Bangalore. भारत इतिहास रचने के बहुत करीब है। इसरो (19-20 अगस्त) रात 2 बजे चंद्रयान-3 के विक्रम लैंडर को डीबूस्टिंग के जरिए चंद्रमा के और करीब लाएगा। डीबूस्टिंग यानी स्पेसक्राफ्ट की रफ्तार को धीमी करना। इस ऑपरेशन के बाद लैंडर की चंद्रमा से न्यूनतम दूरी 30 किमी और अधिकतम दूरी 100 किलोमीटर रह जाने की उम्मीद है। इससे पहले 18 अगस्त को लैंडर पर लगे कैमरे ने प्रोपल्शन मॉड्यूल की फोटो के साथ चंद्रमा की तस्वीरें खींची। इसरो ने इसे शुक्रवार को सोशल मीडिया पर शेयर किया है।
चंद्रमा पर 28 दिन बाद आती है अगली सुबह... जानें लैंडिंग की प्रोसेस
इसरो ने लैंडिंग की तैयारी शुरू कर दी है। सबसे कम दूरी से ही 23 अगस्त को शाम 5:47 बजे यान की सॉफ्ट लैंडिंग का प्रयास किया जाएगा। 23 अगस्त को लैंडिंग में समस्या आती है तो एक महीने बाद फिर प्रयास होगा, क्योंकि चंद्रयान-3 को अगली सुबह का इंतजार करना होगा, जो वहां 28 दिन बाद होगी। अभी विक्रम लैंडर की चंद्रमा से सबसे कम दूरी 113 किमी और सबसे ज्यादा दूरी 157 किमी है।
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लैंडर ने कहा- थैक्स फॉर द राइड मेट...
चंद्रयान-3 के प्रोपल्शन मॉड्यूल को 17 अगस्त को लैंडर-रोवर से अलग किया था। सेपरेशन के बाद लैंडर ने प्रोपल्शन मॉड्यूल से कहा- 'थैक्स फॉर द राइड मेट।' इस दौरान लैंडर पर लगे कैमरे ने प्रोपल्शन मॉड्यूल की फोटो के साथ चंद्रमा की भी तस्वीरें खींचीं, जिसे इसरो ने शुक्रवार को जारी किया।
जानें अब क्या और कैसे होगी डीबूस्टिंग
- डीबूस्टिंग कैसे करेंगे पूरी: चंद्रयान के लैंडर के चार पैरों के पास लगे 800 न्यूटन शक्ति के 1-1 थ्रस्टर की बदौलत संभव होगा। दो-दो थ्रस्टर 2 चरणों में काम करेंगे।
- लैंडिंग में मुश्किलें : 30 किमी की ऊंचाई से लैंडिंग की प्रक्रिया शुरू की जाएगी। लैंडर की रफ्तार को 1680 मीटर प्रति सेकंड से दो मीटर प्रति सेकंड पर लाने की इसरो कोशिश करेगा।
- लैंडिंग की तारीख 23 अगस्त क्यों : लैंडर और रोवर पावर जेनरेट करने के लिए सोलर पैनल का उपयोग करेंगे। अभी चंद्रमा पर रात है और 23 तारीख को सूर्योदय होगा यानी सुबह होगी।
- क्या काम करेगा च्रंद्रयान-3: यान प्रोपल्शन मॉड्यूल धरती से आने वाले रेडिएशन्स का अध्ययन करेगा। लैंडर और रोवर सतह पर पानी की खोज सहित अन्य प्रयोग करेंगे और जानकारी इसरो को भेजेंगे।
अब चांद की कई तस्वीरें खींची गईं
चंद्रयान-3 अंतरिक्ष यान के लैंडर माड्यूल पर लगे कैमरों ने चांद की अब तक कई तस्वीरें खींची हैं। इसरो ने शुक्रवार को एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर इन तस्वीरों को साझा किया। इनमें से कुछ तस्वीरें 15 अगस्त को लैंडर पोजिशन डिटेक्शन कैमरा ने खींची थीं, जबकि कुछ तस्वीरें 17 अगस्त को लैंडर इमेजर (एलआई) कैमरा-1 ने खींची थीं। इनमें चंद्रमा की सतह पर गड्ढे दिखाई दे रहे थे, जिन्हें इसरो द्वारा जारी की गई तस्वीरों में ‘फैब्री’, ‘जियोर्डानो ब्रूनो’ और ‘हरखेबी जे’ के रूप में चिह्नित किया गया है।