Chhatrapati Shivaji Maharaj Statue Collapsed : महाराष्ट्र के सिंधु दुर्ग जिले के राजकोट किले पर स्थापित छत्रपति शिवाजी महाराज की प्रतिमा (Chhatrapati Shivaji Maharaj statue) गिर गई है। यह प्रतिमा पिछले साल 4 दिसंबर को नौसेना दिवस के अवसर पर स्थापित की गई थी। प्रतिमा का अनावरण प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने किया था। इस मूर्ति के ढहने की वजह अभी तक स्पष्ट नहीं हो पाई है। फिलहाल जांच जारी है।
इधर सिंधुदुर्ग में शिवाजी की प्रतिमा ढहने पर शिवसेना (UBT) और एनसीपी सहित तमाम विपक्षी दल इस मुद्दे पर शिंदे सरकार को घेर रहे हैं। आइए जानते हैं ये प्रतिमा बनाने वाली कंपनी कौन थी और अब तक ऐसी कितनी घटनाएं सामने आई, साथ इस पर विपक्ष की क्या प्रतिक्रिया रही...
किसने बनाई थी प्रतिमा
जानकारी के अनुसार नौसेना दिवस के अवसर पर यह प्रतिमा 'बहादुरी को सलाम' के तौर पर स्थापित की गई थी। इसे बनाने वाली कंपनी मेसर्स आर्टिस्टरी थी, जिसके प्रोपराइटर जयदीप आप्टे हैं। जयदीप ने सितंबर 2023 में प्रतिमा बनाने का काम शुरू किया था, जो दिसंबर तक पूरा कर दिया गया था। इसके बाद पीएम मोदी ने इस प्रतिमा का अनावरण किया। छत्रपति शिवाजी महाराज की प्रतिमा स्थापित करने पर 3600 करोड़ रुपए की लागत आई थी।
प्रतिमा का गुणवत्ता निरीक्षण किसने किया
सरकारी स्तर पर कोई प्रतिमा बनाई जाती है तो उसकी गुणवत्ता का निरीक्षण भी किया जाता है। इस प्रतिमा का निरीक्षण स्ट्रक्चरल कंसलटेंट डा. चेतन एस पाटील ने किया था। उन्होंने प्रतिमा की स्टेबिलिटी एनालिसिस की थी।
सरकार की हो रही है आलोचना
छत्रपति शिवाजी महाराज की मूर्ति गिरने के बाद विपक्षी दलों ने काम की गुणवत्ता और मूर्ति के अनावरण की जल्दबाजी का आरोप लगाकर सरकार की आलोचना की है। मूर्ति गिरने के बाद शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) विधायक वैभव नाइक ने इस मुद्दे पर आक्रामक रुख अपनाया है। उनका कहना है कि समय पर यदि गुणवत्ता की जांच होती तो आज ऐसी नौबत नहीं आती।
अब तक क्या एक्शन हुआ?
छत्रपति शिवाजी महाराज की प्रतिमा ढहने के मामले में दो लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है। शिकायत में ठेकेदार और आर्टिसरी कंपनी के मालिक जयदीप आप्टे और स्ट्रक्चरल कंसल्टेंट डॉक्टर चेतन पाटिल पर लापरवाही का आरोप लगाया गया है।
जयदीप आप्टे और चेतन पाटिल दोनों पर भारतीय न्याय संहिता की विभिन्न धाराओं, विशेष रूप से धारा 109, 110, 125 और 318 (3) (5) के तहत मामला दर्ज किया गया है। प्रतिमा ढहने के संबंध में एक असिस्टेंट इंजीनियर और पीडब्ल्यूडी अधिकारी अजीत पाटिल ने सिंधुदुर्ग पुलिस में शिकायत दर्ज कराई है।
महाकाल लोक में भी गिरी थीं मूर्तियां
2023 में उज्जैन के महाकाल लोक में लगी सप्त ऋषियों की प्रतिमाएं भी हल्के से तूफान के दौरान अचानक गिर गईं थीं। इस घटना से क्षेत्र में हड़कंप मच गया था। इस घटना को लेकर विपक्ष ने सरकार को घेरा था। मूर्तियों के गिरने का प्राथमिक कारण निर्माण सामग्री में कमी या ढांचे की कमजोर स्थिति बताई गई थी। प्रारंभिक जांच के अनुसार मूर्तियों को समर्थन देने वाली संरचना में तकनीकी खामियां थी।
मूर्तियों की मरम्मत और पुनर्स्थापन
इसके बाद राज्य सरकार ने मूर्तियों की मरम्मत और पुनर्स्थापन के लिए एक विशेष दल को नियुक्त किया। इसके बाद इन मूर्तियों को फिर से बनाया गया और स्थापित किया गया था।
Thesootr View : ये कैसी गारंटी
विगत दिवस महाराष्ट्र के सिंधु दुर्ग जिले के राजकोट किले पर स्थापित छत्रपति शिवाजी महाराज की प्रतिमा पत्तों की तरह गिर गई। यह प्रतिमा सिर्फ आठ माह पहले ही 3600 करोड़ रुपए की लागत से बनी थी। दावा था कि सारे क्वालिटी चेक के बाद इसे स्थापित किया गया है। कमोबेश इसी हालात में उज्जैन के महाकाल लोक की प्रतिमाएं भी तेज हवा के कारण उड़ती नजर आई थीं। अरबों रुपए की लागत से हुए ये निर्माण सालभर भी नहीं टिक सके। आम आदमी के टैक्स के पैसों का इससे बड़ा दुरुपयोग भला क्या हो सकता है? उससे भी बड़ी चिंता की बात यह है कि काम की गुणवत्ता की गारंटी देने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथों इन दोनों ही जगहों पर प्रतिमाओं का लोकार्पण करवाया गया था। दोनों ही राज्यों में सरकार भी बीजेपी की है। ऐसे में हजारों करोड़ यूं बर्बाद होना, दरअसल जाने- अनजाने खुद प्रधानमंत्री की प्रतिष्ठा को ही प्रभावित करता है।
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