CAA : जिला स्तर की विशेष कमेटी को मिलेगा नागरिकता देने का अधिकार

अभी तक यह माना जा रहा था कि शरणार्थी को केंद्र सरकार के विशेष पोर्टल पर फार्म भरना होगा। इसकी जांच के बाद केंद्र सरकार उसे नागरिकता प्रदान कर देगी। लेकिन इस सिस्टम में राज्य सरकार को भी शामिल किया गया है।

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Dr Rameshwar Dayal
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जैसा कि कहा जा रहा है कि CAA ( नागरिकता संशोधन अधिनियम ) के तहत तीन देशों के शरणार्थियों को भारतीय नागरिता देने का अधिकार केंद्र सरकार के पास होगा। इसके लिए एक पोर्टल भी बनाया गया है। लेकिन हकीकत यह है कि शरणार्थियों को नागरिकता तभी ही मिल पाएगी जब राज्यों के जिलों में बनाई गई अधिकार प्राप्त समिति  ( empowered committee ) इसे ओके कर देगी। शरणार्थियों को समिति के सामने पेश होकर अपनी ‘हकीकत’ भी बयान करनी होगी। इसके अलावा प्रदेश स्तर पर एक प्रत्यक्ष जनगणना ( dircect census ) प्रक्रिया भी अपनाई जाएगी, जिसमें विभिन्न विभागों के आला अधिकारी शरणार्थियों की स्क्रीनिंग करेंगे।

संवेदनशील मसला, इसलिए राज्य सरकारों को अधिकार

अभी तक यह माना जा रहा है कि तीन पड़ोसी देशों के अल्पसंख्यक, जो 31 दिसंबर 2014 से पहले से भारत में रह रहे हैं, उन्हें नागरिकता पाने के लिए एक पोर्टल पर फार्म भरना होगा, फिर केंद्र सरकार कुछ जांच व कानूनी प्रक्रिया अपनाकर उस शरणार्थी को नागरिक बना देगी। बड़ी बात यह है कि अगर किसी शरणार्थी की छवि अपराधी किस्म की है और उस पर आपराधिक केस दर्ज हैं तो उसे नागरिकता नहीं मिलेगी। शरणार्थी इस पोर्टल पर सीधे फार्म भरकर नागरिकता के लिए आवेदन कर सकते हैं। लेकिन CAA के नियमों ने यह बता दिया है कि यह मसला इतना आसान नहीं होगा। मामले को संवेदनशील मानते हुए केंद्र सरकार ने राज्य सरकारों को अधिकार दिए हैं कि वे अपने क्षेत्र के शरणार्थियों की कड़ी जांच-परीक्षा करेंगे। उनकी रजामंदी के बाद ही शरणार्थी को नागरिक बनाने की कवायद शुरू हो जाएगी।

समिति चाहेगी तो शरणार्थी को नागरिकता नहीं मिल पाएगी

CAA के इन नियमों के अनुसार इसके लागू होते ही अब राज्यों के जिला स्तर पर अधिकार प्राप्त समिति का गठन किया जाएगा। समिति में विशेषज्ञों को शामिल किया जाएगा, जिनके सामने नागरिकता लेने वाले शख्स को पेश होना होगा। उसका पूरा वेरिफिकेशन किया जाएगा। उसके बाद यह समिति सुनिश्चित करेगी कि शरणार्थी भारतीय नागरिकता के काबिल है या नहीं। माना जा रहा है कि अगर यह समिति नागरिकता फार्म को रिजेक्ट कर देती है तो केंद्र सरकार को भी उसे मानना होगा। खास बात यह भी है कि शरणार्थी को इस समिति को भारत से जुड़ी निष्ठा को लेकर एक विशेष फार्म भी भरकर देना होगा।

एक अन्य सिस्टम भी पूरी जांच करेगा

नियमों के अनुसार इसी मसले पर राज्य स्तर पर प्रत्यक्ष जनगणना प्रक्रिया भी अपनाई जाएगी। इसमें इंटेलिजेंस स्तर के बड़े अधिकारी, विदेशी पंजीकरण कार्यालय ( FRRO ) के अलावा राज्य के सूचना अधिकारी व राज्य व केंद्र शासित स्तर का पोस्टमास्टर जनरल भी होगा। यह सिस्टम इस बात की जांच करेगा कि शरणार्थी जिस देश से आया है, वहां उसकी बैकग्राउंड किस प्रकार की थी। गौरतलब है कि केंद्र की मोदी सरकार ने वर्ष 2019 में नागरिकता कानून में संशोधन कर यह प्रावधान किया था कि पाकिस्तान, अफगानिस्तान, बांग्लादेश के छह अल्पसंख्यकों जैसे हिंदू, सिख, ईसाई, जैन, बौद्ध, पारसियों को भारतीय नागरिकता दी जा सकती है।

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