केंद्र सरकार ने वापस लिया डीएनए टेक्नॉलाजी बिल, तीन नए विधेयक भी किए पेश

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Pratibha Rana
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केंद्र सरकार ने वापस लिया डीएनए टेक्नॉलाजी बिल, तीन नए विधेयक भी किए पेश

NEW DELHI. संसद के मानसून सत्र में विपक्ष का हंगामा जारी है। इस बीच संसद में कई विधेयक पेश किए गए। केंद्र सरकार ने सोमवार (24 जुलाई) को डीएनए प्रौद्योगिकी विधेयक- 2019 लोकसभा से वापस ले लिया है। आठ जुलाई 2019 को तत्कालीन विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री, हर्षवर्धन ने लोकसभा में यह विधेयक पेश किया था। केंद्र सरकार ने तीन नए विधेयक भी पेश किए। इनमें छत्तीसगढ़ के दो समुदायों को एससी सूची में शामिल करने के लिए विधेयक, राष्ट्रीय दंत चिकित्सा आयोग विधेयक और राष्ट्रीय नर्सिंग और मिडवाइफरी आयोग विधेयक-2023 शामिल हैं। इसके अलावा भी कई विधेयक पेश किए गए, जिन पर जल्द ही मुहर लग सकती है। 



छत्तीसगढ़ के दो समुदायों के लिए ‘खास’ विधेयक पेश



छत्तीसगढ़ के 'महरा' और 'महारा' समुदायों को अनुसूचित जाति की सूची में शामिल करने के लिए केंद्रीय सामाजिक न्याय मंत्री वीरेंद्र कुमार ने लोकसभा में संविधान (अनुसूचित जाति) आदेश (संशोधन) विधेयक- 2023 पेश किया। भारत के रजिस्ट्रार जनरल और राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग ने प्रस्तावित संशोधन पर सहमति व्यक्त की है, लेकिन अनुसूचित जाति की सूची में नए समुदायों का नाम जोड़ने के लिए संविधान (अनुसूचित जाति) आदेश, 1950 में संशोधन करना आवश्यक है। इसलिए यह विधेयक पेश किया गया है। 



स्वास्थ्य सेवा से जुड़े दो विधेयक पेश



केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री मनसुख मांडविया ने लोकसभा में राष्ट्रीय नर्सिंग एवं मिडवाइफरी आयोग विधेयक, 2023 और राष्ट्रीय दंत चिकित्सा आयोग विधेयक, 2023 पेश किए। राष्ट्रीय दंत चिकित्सा आयोग विधेयक में दंत चिकित्सक अधिनियम, 1948 को निरस्त करने का प्रविधान है। इस विधेयक में देश में दंत चिकित्सा शिक्षा के लिए राष्ट्रीय दंत चिकित्सा आयोग (एनएमसी) स्थापित करने का भी प्रस्ताव है। इसका उद्देश्य दंत चिकित्सा शिक्षा को किफायती बनाना है। राष्ट्रीय नर्सिंग और मिडवाइफरी आयोग विधेयक 2023 का उद्देश्य भारतीय नर्सिंग परिषद अधिनियम, 1947 को निरस्त करना और राष्ट्रीय नर्सिंग और मिडवाइफरी आयोग (एनएनएमसी) की स्थापना करना है। प्रसव में मददगार दाई के काम को मिडवाइफरी कहा जाता है



आज भी हंगामे के आसार : मणिपुर पर सरकार चर्चा को तैयार, गृह मंत्री ने विपक्ष पर उठाया सवाल



विपक्ष पहले प्रधानमंत्री के सदन में बयान देने और फिर लोकसभा में नियम 184 तो राज्यसभा में नियम 267 के तहत चर्चा की मांग पर अड़ा हुआ है। इन नियमों के तहत लंबी चर्चा के बाद वोटिंग का भी प्रविधान है। सरकार लोकसभा में नियम 193 और राज्यसभा में नियम 176 के तहत चर्चा के लिए तैयार है। इसके तहत चर्चा अल्पकालिक होती है और मतदान नहीं कराया जाता है।



मणिपुर में जारी हिंसा पर चर्चा कराने को लेकर संसद के बाहर और भीतर सरकार तथा विपक्ष के बीच जारी संग्राम के चलते लगातार तीसरे दिन संसद की कार्यवाही नहीं चल पाई। गृह मंत्री अमित शाह ने चर्चा के लिए सरकार के तैयार होने की सदन में घोषणा कर गतिरोध तोड़ने के लिए सत्ता पक्ष की पहल का संदेश दिया, मगर प्रधानमंत्री के सदन में बयान के बाद विशिष्ट नियमों के तहत चर्चा की मांग पर कायम विपक्ष को यह पेशकश मंजूर नहीं हुआ। गृह मंत्री ने विपक्ष पर चर्चा से भागने का आरोप लगाया। वहीं सरकार की पेशकश को प्रतीकात्मक मानते हुए विपक्षी गठबंधन ने दोनों सदनों में हंगामा-नारेबाजी की। संसद के मानसून सत्र का मंगलवार (25 जुलाई) को चौथा दिन है। ऐसे में इस दिन भी सदन में मणिपुर हिंसा को लेकर हंगामा होने के आसार हैं।



शाह बोले- मणिपुर की सच्चाई देश के सामने आना जरूरी 



सोमवार (24 जुलाई) को गृह मंत्री अमित शाह ने लोकसभा में संक्षिप्त टिप्पणी के दौरान कहा, मैं मणिपुर की स्थिति पर लोकसभा में चर्चा का इच्छुक हूं, लेकिन पता नहीं विपक्ष ऐसा क्यों नहीं चाहता। उनका यह भी कहना था कि विपक्षी नेताओं को सदन में बहस करनी चाहिए, क्योंकि मणिपुर की सच्चाई देश के सामने आना जरूरी है। विपक्ष ने इस पेशकश को ठुकरा दिया और हंगामे के बीच लोकसभा पूरे दिन के लिए स्थगित हो गई।



रातभर धरना देंगे विपक्षी नेता



विपक्षी गठबंधन इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इन्क्लूसिव एलायंस (इंडिया) के नेता संजय सिंह के निलंबन के खिलाफ और प्रधानमंत्री से सदन में मणिपुर पर बयान देने की मांग को लेकर सोमवार को रातभर संसद परिसर में अपना आंदोलन जारी रखेंगे। इस दौरान विपक्षी नेता गांधी प्रतिमा के समक्ष धरना देंगे। संजय सिंह भी इस धरने में शामिल होंगे। विपक्षी नेताओं का यह प्रदर्शन मंगलवार को भी जारी रहेगा। विपक्ष के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, "पार्टियों ने अपने नेताओं के बारी-बारी से धरना स्थल पर मौजूद रहने का पूरा खाका तैयार किया है। यह तय किया गया कि कौन-कौन से नेता अलग-अलग समय पर धरने में शामिल होंगे। विपक्षी दलों में पूरी एकजुटता है। यह संजय सिंह के निलंबन के खिलाफ है। हम इस मांग को लेकर भी प्रदर्शन कर रहे हैं कि प्रधानमंत्री मोदी मणिपुर के विषय पर संसद के भीतर बयान दें।"


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