CAA की आज अग्निपरीक्षा, सुप्रीम कोर्ट ओके करेगा या लगाएगा रोक ?

केंद्र सरकार ने हाल ही में अधिसूचना जारी कर नागरिकता संशोधन कानून (CAA) को लागू करने की घोषणा की थी। हालांकि सरकार द्वारा अधिसूचना जारी करने के बाद इसे लेकर सवाल उठाए गए। इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में 200 से ज्यादा याचिकाएं दायर की गई हैं, जिन पर आज सुनवाई होना है...

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Dr Rameshwar Dayal
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New Delhi: नागरिकता संशोधन कानून ( CAA ) की आज अग्निपरीक्षा है। आज देश को यह पता चलेगा कि केंद्र सरकार ( central government) द्वारा इसे लागू करने का निर्णय न्यायसंगत है या इसे संविधान के विरुद्ध जाकर लागू किया गया है। असल में सीएए के खिलाफ आज सुप्रीम कोर्ट ( supreme court ) में सुनवाई है। इन कानून के खिलाफ कोर्ट में 200 से अधिक याचिकाएं डाली गई हैं, जिनको एकसाथ क्लब कर उन पर आज से सुनवाई शुरू होगी। 

पक्ष व विपक्ष में लगातार हो रही बहस

सीएए को जब से अधिसूचित किया गया है, तब से देश में इसको लेकर खासी बहस चल रही है। इसके पक्ष में सरकार, राजनीतिक दलों व लोगों के अपने तर्क हैं, लेकिन इसके खिलाफ इफरात में सुप्रीम कोर्ट में पहुंची याचिकाएं यह भी इशारा कर रही हैं कि इसको लेकर विरोध के सुर भी तेज हैं। इसी बात को ध्यान में रखते हुए आज भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ इस पर सुनवाई करेगी। गौरतलब है कि इस कानून को साल 2019 में संसद में पारित किया गया था, लेकिन इसे हाल ही में अधिसूचित कर लागू किया गया है।

विरोध करने वाले कौन संगठन व लोग हैं

केंद्र सरकार ने हाल ही में अधिसूचना जारी कर नागरिकता संशोधन कानून (CAA) को लागू करने की घोषणा की थी। हालांकि सरकार द्वारा अधिसूचना जारी करने के बाद इसे लेकर सवाल उठाए गए। इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में 200 से ज्यादा याचिकाएं दायर की गई। सुप्रीम कोर्ट ने भी शुक्रवार को इस कानून के क्रियान्वयन पर रोक लगाने की मांग पर विचार करने के लिए सहमति जताई थी और इसके लिए आज का दिन निश्चित किया था। इस कानून का विरोध करने वालों में आईयूएमएल, असम के कांग्रेस नेता देबब्रत सैकिया, असम जातीयतावादी युवा छात्र परिषद (एक क्षेत्रीय छात्र संगठन), डेमोक्रेटिक यूथ फेडरेशन ऑफ इंडिया (DYFI) और सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया (SDPI) आदि शामिल हैं।

क्या है विरोध के कारण

इस कानून को लेकर जो आपत्तियां दर्ज की गई हैं उनमें कहा गया है कि साढ़े चार साल तक इसे लागू नहीं किया गया, लेकिन अब इसे अधिसूचित करना इस पर सवाल उठाता है। सीएए में धर्म के आधार पर नागरिकता देना संविधान के प्रविधानों का उल्लंघन है। वैसे केंद्र सरकार स्पष्ट कर चुकी है कि यह भारत के तीन पड़ोसी देशों से आए गैर मुस्लिम शरणार्थियों, जिनमें इनमें हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई शरणार्थी शामिल हैं, को नागरिकता देने के लिए लाया गया है और इसमें किसी की नागरिकता छीनने का प्रावधान नहीं है।

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