JABALPUR. मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने सरकारी कर्मचारियों को पर्याप्त जांच और प्रक्रिया के बिना सस्पेंड करने की प्रवृत्ति को औपनिवेशिक सजा (colonial hang over) करार दिया है। इसे सरकारी कर्मचारी को निशाना बनाने वाले हथियार के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। हाईकोर्ट ने ये तल्ख टिप्पणी छिंदवाड़ा के प्रभारी मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी (सीएमएचओ) डॉ.जीसी चौरसिया को सस्पेंड किए जाने के आदेश के खिलाफ याचिका की सुनवाई करते हुए की है। उन्हें पिछले साल 9 दिसंबर 2022 को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने जनसेवा अभियान के तहत सार्वजनिक मंच से सस्पेंड करने का ऐलान किया था। जस्टिस आनंद पाठक ने डॉ. चौरसिया का निलंबन और अटैचमेंट का आदेश अवैधानिक बताते हुए इसे खारिज कर दिया है।
सीएम ने मंच से किया था सस्पेंड करने का ऐलान
उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने 9 दिसंबर 2022 को छिंदवाड़ा में जनसेवा अभियान के कार्यक्रम में छिंदवाड़ा के प्रभारी सीएमएचओ डॉक्टर चौरसिया को मंच से सस्पेंड करने की घोषणा की थी। इस आधार पर डॉक्टर चौरसिया को 9 दिसंबर को ही आयुक्त लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग, भोपाल के आदेश पर सस्पेंड कर दिया गया। उनके निलंबन आदेश में लिखा गया कि चूंकि आपको मुख्यमंत्री जी द्वारा निलंबित किया गया है, इसलिए आपको निलंबित किया जाता है। इसके 3 बाद ही 12 दिसंबर 2022 को सजा के तौर पर डॉक्टर चौरसिया को छिंदवाड़ा से हटाकर डिंडोरी अटैच करने का आदेश जारी कर दिया गया।
पहले भी CMHO को हटाने का ऐलान कर चुके थे सीएम
दरअसल हुआ ये था कि 22 सितंबर 2022 को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान छिंदवाड़ा जिले रामाकोना (सौंसर) में एक आयोजन में पहुंचे थे। इस अवसर पर जनसभा में सीएम ने मंच से वहां मौजूद जनता से पूछा था कि आप लोगों के आयुष्मान कार्ड बने कि नहीं। इस पर भीड़ में से एक व्यक्ति ने कहा कि नहीं बने। जनता के बीच से ये जवाब मिलने पर मुख्यमंत्री ने वहां मौजूद डॉ. चौरसिया को प्रभारी सीएमएचओ के पद से हटाने का ऐलान कर दिया। उन्हें हटाकर सौंसर के ब्लॉक मेडिकल ऑफिसर डॉक्टर एनके शास्त्री को जिले का प्रभारी CMHO नियुक्त किया गया।
डॉ. चौरसिया को मंच पर देखकर ये बोले थे सीएम शिवराज
इस आदेश के खिलाफ डॉक्टर चौरसिया ने 19 सितंबर 2022 को हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। इस पर हाईकोर्ट ने सुनवाई करते हुए 10 नवंबर 2022 को उन्हें CMHO के पद से हटाने के आदेश पर स्टे देते हुए दोबारा प्रभारी CMHO के रूप में कार्य करने का निर्देश दिया। इसके ठीक 1 महीने बाद सीएम शिवराज सिंह चौहान 9 दिसंबर को जन सेवा अभियान पर छिंदवाड़ा पहुंचे तो तो उन्होंने मंच पर डॉक्टर चौरसिया को खड़े देखकर कहा इन्हें तो मैं पहले हटा चुका हूं। ये फिर कैसे आ गए, इसके साथ ही उन्होंने डॉ. चौरसिया को मंच से ही निलंबित करने की घोषणा कर दी। इस पर डॉ. चौरसिया ने 9 दिसंबर के निलंबन आदेश और 12 दिसंबर को डिंडोरी अटैचमेंट के दोनों आदेश को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट जबलपुर में याचिका दायर की।
किसी के भी खिलाफ कार्रवाई में कानून के सिद्धांत-प्रक्रिया का पालन जरूरी
हाईकोर्ट के जस्टिस आनंद पाठक ने गुरुवार 6 जुलाई 2023 को डॉ. चौरसिया की याचिका का निपटारा करते हुए उनके निलंबन आदेश को अवैधानिक करार दिया है। इस मामले में डॉ.चौरसिया की ओर से पक्ष रखने वाले एडवोकेट डीके त्रिपाठी के मुताबिक इस चर्चित मामले में मुद्दा ये नहीं था कि कौन दोषी है और कौन नहीं। असल मुद्दा ये था कि आखिर कानून का सिद्धांत क्या है ? किसी के भी खिलाफ कोई भी कार्रवाई कानून के सिद्धांत और प्रक्रिया के हिसाब से होनी चाहिए। सवाल ये था कि क्या सिविल सर्विस रूल के अनुसार मुख्यमंत्री किसी को मंच से निलंबित कर सकते हैं ? यदि उन्होंने सस्पेंड कर भी दिया तो जिसके खिलाफ एक्शन लिया गया है उसे अपील करने का अधिकार और प्रावधान होता है। ऐसे में यदि किसी सरकारी कर्मचारी या अधिकारी को सीधे सीएम ने सस्पेंड कर दिया तो फिर वो अपील कहां-किससे करेगा। इसी आधार पर हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता के पक्ष में फैसला सुनाते हुए निलंबन की कार्रवाई को अनुचित करार दिया। कोर्ट ने कहा कि इस केस में कानून के स्थापित सिद्धांतों और प्रक्रियाओं का पालन नहीं किया गया है। जबकि मध्यप्रदेश सिविल सेवा नियमों के अनुसार किसी भी सरकारी कर्मचारी को निलंबित करने के लिए नियम और निर्धारित प्रक्रिया का पालन करना जरूरी है।