PATNA. बिहार में रोहतास के नासरीगंज इलाके में सोन नदी पर बने पुल के दो पिलर के बीच फंसे 11 साल के बच्चे को बाहर निकाल लिया गया, लेकिन उसकी जान नहीं बचाई जा सकी। गंभीर हालत में उसे सासाराम सदर अस्पताल में भर्ती किया गया था। जहां उसकी इलाज के दौरान गुरुवार (8 जून) की देर शाम मौत हो गई। बच्चे को निकालने के लिए एनडीआरएफ और एसडीआरएफ के 3 अफसर और 35 जवानों ने 25 घंटे तक रेस्क्यू चलाया। बच्चे का नाम रंजन कुमार है। उसे बुधवार (7 जून) सुबह 11 बजे पिलर के गैप में देखा गया था। शाम 4 बजे से उसका रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू किया गया था।
बांस से खाना और पाइप से ऑक्सीजन दी गई
रेस्क्यू ऑपरेशन के दौरान गुरुवार (8 जून) सुबह उसे बांस की मदद से खाना दिया गया। पाइप से ऑक्सीजन दी गई। पहले पिलर में तीन फीट चौड़ा होल किया गया, लेकिन रेस्क्यू में फिर दिक्कत आ गई। फिर स्लैब को तोड़कर शाम करीब पांच बजे निकाला गया।
रेस्क्यू ऑपरेशन में हो रही थी दिक्कतें
राहत और बचाव कार्य में जुटे एनडीआरएफ के अधिकारी ने बताया कि जिस कंडीशन में बच्चा फंसा था, वो बहुत ही क्रिटिकल सिचुएशन थी। रेस्क्यू में सबसे बड़ी दिक्कत ये आ रही थी कि स्पेशल इक्युपमेंट का इस्तेमाल करने लायक कोई प्लेटफॉर्म नहीं बन पा रहा था। SDM उपेंद्र पाल ने बताया कि बच्चे की स्थिति अभी सामान्य नहीं है।
रेस्क्यू के तीन तरीके अपनाए, स्लैब तोड़कर निकाला
- बुधवार रात पुल को तोड़कर बच्चे तक पहुंचने की कोशिश की गई।
7 जून सुबह 11 बजे फंसा था बच्चा
जानकारी के मुताबिक, बुधवार (7 जून) सुबह 11 बजे दो पिलर के बीच बच्चे को फंसा देख लोग वहां जमा हो गए। बच्चे के परिजन ने उसे निकालने की बहुत कोशिश की, लेकिन नाकाम रहे। फिर स्थानीय प्रशासन को इसकी जानकारी दी गई।
कबूतर पकड़ने गया था, तभी फंस गया
बच्चा रंजन कुमार खिरिआव गांव का रहने वाला है। उसके पिता शत्रुघ्न प्रसाद ने बताया कि बेटा मानसिक रूप से कमजोर है। वह पिछले दो दिनों से लापता था। उसकी लगातार खोजबीन कर रहे थे। बताया जा रहा है कि वह कबूतर पकड़ने गया था। इसी दौरान फंस गया। बुधवार (7 जून) दोपहर एक महिला ने पुल में फंसे बच्चे को रोते हुए देखा। इसके बाद उसने परिजन को सूचना दी। मौके पर मौजूद भीड़ ने पहले अपने स्तर से फंसे बच्चे को निकालने का प्रयास किया, लेकिन जब वो नहीं निकल सका तब पुलिस प्रशासन को सूचना दी।