केंद्र ने कोरोना के लिए नेजल वैक्सीन को मंजूरी दी, बूस्टर डोज के तौर पर लग सकेगी, अभी प्राइवेट हॉस्पिटल में लगवानी होगी

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Atul Tiwari
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केंद्र ने कोरोना के लिए नेजल वैक्सीन को मंजूरी दी, बूस्टर डोज के तौर पर लग सकेगी, अभी प्राइवेट हॉस्पिटल में लगवानी होगी

NEW DELHI. दुनियाभर में बढ़ रहे कोरोना केसों के बीच खुशखबरी है। केंद्र सरकार ने 23 दिसंबर को भारत बायोटेक और वॉशिंगटन यूनिवर्सिटी की नेजल वैक्सीन (Nasal vaccine, नाक से दी जाने वाली) को मंजूरी दे दी है। यह वैक्सीन बूस्टर डोज के तौर पर लग सकेगी। नेजल वैक्सीन शुरुआत में प्राइवेट अस्पतालों में लगेगी यानी इसके लिए आपको पैसे चुकाने होंगे। इस वैक्सीन को सरकार ने देश के कोविड-19 वैक्सीनेशन प्रोग्राम में शामिल किया है। यह नेजल वैक्सीन दुनिया की पहली नेजल वैक्सीन है।





इससे पहले भारत के औषधि महानियंत्रक (DCGI) ने भारत बायोटेक की इंट्रा नेजल कोविड वैक्सीन (Intranasal Covid vaccine) को आपातकालीन इस्तेमाल की मंजूरी दे थी। यह वैक्सीन नाक के जरिए दी जाएगी यानी वैक्सीन लेने वाले की बांह पर टीका नहीं लगाया जाएगा। DCGI ने इंट्रा नेजल कोविड वैक्सीन को 18 साल से ऊपर के लोगों के लिए मंजूरी दी है। भारत बायोटेक की नेजल वैक्सीन का नाम iNCOVACC रखा गया है। पहले इसे BBV154 कहा गया था। इसकी खास बात यह है कि शरीर में जाते ही यह कोरोना के इन्फेक्शन और ट्रांसमिशन दोनों को ब्लॉक करती है। 





कोरोना से लड़ने के लिए भारत की तैयारी मजबूत







  • भारत में कोवीशील्ड (सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया, पुणे) और कोवैक्सिन (भारत बायोटेक, पुणे) कोरोना वैक्सीन प्रमुखता से लगाई जा रही हैं। ये ही वैक्सीन बूस्टर के तौर पर भी लग रही हैं। 



  • केंद्र के पास टीके की 81 लाख डोज का स्टॉक है। इनमें कोवैक्सिन की 78 लाख डोज हैं।


  • अब दो दिन में बूस्टर डोज लगवाने वालों की संख्या रोज 31 हजार से 39 हजार हो गई है।


  • देश में 18 साल से ज्यादा के 22.34 करोड़ लोगों को बूस्टर डोज लगी है।


  • बीते दो दिन में कोरोना जांच कराने वाले भी बढ़े हैं। 19 दिसंबर को 61 हजार सैंपल्स की जांच की गई तो 21 दिसंबर को 1.17 लाख।






  • 4 हजार लोगों पर हुआ था ट्रायल, नहीं मिले साइड इफेक्ट्स





    हैदराबाद की कंपनी भारत बायोटेक ने नेजल वैक्सीन का 4 हजार वॉलंटियर्स पर क्लीनिकल ट्रायल किया गया। इनमें से किसी पर इसका कोई साइड इफेक्ट देखने को नहीं मिला। अगस्त महीने में तीसरे चरण के क्लीनिकल ट्रायल के बाद साफ हो गया था कि नेजल वैक्सीन इस्तेमाल के लिए सेफ है। भारत बायोटेक ने बताया कि यह वैक्सीन किफायती है जो कि कम और मध्यम आय वाले देशों के लिए ठीक रहेगी। 











    नेजल वैक्सीन काम कैसे करती है? 





    कोरोना समेत ज्यादातर वायरस म्युकोसा के जरिए शरीर में जाते हैं। म्युकोसा नाक, फेफड़ों, पाचन तंत्र में पाया जाने वाला चिपचिपा पदार्थ है। नेजल वैक्सीन सीधे म्युकोसा में ही इम्यून रिस्पॉन्स पैदा करती है, जबकि मस्कुलर वैक्सीन ऐसा नहीं कर पाती।  





    कौन लगवा सकता है ये वैक्सीन? 





    ये वैक्सीन सिर्फ बूस्टर डोज के तौर पर लगाई जाएगी। यानी, जो लोग पहले वैक्सीन की दो डोज ले चुके हैं, उन्हें ही ये वैक्सीन दी जाएगी। कोविन पोर्टल पर मौजूद डेटा बताता है कि अब तक 95.10 करोड़ से ज्यादा लोग वैक्सीन की दो डोज ले चुके हैं। लेकिन सिर्फ 22.34 करोड़ लोगों ने ही बूस्टर डोज ली है।



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