राजस्थान में कांग्रेस को लगा बड़ा झटका, RLP ने झाड़ा पल्ला

बाड़मेर-जैसलमेर लोकसभा चुनाव में मतदान से पहले बड़ा उलटफेर हो गया है। इंडिया गठबंधन में हनुमान बेनीवाल की राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी ने बाड़मेर जैसलमेर लोकसभा क्षेत्र में बीजेपी को समर्थन दिया है।

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Pratibha ranaa
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BHOPAL. राजस्थान में लोकसभा चुनाव ( Lok Sabha Elections ) के दूसरे चरण में बाड़मेर जैसलमेर सीट पर फिर नया मोड़ नजर आया। बाड़मेर-जैसलमेर लोकसभा चुनाव में वोटिंग से एक पहले कांग्रेस को बड़ा झटका लगा है। इंडिया गठबंधन में हनुमान बेनीवाल की राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी ने बीजेपी उम्मीदवार कैलाश चौधरी ( Kailash Chaudhary ) को समर्थन दिया है। इससे कांग्रेस उम्मीदवार उम्मेदाराम बेनीवाल और आरएलपी सुप्रीमो हनुमान बेनीवाल हैरान हो गए है। 

वोटिंग के पहले बाड़मेर सीट सुर्खियों में 

बता दें, आरएलपी के बाड़मेर नेता गजेंद्र चौधरी ( Gajendra Chaudhary ) ने आज होने वाले लोकसभा चुनावों के लिए कैलाश चौधरी का समर्थन करने का ऐलान किया है। गजेंद्र ने कहा कि आरएलपी ने शुरुआत में राजस्थान में INDIA अलायंस के साथ गठबंधन किया था। हालांकि, निर्वाचन क्षेत्र में कुछ कांग्रेस नेताओं ने इस गठबंधन का विरोध किया, जिससे आरएलपी ने बाड़मेर में कैलाश चौधरी को समर्थन देने का फैसला किया है। 

कांग्रेस ने किया हमारी पार्टी को तोड़ने का काम- गजेंद्र 

गजेंद्र ने आगे कहा कि कांग्रेस पार्टी में उनके कार्यकर्ताओं का कोई मान सम्मान नहीं है। इसी वजह से उन्होंने बीजेपी के प्रत्याशी कैलाश चौधरी को समर्थन दिया है। 2019 में हनुमान बेनीवाल और केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री कैलाश चौधरी पर कांग्रेस के लोगों ने बायतु में जानलेवा हमला किया था। इस वजह से हमारे कार्यकर्ताओं में गुस्सा भरा है। जानकारी के मुताबिक कांग्रेस शुरू में नागौर और बाड़मेर-जैसलमेर लोकसभा सीटों को गठंबधन में आरएलपी को देने पर सहमत हो गई थी, लेकिन बाद में उम्मेदा राम बेनीवाल के साथ पर्दे के पीछे बातचीत की और उन्हें कांग्रेस में शामिल होने के लिए मनाया। इससे बाड़मेर-जैसलमेर के कई आरएलपी नेता बेहद नाराज हो गए। बाड़मेर-जैसलमेर में आरएलपी को जाट समुदाय का खासा समर्थन मिलता रहा है। जाट वोट इस सीट पर अच्छा प्रभाव रखते हैं। वहीं कैलाश चौधरी, उम्मेदा राम बेनीवाल और निर्दलीय उम्मीदवार रवींद्र सिंह भाटी के बीच त्रिकोणीय मुकाबले में संभावना है कि जाट वोटों में विभाजन से निर्दलीय उम्मीदवार रविंद्र भाटी को इसका लाभ मिल सकता है। 

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