NEW DELHI. सैलरी में इजाफे का इंतजार कर रहे है लाखों केंद्रीय कर्मचारियों के लिए राहत भरी खबर है। दरअसल, केंद्र सरकार 1 जुलाई से फिर डियरनेस अलाउंस यानी डीए (महंगाई भत्ता) में 3-4% की बढ़ोतरी कर सकती है। केंद्र सरकार द्वारा मार्च 2023 में पिछली बढ़ोतरी की गई थी। तब महंगाई भत्ते में 4 प्रतिशत की वृद्धि को मंजूरी मिली थी। कर्मचारियों और पेंशनभोगियों को बढ़ती महंगाई की भरपाई के लिए दिया जाने वाला डीए साल में दो बार जनवरी और जुलाई में संशोधित किया जाता है।
मार्च में हुई भी बढ़ोतरी
रिपोर्ट के मुताबिक अब 7वें वेतन आयोग के कर्मचारियों के लिए डीए में 3-4 प्रतिशत की और बढ़ोतरी की उम्मीद है, जो 1 जुलाई से लागू मानी जाएगी। सरकार के इस कदम से देश के 47.58 लाख केंद्रीय कर्मचारी और 69.76 लाख पेंशनभोगी को सीधा फायदा होगा। केंद्र सरकार ने मार्च 2023 में महंगाई भत्ते में 4% की बढ़ोतरी की थी, जिसके बाद केंद्र सरकार के कर्मचारियों का डीए बढ़कर 42 फीसदी हो गया है। इससे पहले सितंबर 2022 में डीए में 4 प्रतिशत की बढ़ोतरी की गई थी।
डीए और डीआर में अंतर
महंगाई भत्ता यानी डीए सरकारी कर्मचारियों को दिया जाता है, जबकि महंगाई राहत यानी डीआर पेंशनर्स को दी जाती है। डीए कर्मचारियों के बेसिक वेतन के आधार पर दिया जाता है। वहीं डीआर बेसिक पेंशन के आधार पर दिया जाता है। डीए ऐसा पैसा है, जो महंगाई बढ़ने के बावजूद सरकारी कर्मचारियों के जीवन स्तर को बनाए रखने के लिए दिया जाता है। यह पैसा सरकारी कर्मचारियों, पब्लिक सेक्टर के कर्मचारियों और पेंशनर्स को दिया जाता है। इसका कैलकुलेशन देश की मौजूदा महंगाई के अनुसार हर 6 महीने पर किया जाता है। इसकी गणना संबंधित वेतनमान के आधार पर कर्मचारियों के मूल वेतन के अनुसार की जाती है। महंगाई भत्ता शहरी, अर्ध-शहरी या ग्रामीण क्षेत्र के कर्मचारियों का अलग-अलग हो सकता है।
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ये है फॉर्मूला
केंद्र सरकार डीए और डीआर में बढ़ोत्तरी एक फॉर्मूले के आधार पर की जाती है। महंगाई भत्ता प्रतिशत = ((पिछले 12 महीनों के लिए अखिल भारतीय उपभोक्ता मूल्य सूचकांक का औसत (बेस ईयर 2001=100) -115.76)/115.76)x100। वहीं अब अगर PSU (पब्लिक सेक्टर यूनिट्स) में काम करने वाले लोगों के महंगाई भत्ते की बात की जाए तो इसके कैलकुलेशन का तरीका- महंगाई भत्ता प्रतिशत= (बीते 3 महीनों के उपभोक्ता मूल्य सूचकांक का औसत (बेस ईयर 2001=100)-126.33))x100।
ऑल इंडिया कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स क्या है?
भारत में दो तरह की महंगाई होती है। एक रिटेल यानी खुदरा और दूसरा थोक महंगाई होती है। रिटेल महंगाई दर आम ग्राहकों की तरफ से दी जाने वाली कीमतों पर आधारित होती है। इसको कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स भी कहते हैं।
आसान भाषा में समझें यूं
आसान भाषा में समझें तो बेसिक सैलरी में ग्रेड सैलरी को जोड़ने के बाद जो सैलरी बनती है, उसमे महंगाई भत्ते की दर का गुणा किया जाता है। जो नतीजा आता है, उसे ही महंगाई भत्ता यानी डियरनेस अलाउंस कहा जाता है। अब इसे एक उदाहरण से समझते हैं, मान लीजिए आपकी बेसिक सैलरी 10 हजार रुपए और ग्रेड पे 1000 रुपए है। दोनों को जोड़ने पर टोटल 11 हजार रुपए हुआ। अब बढ़े हुए 42% महंगाई भत्ते के लिहाज से देखें, तो यह 4,620 रुपए हुआ। सबको जोड़कर आपकी टोटल सैलरी 15,620 रुपए हुई। पहले 38% डीए के लिहाज से आपको 15,180 रुपए सैलरी मिल रही थी। यानी 4% डीए बढ़ने के बाद हर महीने 440 रुपए का फायदा होगा।