रायपुर। छत्तीसगढ़ में नीट एंड क्लीन गवर्नमेंट की छवि लेकर चल रही कांग्रेस की भूपेश बघेल सरकार भी आखिर उसी हमाम में मिली, जिसके आरोप अब तक पूर्ववर्ती रमन सिंह सरकार पर लगा रही थी। 17 दिसंबर 2018 को शपथ लेने वाली बघेल सरकार को भी वही विज्ञापन वाला रोग लगा हुआ है। सरकार ने खुद माना है कि उसने अपने अब तक के ढाई साल के कार्यकाल में 2 अरब 08 करोड़ 71 लाख से ज्यादा के विज्ञापन दिए हैं। अपनी छवि को चमकाने के लिए बघेल सरकार ने अपने सूबे तो सूबे बाहर के मीडिया को भी खूब उपकृत किया है। अगर पूछ गए सवाल को ही आधार मानें तो 896 दिन की हो चुकी इस सरकार ने रोजाना 23 लाख रुपए से भी ज्यादा अपना चेहरा चमकाने के लिए खर्च किए हैं।
... जब पुराने सीएम ने पूछा सवाल तो हुआ खुलासा
छत्तीसगढ़ में इन दिनों विधानसभा का मानसून सत्र चल रहा है। कांग्रेस सदन के अंदर तो भाजपा के हमले झेल ही रही है। अपनी ही पार्टी के कद्दावर नेता टीएस सिंहदेव और उनके समर्थकों की नाराजगी का दौर जारी है सो अलग... ऐसे में पूर्व सीएम रमन सिंह ने जब विधानसभा में 1 जनवरी 2019 से 15 जून 2021 तक के सरकारी विज्ञापनों का खर्चा मांग लिया तो मीडिया में सरकार की छवि चमकाने की शाहखर्ची का कच्चा चिट्ठा खुल गया। सरकार ने लिखित में बताया है कि प्रिंट मीडिया को 92 करोड़ 29 लाख 23 हजार 126 रुपए और टीवी मीडिया को एक अरब 16 करोड़ 42 लाख 62 हजार 301 रुपए के विज्ञापन जारी किए। उल्लेखनीय यह भी है कि सरकार ने एक अरब 90 करोड़ से ज्यादा का भुगतान भी कर दिया।
कर्ज लेकर किया खुद का प्रचार!
आपको बता दें कि पिछले विधानसभा सत्र में ही सरकार ने माना था कि राज्य सरकार पर कुल 57,848 करोड़ रुपए का कर्ज है। खुद मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने बताया था कि राज्य में एक दिसंबर 2018 से 31 जनवरी 2020 तक 17,729 करोड़ रुपए का कर्ज लिया गया है। सरकार की इस मेहरबानी पर अब खुद छत्तीसगढ़ में ही लोग सवाल कर रहे हैं कि एक गरीब प्रदेश कोरोना काल में इतना भारी— भरकम पैसा आखिर विज्ञापनों पर कैसे खर्च कर सकती है? वह भी तब जबकि सरकार ने 57,848 करोड़ से ज्यादा कर्जा भी लिया हो?