NEW DELHI. सेबी (SEBI) चेयरपर्सन माधबी पुरी बुच की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही है। हिंडनबर्ग की सनसनीखेज रिपोर्ट के बाद अब कांग्रेस ने सेबी अध्यक्ष माधबी पुरी पर गंभीर आरोप लगाए हैं। कांग्रेस का आरोप है कि सेबी की ऑल टाइम सदस्य होते हुए भी माधबी पुरी ने आईसीआईसीआई बैंक समेत तीन जगह से वेतन लेना जारी रखा। यह सार्वजनिक सेवा में नैतिकता और जवाबदेही का गंभीर उल्लंघन है।
SEBI चीफ पर कांग्रेस ने बड़ा आरोप
कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में सेबी अध्यक्ष माधबी पुरी बुच पर आरोप लगाते हुए कहा कि माधबी पुरी बुच साल 2017 से 2024 तक आईसीआईसीआई बैंक से लगातार सैलरी ले रही थीं। माधबी पुरी ने 7 साल में बैंक से 16 करोड़ 80 लाख रुपए कमाए।
पीएम और गृह मंत्री पर भी हमला बोला
पवन खेड़ा ने सवाल उठाते हुए कहा कि सेबी एक रेग्युलेटर है। मध्य वर्गीय और हम सब जहां पैसा लगाते हैं उस मार्केट को रेग्युलेट करने की जिम्मेदारी सेबी की है। सेबी चेयरपर्सन को कौन नियुक्त करता है। सेबी अध्यक्ष को नियुक्त करने वाली एसीसी में प्रधानमंत्री और गृह मंत्री हैं। कांग्रेस मामले में जांच की मांग करते हुए सेबी चीफ का इस्तीफा मांगा है।
क्यों ले रही थीं आईसीआईसीआई से वेतन?
कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने आगे कहा कि जब सेबी चीफ को आईसीआईसीआई बैंक जैसी निजी संस्था से सैलरी मिल रही हो तो कोई निष्पक्ष विनियमन कैसे सुनिश्चित कर सकता है?, जब आप एक कंपनी में काम करते हैं, तो आप वहां से सैलरी लेते हैं। जब सेबी चेयरपर्सन सेबी की पूर्णकालिक मेंबर थीं, तो उन्हें आईसीआईसीआई बैंक से 2017-2024 तक रेग्युलर इनकम हो रही थी। उन्हें 16 करोड़ 80 लाख रुपए मिले है।
सेबी के सेक्शन 54 का गंभीर उल्लंघन
खेड़ा ने आरोप लगाया कि जब वह (माधबी पुरी बुच) ऑल टाइम मेंबर थीं तो ICICI से सैलरी क्यों ले रही थीं। वह बैंक से भी वेतन ले रही थीं और ईशॉप से भी वेतन ले रही थीं। महत्वपूर्ण रेग्युलेटरी बॉडी की सबसे ऊंचे पद पर बैठीं अधिकारी कहीं और से तनख्वाह ले रही हैं। यह सेबी के सेक्शन 54 का गंभीर उल्लंघन है। उन्हें तुरंत इस्तीफा दे देना चाहिए। कांग्रेस प्रवक्ता ने दावा कि सेबी चीफ ने 2017 से 2024 के बीच ICICI प्रूडेंशियल से 22 लाख 41 हजार रुपए कमाए, बताए ये पैसे क्यों लिए गए।
हिंडनबर्ग ने भी लगाए थे आरोप
बता दें कि कुछ दिन पहले आई अमेरिकी शॉर्ट सेलर फर्म हिंडनबर्ग की सनसनीखेज रिपोर्ट में दावा गया था कि सेबी चेयरपर्सन माधबी पुरी बुच और उनके पति धवल पुरी की हिस्सेदारी उन विदेशी कंपनियों में है जो अडानी समूह की वित्तीय अनियमितताओं से जुड़ी है। इन आरोपों को खारिज कर माधबी पुरी बुच ने सफाई में कहा था कि उनका निवेश सेबी का सदस्य बनने से पहले का था। निवेश 2015 में किया गया था, वह 2017 में सदस्य बनीं।
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