्य आयकर आयुक्त को 50 लाख से दो करोड़ रुपए और प्रधान मुख्य आयकर आयुक्त को दो से तीन करोड़ रुपए तक के मामले सौंपे जाएंगे। तीन करोड़ रुपए से अधिक के मामलों का निस्तारण सीबीडीटी करेगा। रिफंड के लिए आवेदन अधिकतम छह वर्ष तक किया जा सकेगा। हालांकि, एक बार में एक ही वर्ष की राशि के लिए दावा माना जाएगा। देरी की स्थिति में स्पष्ट कारण बताना होगा। इस पर फैसला अधिकारी कर सकेंगे।



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