नई दिल्ली. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण नरेंद्र मोदी सरकार का 10वां बजट पेश करने वाली हैं। इस बीच हम आपको थोड़ा बजट इतिहास के बारे में बताने जा रहे हैं। जानिए, अटल बिहारी वाजपेयी से लेकर नरेंद्र मोदी सरकार ने बजट के साथ जुड़ी परंपराओं में ये बदलाव किए...
वाजपेयी सरकार ने बदला समय: अटल सरकार ने भी बजट से जुड़ी एक पुरानी परंपरा को बदल दिया था। 1999 से पहले सभी बजट शाम के 5 बजे पेश किए जाते थे, लेकिन तत्कालीन वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा ने 1999 में इसे परंपरा को तोड़ते हुए पहली बार आम बजट सुबह 11 बजे पेश किया था। तब से बजट लोकसभा में सुबह 11 बजे ही पेश हो रहा है।
बजट की तारीख बदली: 2014 में केंद्र में नरेंद्र मोदी की सरकार आने से पहले तक बजट फरवरी महीने की आखिरी तारीख 28 या 29 फरवरी को पेश किया जाता था, लेकिन मोदी सरकार ने इस परंपरा को बदला और आम बजट पेश करने की तारीख फरवरी के अंत के बजाय शुरुआत से कर दी यानी बजट 1 फरवरी को पेश किया जाने लगा। यह बजट परंपरा में एक बड़ा बदलाव था।
रेल बजट का आम बजट में विलय: नरेंद्र मोदी सरकार ने 1924 से चली आ रही रेल बजट की परंपरा को भी 2016 में बदल डाला। 2016 से पहले रेल बजट को आम बजट से कुछ दिन पहले अलग से पेश किया जाता था, लेकिन 2016 में इसे बदलते हुए तत्कालीन केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने रेल बजट को आम बजट के साथ मिलाकर पेश किया था। देश का पहला रेल बजट 1924 में पेश हुआ था।
लाल ब्रीफकेस की जगह बही-खाता: 1947 से वित्त मंत्री आम बजट संसद में पेश करने के लिए लाल रंग के ब्रीफकेस में लेकर आया करते थे। मोदी सरकार ने 2019 में इस परंपरा में भी बदलाव किया और उसके बाद से लाल ब्रीफकेस के बजाय बजट लाल कपड़े में लपेटकर बही-खाते के रूप में लाया जाने लगा। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इस बदलाव पर कहा था कि देश का बजट दरअसल देश का बही-खाता होता है, इसलिए उन्होंने बजट के स्वरूप में बदलाव किया।
अमीरों पर लगाया सरचार्ज: बजट इतिहास की कई परंपराओं को बदलते हुए मोदी सरकार ने एक और बड़ा बदलाव किया। देश के रईसों पर लगने वाले वेल्थ टैक्स को हटा दिया गया और इसके बजाय सरचार्ज लगाया जाने लगा। 2016 के बजट में सरकार ने 1 करोड़ से अधिक की कमाई करने वाले अमीरों पर सरचार्ज 12% से बढ़ाकर 15% कर दिया।