चंद्रमा की सबसे करीबी कक्षा में पहुंचा चंद्रयान-3, लेकिन रूस का लूना-25 पहले उतरेगा चांद पर 

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Pratibha Rana
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चंद्रमा की सबसे करीबी कक्षा में पहुंचा चंद्रयान-3, लेकिन रूस का लूना-25 पहले उतरेगा चांद पर 

Bangalore. भारत इसी महीने इतिहास रचने जा रहा है। बुधवार (16 अगस्त) को चांद की सतह पर अपना लैंडर उतारने वाला चौथा देश बनने के भारत और करीब पहुंच गया है। चंद्रमा की सतह से चंद्रयान-3 की दूरी अब सिर्फ 153 किलोमीटर ही रह गई है। भारत के थर्ड मून मिशन यानी चंद्रयान-3 ने बुधवार को अंतिम बार अपनी कक्षा में बदलाव किया। अब गुरुवार (17 अगस्त) को प्रोपल्शन माड्यूल और लैंडर माड्यूल को अलग करने की तैयारी होगी। 23 अगस्त को चांद पर लैंडर की साफ्ट लैंडिंग कराने की तैयारी है। उसके बाद इसमें से रोवर निकलेगा और अपना काम करेगा। 



हालांकि रूस का लूना-25 स्पेसक्राफ्ट 16 अगस्त को भारतीय समयानुसार दोपहर 2:27 बजे चांद की 100 किलोमीटर की ऑर्बिट में पहुंच गया। यह स्पेसक्राफ्ट 21 अगस्त को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सॉफ्ट लैंडिंग करेगा यानी भारत के चंद्रयान -3 से दो दिन पहले। 



चंद्रयान-3: अब प्रोपल्शन माड्यूल और लैंडर अलग होने के लिए तैयार 



भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ‘ चंद्रयान-3 के चंद्रमा तक पहुंचने की सभी प्रक्रियाएं पूरी कर ली गई हैं। हमारी आशा के मुताबिक चंद्रमा की 153 किलोमीटर x 163 किलोमीटर की कक्षा में चंद्रयान-3 स्थापित हो गया। इसके साथ ही चंद्रमा की सीमा में प्रवेश की प्रक्रिया पूरी हो गई। अब प्रोपल्शन माड्यूल और लैंडर अलग होने के लिए तैयार हैं।' 



आज से लैंडर-रोवर की गति घटाने का प्रयास होगा 



इसरो के अनसुार, 17 अगस्त को लैंडिंग माड्यूल, जिसमें लैंडर विक्रम और रोवर प्रज्ञान शामिल हैं, प्रोपल्शन माड्यूल से अलग हो जाएंगे। इसके बाद लैंडर-रोवर की गति घटाने का प्रयास किया जाएगा। 23 अगस्त को यान के लैंडर की चंद्रमा की सतह पर साफ्ट लैंडिंग कराई जाएगी। 



इसरो प्रमुख बोले-इंजन फेल भी हो जाता है तो भी चंद्रमा की सतह पर लैंडिंग होगी



इसरो प्रमुख एस सोमनाथ ने कहा, चंद्रयान-3 का लैंडर विक्रम 23 अगस्त को चंद्रमा की सतह पर साफ्ट लैंडिंग करेगा। अगर इसका इंजन फेल भी हो जाता है तो भी चंद्रमा की सतह पर लैंडिंग होगी। 



अब तक तीन देशों ने चंद्रमा की सतह पर लैंडर उतारे 



अब तक अमेरिका, रूस और चीन ने ही चंद्रमा की सतह पर अपने लैंडर उतारे हैं। चंद्रयान-3 की कामयाबी के साथ ही भारत ऐसा करने वाला दुनिया का चौथा देश बन जाएगा। पूर्व में चंद्रयान-2 मिशन के तहत भारत ने 2019 में लैंडर को उतारने का प्रयास किया था। हालांकि आखिरी क्षणों में लैंडर से संपर्क टूट गया था और उसकी क्रैश लैंडिंग हो गई थी। 



'चंद्रयान-3' और रूस के 'लूना-25' में चंद्रमा पर उतरने की होड़ 



भारत के 'चंद्रयान-3' और रूस के 'लूना-25' के अगले सप्ताह चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरने की होड़ तेज हो गई है। विशेषज्ञों का कहना है कि भारत का चंद्रयान मिशन जहां 23 अगस्त को चांद पर साफ्ट लैंडिंग करेगा वहीं रूसी 'लूना-25' इससे एक-दो दिन पहले यानी 21 या 22 अगस्त को चांद के दक्षिणी ध्रुव पर लैंड करने वाला है। चंद्रमा पर रिसर्च में रूस फिर से महत्वपूर्ण वापसी करने जा रहा है। 



21 अगस्त को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सॉफ्ट लैंडिंग करेगा रूस का लूना-25



रूस की स्पेस एजेंसी रोस्कोस्मोस ने 11 अगस्त को सोयूज 2.1बी रॉकेट के जरिए अमूर ओब्लास्ट के वोस्तोनी कॉस्मोड्रोम से लूना-25 को लॉन्च किया गया था। लूना-25 को उसी दिन अर्थ की ऑर्बिट से चांद की तरफ भेज दिया गया था। 12 और 14 अगस्त को स्पेसक्राफ्ट ने अपने पाथ को दो बार थ्रस्टर चलाकर एडजस्ट किया था। 5 अगस्त को चंद्रमा की कक्षा में पहुंचने के बाद चंद्रयान-3 की कक्षा चौथी बार बदली गई है। 16 अगस्त को स्पेसक्राफ्ट चंद्रमा की ग्रैविटी में कैप्चर हो सके, इसके लिए थ्रस्टर दो बार फायर किए गए। एडजस्टिंग ब्रेक थ्रस्टर को 243 सेकंड के लिए चालू किया। फिर सॉफ्ट लैंडिंग थ्रस्टर को 76 सेकंड के लिए फायर किया गया। 21 अगस्त को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सॉफ्ट लैंडिंग होने की संभावना है।


Chandrayaan-3 चंद्रयान-3 Chandrayaan of India on moon Russia vehicle in race to go to moon another step on August 17 India will create history चांद पर भारत का चंद्रयान रूस का लूना-25 चांद पर जाने की होड़ में रूस का यान 17 अगस्त को एक और कदम