NEWDELHI. चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया डी वाई चंद्रचूड़ ने फेक न्यूज को लेकर बड़ी बात कही है। उन्होंने कहा कि आज के दौर में धैर्य और सहनशीलता खत्म होती जा रही है। उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया के दौर में झूठी खबरों का बोलबाला हो गया है, जबकि सही खबरें सोशल मीडिया का शिकार हो गई हैं। ऐसे में आप जो कुछ भी करते हैं, उसके लिए आपको किसी ऐसे व्यक्ति द्वारा हमेशा ट्रोल किए जाने का खतरा होता है, जो आपसे सहमत नहीं है। सीजेआई चंद्रचूड़ ने शुक्रवार (3 मार्च) को अमेरिकन बार एसोसिएशन की तीन दिवसीय कॉन्फ्रेंस में 'लॉ इन एज ऑफ ग्लोबलाइजेशन: कन्वर्जेंस ऑफ इंडिया एंड द वेस्ट' विषय पर अपने लेक्चर में यह बात कही।
संविधान बनाते समय हमारे पास नहीं थी निजता की धारणा
सीजेआई ने कहा कि आज हम दौर में रह रहे हैं, जहां लोगों मे धैर्य और सहनशीलता की कमी आ गई है। ऐसा इस वजह से हो रहा है क्योंकि वे उन दृष्टिकोणों को मामने को तैयार नहीं हैं, जो थोड़ा भी अलग हैं उन्होंने अपने लेक्चर में प्रौद्योगिकी और न्यायपालिका, कोरोना, न्यायिक पेशे का सामना करने वाले मुद्दों और महिला जजों की संख्या पर बात की। उन्होंने संविधान का जिक्र करते हुए कहा कि जब इसका मसौदा तैयार किया गया था, तब संविधान निर्माताओं को यह पता नहीं था कि मानवता किस दिशा में विकसित होगी। तब हमारे पास निजता की धारणा नहीं थी, कोई इंटरनेट नहीं था। हम उस दुनिया में नहीं रहते थे जो एल्गोरिदम से कंट्रोल होती थी। हमारे पास सोशल मीडिया नहीं था।
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वीडियो-कॉन्फ्रेंसिंग ने न्याय का विकेंद्रीकरण किया
सीजेआई ने कहा कि न्याय देने का तरीका बदल रहा है। वर्तमान दौर आइडियाज के वैश्वीकरण का है। तकनीक हमारा जीवन बदल रही है। हम जजों का जीवन भी बदला है। उन्होंने भारत समेत दुनियाभर में कोविड-19 के प्रकोप को याद करते हुए कहा कि भारतीय न्यायपालिका ने बहुत ही सौम्य तरीके से वीडियो-कॉन्फ्रेंसिंग शुरू की, इसके बाद सभी अदालतों में इसे शुरू किया गया। उन्होंने कहा कि कोरोना के कारण वीडियो-कॉन्फ्रेंसिंग ने न्याय का विकेंद्रीकरण किया है। उन्होंने कहा कि भारत का सुप्रीम कोर्ट नई दिल्ली स्थित तिलक मार्ग का सर्वोच्च न्यायालय नहीं है, बल्कि यह देश के छोटे से छोटे गांव के नागरिकों की आकांक्षाओं का प्रतिनिधित्व करता है।
वैश्वीकरण ने खुद के असंतोष को जन्म दिया
जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि वैश्वीकरण ने अपने खुद के असंतोष को जन्म दिया है। दुनियाभर में मंदी आने के कई कारण हैं। वैश्वीकरण विरोधी भावना में उछाल आया है, जिसकी उत्पत्ति उदाहरण के लिए 2001 के आतंकी हमलों में निहित है। इन हमलों ने दुनिया को ऐसे हमलों की कड़वी सच्चाई के सामने ला दिया, जिसे भारत देखता आ रहा था।
कई राज्यों में 50 प्रतिशत से अधिक महिला जज
जस्टिस ने कहा कि उनसे अक्सर पूछा जाता है कि देश में अधिक महिला जज क्यों नहीं हो सकतींं? उन्होंने कहा कि यह इस बात पर निर्भर करता है कि इस पेशे में कितनी महिलाएं आती हैं? बार में कितनी महिला वकील रजिस्ट्रेशन कराती हैं। उन्होंने कहा कि जब 2000 और 2023 के बीच यानी 23 साल में कानूनी पेशे में आने के लिए महिलाओं को बराबरी का मौका नहीं मिला तो आप 2023 में जादू की छड़ी चलाकर महिलाओं को शीर्ष अदालत में न्यायाधीश कैसे चुन पाएंगे। सीजेआई ने कहा कि भारत में जिला न्यायपालिका में हाल ही में हुई भर्तियों के आंकड़े बताते हैं कि कई राज्यों में 50 प्रतिशत से अधिक महिलाएं हैं। इसका सीधा कारण भारत में शिक्षा का प्रसार होना है।