‘चंद्रयान-3’ पृथ्वी की अगली कक्षा में पहुंचा, चांद पर मानव के रहने की संभावनाओं का पता चलेगा

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BP Shrivastava
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 ‘चंद्रयान-3’ पृथ्वी की अगली कक्षा में पहुंचा, चांद पर मानव के रहने की संभावनाओं का पता चलेगा

Chennai. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के वैज्ञानिकों ने शनिवार (15 जुलाई) को चंद्रयान-3 की पहली ऑर्बिट रेजिंग की प्रक्रिया को सफलतापूर्वक पूरा किया। यानी, चंद्रयान अब पृथ्वी की अगली और पहले से बड़ी कक्षा में पहुंच गया है। ये प्रोसेस इसरो के बेंगलुरु स्थित टेलीमेट्री ट्रैकिंग एंड कमांड नेटवर्क (ISTRAC) से कंट्रोल की गई। केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह ने शनिवार (15 जुलाई) को कहा कि चंद्रयान-3 चंद्रमा पर मानव के रहने की संभावनाओं का पता लगाएगा। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि चंद्रयान मिशन ने भारत को अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी और अंतरिक्ष क्षेत्र में अग्रणी वैश्विक खिलाड़ी के रूप में स्थापित किया है।



बड़ी उपलिब्ध हासिल करेगा चंद्रयान-3



उन्होंने कहा, भले ही हमने अपनी अंतरिक्ष यात्रा अन्य देशों की तुलना में बहुत बाद में शुरू की, लेकिन जिन्होंने हमसे पहले चंद्र मिशन शुरू किया वे उन निष्कर्षों को हासिल नहीं कर सके जो चंद्रयान ने हासिल किए। चंद्रयान-3 मिशन उन प्रयोगों का विस्तार करने जा रहा है, जो भविष्य में चंद्रमा पर मानव निवास की संभावना का संकेत देते हैं।



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इसरो ने कहा- अभी चार बार और बदली जाएगी ऑर्बिट



31 जुलाई तक ऑर्बिट रेजिंग की प्रक्रिया 4 बार और की जाएगी। इसरो ने एक सोशल मीडिया पोस्ट में बताया, ‘चंद्रयान-3 सही कंडीशन में है। यान एक ऐसी ऑर्बिट (कक्षा) में है, जो पृथ्वी से सबसे नजदीक होने पर 173 किलोमीटर और सबसे दूर होने पर 41,762 किलोमीटर की दूरी पर है।



सफल प्रक्षेपण से भारतवंशी गौरवान्वित



चंद्रयान-3 के सफल प्रक्षेपण ने दुनिया के हर कोने में भारतवंशियों का सीना गर्व से चौड़ा कर दिया है। कैलिफोर्निया के सिलिकॉन वैली इलाके में स्टार्ट-अप और बड़ी कंपनियों का नेतृत्व करने वाले भारतवंशी भी गौरवान्वित हैं। मल्टी-क्लाउड डाटा कंट्रोल कंपनी रूब्रिक के सहसंस्थापक बिपुल सिन्हा ने कहा, चंद्रयान-3 का प्रक्षेपण हर भारतवंशी के लिए गर्व का क्षण है।



क्या बोले भारतवंशी



ग्लेन एआई के सीईओ अरविंद जैन ने कहा, भारत तकनीकी, अनुसंधान एवं विकास प्रतिभा का भविष्य बन गया है। कन्वर्सेशनल एआई कंपनी यूनिफोर के सह संस्थापक और सीईओ उमेश सचदेव ने कहा, वैश्विक और भारतीय एयरोस्पेस उद्योग के दृष्टिकोण से यह मील का पत्थर है। चंद्रयान-3 का सफल प्रक्षेपण उदाहरण है कि भारत नवाचार जैसे क्षेत्रों में दुनिया का नेतृत्व कर रहा है। डाटा-टेक इनोवेशन स्टार्ट-अप टीसेकंड के सीईओ और संस्थापक साहिल चावला ने कहा, चंद्रयान-3 का प्रक्षेपण दुनिया के लिए गेम चेंजर है।



सफल लॉन्चिंग से गगनयान मिशन को मिला बल



चंद्रयान-3 की सफल लॉन्चिंग से गगनयान मिशन को मिला बल चंद्रयान-3 की सफल लॉन्चिंग से देश के पहले मानव अंतरिक्ष मिशन गगनयान को बल मिला है। गगनयान में भी एलवीएम-3 रॉकेट का उपयोग किया जाएगा। इसी रॉकेट से चंद्रयान-3 को लॉन्च किया गया था। गगनयान मिशन के तहत तीन अंतरिक्षयात्रियों को तीन दिनों के लिए 400 किमी की कक्षा में भेजा जाएगा और उन्हें सुरक्षित पृथ्वी पर वापस लाकर भारत अंतरिक्ष में मानव को भेजने की क्षमता को प्रदर्शित करेगा।



