‘चंद्रयान-3’ की 13 जुलाई को लॉन्चिंग, जानें लैंडिंग तकनीक में क्या किए अहम बदलाव, इंडिया के लिए खास है ये मिशन

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Pratibha Rana
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‘चंद्रयान-3’ की 13 जुलाई को लॉन्चिंग, जानें लैंडिंग तकनीक में क्या किए अहम बदलाव, इंडिया के लिए खास है ये मिशन

New Delhi. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) 13 जुलाई 2023 को चंद्रयान-3 अभियान लॉन्च करेगा। इसे श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन स्पेस सेंटर से जीएसएलवी-एमके3 राकेट से दोपहर 2:30 बजे चंद्रमा पर भेजा जाएगा। इस महत्वाकांक्षी अभियान में लैंडर और रोवर चंद्रमा की सतह पर उतरेंगे। इसरो के अधिकारियों ने बुधवार (28 जून) को यह जानकारी दी। उन्होंने कहा, इस बार लैंडिंग तकनीक में अहम बदलाव किए गए हैं। अगर चंद्रयान-3 का लैंडर चांद पर उतरने में सफल होता है तो भारत ऐसा करने वाला चौथा देश बन जाएगा। इससे पहले अमेरिका, रूस और चीन चंद्रमा पर अपने स्पेसक्राफ्ट उतार चुके हैं।



सारे टेस्ट पूरे हो होने का इंतजार



इसरो चीफ एस सोमनाथ ने न्यूज एजेंसी एएनआई से कहा कि चंद्रयान-3 को 13 जुलाई से 19 जुलाई के बीच लॉन्च होना है। यान पूरी तरह तैयार है। सारे टेस्ट पूरे हो जाने के बाद लॉन्चिंग की सही तारीख की घोषणा की जाएगी। संभावना है कि 13 जुलाई इसके लिए बेहतर रहेगा। 



रूसी मिशन स्थगित, इसरो के पास पहले लैंडिंग का मौका



इधर, रूस ने अपना मून लैंडर मिशन स्थगित कर दिया है। ऐसा ग्राउंड इन्फ्रास्ट्रक्चर के एडिशनल चेक्स पूरे न होने की वजह से किया गया है। इससे पहले 2022 में भी रूसी मिशन तकनीकी दिक्कतों की वजह से टाला गया था। ऐसे में भारत के चंद्रयान-3 के पास रूस से पहले चंद्रमा पर उतरने का मौका है।



2019 में चंद्रयान-2 मिशन का लैंडर हो गया था दुर्घटनाग्रस्त 



चंद्रयान-2 मिशन को 22 जुलाई 2019 को लॉन्च किया गया था। करीब 2 महीने बाद 7 सितंबर 2019 को चंद्रमा के साउथ पोल पर उतरने की कोशिश कर रहा विक्रम लैंडर दुर्घटनाग्रस्त हो गया था। इसके बाद से ही भारत चंद्रयान-3 मिशन की तैयारी कर रहा है।



इसरो चीफ बोले- हमने चंद्रयान-2 की गलतियों से सीखा



इसरो चीफ एस सोमनाथ ने कहा कि चंद्रयान-2 मिशन में हम असफल हुए थे। जरूरी नहीं कि हर बार हम सफल ही हों, लेकिन बड़ी बात ये है कि हम इससे सीख लेकर आगे बढ़ें। उन्होंने कहा कि असफलता मिलने का मतलब ये नहीं कि हम कोशिश करना ही बंद कर दें। चंद्रयान- 3 मिशन से हमें बहुत कुछ सीखने को मिलेगा और हम इतिहास रचेंगे।



अब पढ़िए चंद्रयान-3 क्या है



चंद्रयान मिशन के तहत इसरो चांद की स्टडी करना चाहता है। भारत ने पहली बार 2008 में चंद्रयान-1 की सक्सेसफुल लॉन्चिग की थी। इसके बाद 2019 में चंद्रयान-2 की लॉन्चिंग में भारत को असफलता मिली। अब भारत चंद्रयान-3 लॉन्च करके इतिहास रचने की कोशिश में है। इसकी लॉन्चिंग श्रीहरिकोटा के सतीश धवन स्पेस सेंटर से होगी।



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चंद्रयान-3 को चंद्रमा तक पहुंचाने के तीन हिस्से



इसरो ने स्पेस शिप को चंद्रमा तक पहुंचाने के लिए तीन हिस्से तैयार किए हैं, जिसे टेक्निकल भाषा में मॉड्यूल कहते हैं। चंद्रयान-2 में इन तीनों के अलावा एक हिस्सा और था, जिसे ऑर्बिटर कहा जाता है। उसे इस बार नहीं भेजा जा रहा है। चंद्रयान-2 का ऑर्बिटर पहले से ही चंद्रमा के चक्कर काट रहा है। अब इसरो उसका इस्तेमाल चंद्रयान-3 में करेगा।



इसरो का नेविगेशन सैटेलाइट NVS-01 लॉन्च



भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने सोमवार (26 जून) को श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन स्पेस सेंटर से नेविगेशन सैटेलाइट NVS-01 को सफलतापूर्वक लॉन्च किया था। इससे हमारा NavIC नेविगेशन सिस्टम और मजबूत होगा।


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