UTTARKASHI. अक्षय तृतीय के अवसर पर 22 अप्रैल, शनिवार को गंगोत्री-यमुनोत्री के कपाट ग्रीष्मकाल के लिए श्रद्धालुओं के दर्शनार्थ खोल दिए गए। गंगोत्री के कपाट 12:35 मिनट और यमुनोत्री के कपाट 12:41 मिनट पर खुले। मां गंगा की भोगमूर्ति और छड़ी गंगोत्री धाम में विराजमान हुई। इसके साथ ही चारधाम यात्रा शुरू हो गई है। मुख्यमंत्री पुष्कर धामी ने गंगोत्री धाम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम से पहली पूजा की। धामी, यमुना की डोली रवाना होने के मौके पर खरसाली भी पहुंचे। इस दौरान श्रद्धालुओं पर हेलीकॉप्टरों से पुष्पवर्षा की गई। दोनों धामों में चारों तरफ बर्फ की चादर देख देश और विदेश से पहुंचे श्रद्धालु रोमांचित नजर आए।
भगवान केदारनाथ की चल विग्रह डोली यात्रा निकली
भगवान केदारनाथ की चल विग्रह डोली यात्रा फाटा पहुंची। इस दौरान बड़ी संख्या में स्थानीय भक्तों ने डोली का फूल मालाओं के साथ भव्य स्वागत किया। रविवार को डोली फाटा से प्रस्थान कर गौरीकुंड पहुंचेगी। केदारनाथ के कपाट 25 अप्रैल को खोले जाएंगे।
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25 को केदारनाथ और 27 को बदरी विशाल के कपाट खुलेंगे
भगवान बदरीविशाल के अभिषेक में प्रयोग किए जाने वाले तेल की कलश यात्रा गाड़ू घड़ा सोमवार 24 अप्रैल को डिम्मर से बदरीनाथ के लिए रवाना होगी। यात्रा 25 अप्रैल, मंगलवार को पांडुकेश्वर और 26 अप्रैल, बुधवार को बदरीनाथ धाम पहुंचेगी। 27 अप्रैल, गुरुवार को बदरी विशाल के कपाट श्रद्धालुओं के लिए खोल दिए जाएंगे।
अब तक 16.89 लाख यात्रियों ने करवाया पंजीकरण
अब तक 16.89 लाख यात्री पंजीकरण करवा चुके हैं। इसमें सर्वाधिक छः लाख चार सौ चौतीस केदारनाथ के लिए पंजीकरण हुए हैं। चारधाम यात्रा पर आने वाले देश-विदेश के श्रद्धालुओं का देवभूमि उत्तराखंड में स्वागत है। पर्यटन मंत्री ने कहा है कि चारों धामों के साथ ही हेमकुंड साहिब में भी इस बार श्रद्धालुओं की सहायता के लिए पर्यटन सहायता और सुरक्षा मित्र की तैनाती की गई है।
मुखबा गांव से शुरू हुई डोली यात्रा
मां गंगा की भोगमूर्ति को डोली में विराजमान किया गया। मुखबा गांव से डोली को जयकारों के साथ दोपहर 12 बजकर 15 मिनट पर आर्मी बैंड, ढोल दमाऊं और रणसिंगे के साथ गंगोत्री धाम के लिए रवाना किया गया। मुखबा गांव की महिलाओं ने फूल बरसाकर मां गंगा की डोली को विदा किया। इसके बाद तीर्थपुरोहित व श्रद्धालु मां गंगा की डोली के साथ मुखबा से जांगला तक पगडंडी से 7 किमी तक पैदल चलकर गंगोत्री हाईवे पहुंचे। उसके बाद सड़क मार्ग से पैदल भैरो घाटी पहुंचे। यहां भैरो मंदिर में मां गंगा की डोली ने रात्रि विश्राम किया।