Sriharikota. 2.45 मिनट के तय वक्त पर चंद्रयान-3 की सफल लॉन्चिंग हो चुकी है, बिजली की तेजी के साथ खुले आसमान की ओर दौड़े रॉकेट के साथ चंद्रयान-3 का चांद का सफर शुरु हो चुका है। जल्द ही यह पृथ्वी के ऑर्बिट को पार कर जाएगा। चंद्रयान-3 के स्पेसक्राफ्ट के 3 रोवर और प्रोपल्शन मॉड्यूल रखे गए हैं। 23 या 24 अगस्त को यह लैंडर और रोवर चंद्रमा के दक्षिणी धु्रव पर उतरने वाले हैं। इस मिशन के तहत चंद्रमा की मिट्टी और धूल समेत अनेक तथ्यों पर स्टडी की जानी है।
दो कदम दूर सफलता
भारत का चंद्रयान-3 मिशन अब सफलता से मात्र दो कदम दूर है, पहला कदम इसकी सफल लॉन्चिंग का है और दूसरा इसकी सफल लैंडिंग का। अगर यह मिशन सफल होता है तो भारत रूस, अमेरिका और चीन के बाद ऐसा करने वाला चौथा देश बन जाएगा।
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बेहद सस्ता है भारत का यह मिशन
चंद्रयान-3 मिशन की बात की जाए तो यह बेहद ही सस्ता मिशन है, इसका बजट मात्र 615 करोड़ रुपए है, जो कि दुनिया के अन्य स्पेस मिशन के मुकाबले बेहद सस्ता है। इससे पहले मंगलयान मिशन को भी भारत ने सफलता पूर्वक पूरा किया था, जो कि अन्य देशों की तुलना में सबसे सस्ता मिशन था। हॉलीवुड ही नहीं अब तो बॉलीवुड की फिल्मों का बजट भी इस मिशन से कहीं ज्यादा रहने लगा है।
10 चरणों में चंद्रमा की सतह तक पहुंचेगा चंद्रयान-3
पहला चरण: पृथ्वी केंद्रित यानी धरती पर होने वाले काम. इसमें तीन स्टेज आते हैं। लॉन्च से पहले का स्टेज, लॉन्च और रॉकेट को अंतरिक्ष तक ले जाना और धरती की अलग-अलग कक्षाओं में चंद्रयान-3 को आगे बढ़ाना। इस दौरान चंद्रयान-3 करीब छह चक्कर धरती के चारों तरफ लगाएगा फिर वह दूसरे फेज की तरफ बढ़ जाएगा।
दूसरा चरण: लूनर ट्रांसफर फेज यानी चंद्रमा की तरफ भेजने का काम। इस फेज में ट्रैजेक्टरी का ट्रांसफर किया जाता है यानी स्पेसक्राफ्ट लंबे से सोलर ऑर्बिट से होते हुए चंद्रमा की ओर बढ़ने लगता है।
तीसरा चरणः लूनर ऑर्बिट इंसर्सन फेज (LOI). यानी चांद की कक्षा में चंद्रयान-3 को भेजा जाएगा।
चौथा चरण: इसमें सात से आठ बार ऑर्बिट मैन्यूवर करके चंद्रयान-3 चंद्रमा की सतह से 100 किमी ऊंची कक्षा में चक्कर लगाना शुरू कर देगा।
पांचवां चरण: प्रोपल्शन मॉड्यूल और लूनर मॉड्यूल एकदूसरे से अलग होंगे।
छठा चरण: डी-बूस्ट फेज यानी जिस दिशा में जा रहे हैं, उसमें गति को कम करना।
सातवां चरण: प्री-लैंडिंग फेज यानी लैंडिंग से ठीक पहले की स्थिति. लैंडिंग की तैयारी शुरू की जाएगी।
आठवां चरण: इसमें लैंडिंग कराई जाएगी।
नौवां चरण: लैंडर और रोवर चंद्रमा की सतह पर पहुंच कर सामान्य हो रहे होंगे।
दसवां चरण: प्रोपल्शन मॉड्यूल का चंद्रमा की 100 किलोमीटर की कक्षा में वापस पहुंचना।