CAA: खुशी व राहत के साथ विरोध के सुर भी सुनाई देने लगे

गृहमंत्री अमित शाह का कहना है कि बांग्लादेश, अफगानिस्तान और पाकिस्तान से प्रताड़ित शरणार्थियों को नागरिकता देने का हमारे संविधान निर्माताओं का वादा था। उधर, कुछ पार्टियां अब भी सीएए का विरोध कर रही हैं, जानें वजह...

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Dr Rameshwar Dayal
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नागरिकता संशोधन अधिनियम ( CAA ) के लागू होने पर जहां बीजेपी ( BJP ), उसके सहयोगी दलों व देश के एक बड़े तबके में संतोष है, वहीं कुछ दलों व संगठनों ने इसका विरोध शुरू कर दिया है और आरोप लगाया है कि मोदी सरकार इसके जरिए वोटों का ध्रुवीकरण चाहती है, साथ ही इस कानून को आधा-अधूरा करार दिया है। तृणमूल कांग्रेस पार्टी ( TMC ) व तमिलनाडु सरकार इसके खिलाफ उतर आए हैं तो इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग ( IUML  ) ने इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट ( supreme court ) में याचिका दायर की है। दूसरी ओर माना जा रहा है कि इस अधिनियम के लागू होने से 30 हजार शरणार्थियों को तुरंत लाभ मिलेगा।

हमने वादा पूरा किया: अमित शाह

इस अधिनियम ( CAA bjp ) के लागू होने के बाद गृहमंत्री अमित शाह का कहना है कि बांग्लादेश, अफगानिस्तान और पाकिस्तान से प्रताड़ित शरणार्थियों को नागरिकता देने का हमारे संविधान निर्माताओं का वादा था। इसके बावजूद कांग्रेस इसके खिलाफ बगावत करती रही। कांग्रेस पार्टी वोट बैंक की राजनीति के कारण CAA का विरोध करती थी। लेकिन हमने इसे लागू कर अपना वादा पूरा किया है। दूसरी ओर नोटिफिकेशन निकलने के बाद दिल्ली के मजनू का टीला इलाके में रह रहे पाकिस्तानी शरणार्थियों से बीजेपी सांसद मनोज तिवारी ने मुलाकात की ओर उनका आभार जताया। उन्होंने तिवारी के साथ होली भी मनाई। 

ममता व स्टालीन ने विरोध जताया

दूसरी ओर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी इसकी वैधता पर सवाल खड़ा किया है। उनका दावा है कि सरकार ने इस कानून में स्पष्टता नहीं दी है। उन्होंने जानकारी दी कि साल 2019 में असम में NRC के नाम पर 19 लाख में से 13 लाख बंगाली हिंदू को लिस्ट से हटा दिया गया था। यह लोगों के अधिकार छीनने का खेला है। लोगों को डिटेंशन कैंप में ले जाया जाएगा। लेकिन हम ऐसा नहीं होने देंगे। तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने भी कहा है कि वह इस कानून को अपने राज्य में नहीं लागू होने देंगे। दूसरी ओर इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग ने इस कानून पर रोक लगाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है। याचिका में सिटिजनशिप अमेंडमेंट एक्ट 2019 और सिटिजनशिप अमेंडमेंट रूल्स 2024 के विवादित प्रावधानों को लागू करने पर रोक लगाने की मांग की गई है।

30 हजार शरणार्थियों को तुरंत मिलेगा लाभ

असम के ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक यूथ फ्रंट (AIUDYF) ने भी इस अधिनियम का विरोध किया है। इसके अध्यक्ष जहरुल इस्लाम बादशाह का कहना है कि हम इसका लगातार विरोध करते रहेंगे। इसके जरिए देशभर में सांप्रदायिक भावनाएं फैलाई जा रही हैं। यह असम की भाषा और संस्कृति को खत्म करने का प्रयास है। दूसरी ओर एक सरकारी रिपोर्ट में जानकारी दी गई है कि CAA लागू होने से लगभग 30 हजार शरणार्थियों को बहुत जल्द लाभ मिलेगा। इनमें 25,447 हिंदू, 5,807 सिख, 55 ईसाई, 2 बौद्ध और 2 पारसी शामिल हैं। इस कानून के पक्ष में लोग प्रदर्शन कर रहे हैं और खुशियां भी मना रहे हैं।

एमपी में क्या बोले कांग्रेस नेता

मध्यप्रदेश में इस बिल को लेकर विपक्ष और मुसलमानों ने काफी विरोध किया है। अब नोटिफिकेशन जारी होने के बाद पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने बिल को लेकर बड़ा बयान दिया है। राज्यसभा सांसद अशोक सिंह और भोपाल से कांग्रेस विधायक आरिफ मसूद ने CAA ko गैर जरूरी बताया है। 

क्या बोले दिग्विजय सिंह
दिग्विजय सिंह ने CAA को लेकर कहा की अगर सरकार को बिल लाना ही था तो इतनी देर क्यों की? और अगर देर हो गई थी तो चुनाव के बाद क्या दिक्कत थी। भारतीय संविधान में हर व्यक्ति को अपने धर्म को मानने और उसका पालन करने का अधिकार है मैं समझता हूं ये बिल संविधान के खिलाफ है।

क्या बोले अशोक सिंह
ग्वालियर से राज्यसभा सांसद अशोक सिंह ने CAA गैर जरूरी बताते हुए कहा की इसकी कोई जरूरत ही नही थी हमारे देश पहले से ही ऐसे प्रावधान है जो शरणार्थियों को नागरिकता देने में सक्षम है वही बंगाल और केरल सरकार द्वारा अपने राज्य में CAA कानून लागू नहीं किए जाने पर कहा कि यह उनका अपना अधिकार है। किसी प्रावधान के तहत ही उन्होंने अपने राज्य में लागू नहीं होने दिया होगा।

क्या बोले मुस्लिम विधायक आरिफ मसूद
भोपाल मध्य विधानसभा से विधायक आरिफ मसूद ने CAA पर बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि यह डिप्लोमेटिक फैसला है। यह लोगो को लड़ने और भ्रम फैलने बाली बात है। देश में शरणार्थियों के लिए पहले से ही एक कानून मौजूद है। चुनाव से पहले इस तरह से निर्णय धुव्रीकरण की राजनीति को देखता है। इससे साफ नजर आता है कि सरकार की  नियत साफ नहीं है। अगर जरूरत पड़ी तो बिल के खिलाफ सुप्रिम कोर्ट तक जाएंगे और आंदोलन भी करेंगे।

अमित शाह CAA bjp