रॉकेट को बच्चे जैसा मानता हूं- इसरो प्रमुख



इसरो प्रमुख एस. सोमनाथ ने शनिवार को कहा कि वह रॉकेट को अपने बच्चों की तरह मानते हैं। उन्होंने कहा कि जब चंद्रयान -3 का प्रक्षेपण किया जा रहा था तो मैं बेहद खुश था। उस समय रॉकेट सुंदर दिख रहा था। आईआईटी हैदराबाद के 12वें दीक्षा समारोह में सोमनाथ ने कहा, इंजीनियर और विज्ञानी के तौर पर मुझे रॉकेट से प्यार है।



चंद्रमा के बाद अब सूर्य मिशन की तैयारी कर रहा इसरो



चंद्रयान-3 के बाद इसरो सूर्य मिशन की तैयारी कर रहा है। इसरो अपने आदित्य एल1 उपग्रह को ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (पीएसएलवी)/ रॉकेट से अगस्त के अंत तक लांच करेगा। यह उपग्रह सूर्य के वातावरण का अध्ययन करेगा। आदित्य एल1 सूर्य का अध्ययन करने वाला पहला भारतीय मिशन होगा।



16 मिनट में पृथ्वी की कक्षा में पहुंच गया था यान



इसरो ने 14 जुलाई को 2 बजकर 35 मिनट पर चंद्रयान-3 की सफलतापूर्वक लॉन्चिंग की। आंध्र प्रदेश में श्रीहरिकोटा के सतीश धवन स्पेस सेंटर से LVM3-M4 रॉकेट के जरिए चंद्रयान को स्पेस में भेजा गया। लॉन्चिंग के 16 मिनट बाद चंद्रयान को पृथ्वी की कक्षा में सफलतापूर्वक पहुंचा दिया गया। ये कक्षा पृथ्वी से सबसे नजदीक होने पर 170 किलोमीटर और सबसे दूर होने पर 36,500 किलोमीटर की दूरी पर थी।



23 अगस्त को चांद पर उतरेंगे लैंडर और रोवर



इसरो चीफ एस सोमनाथ ने बताया कि अगर सब कुछ प्लान के अनुसार रहा तो यान 23 अगस्त को शाम 5.47 बजे चांद पर उतरेगा। चंद्रयान-3 में लैंडर, रोवर और प्रोपल्शन मॉड्यूल हैं। लैंडर और रोवर चांद के साउथ पोल पर उतरेंगे और 14 दिन तक वहां प्रयोग करेंगे। प्रोपल्शन मॉड्यूल चंद्रमा की कक्षा में रहकर धरती से आने वाले रेडिएशन्स का अध्ययन करेगा। मिशन के जरिए इसरो पता लगाएगा कि चांद की सतह पर कैसे भूकंप आते हैं। यह चंद्रमा की मिट्टी का अध्ययन भी करेगा।



भारत ऐसा करने वाला चौथा देश बन जाएगा



अगर सॉफ्ट लैंडिंग में सफलता मिली यानी मिशन सक्सेसफुल रहा तो अमेरिका, रूस और चीन के बाद भारत ऐसा करने वाला चौथा देश बन जाएगा। अमेरिका और रूस दोनों के चंद्रमा पर सफलतापूर्वक उतरने से पहले कई स्पेस क्राफ्ट क्रैश हुए थे। चीन 2013 में चांग'ई-3 मिशन के साथ अपने पहले प्रयास में सफल होने वाला एकमात्र देश है।



आदिपुरुष फिल्म के बजट से सस्ता चंद्रयान-3



बिना लॉन्चिंग कॉस्ट के चंद्रयान-3 का बजट लगभग 615 करोड़ रुपए है, जबकि हाल ही में आई फिल्म आदिपुरुष का बजट 700 करोड़ रुपए था। यानी चंद्रयान-3 इस मूवी की कॉस्ट से करीब 85 करोड़ रुपए सस्ता है। इससे 4 साल पहले भेजे गए चंद्रयान 2 की लागत भी 603 करोड़ रुपए थी। वहीं इसकी लॉन्चिंग पर 375 करोड़ रुपए खर्च हुए थे।


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