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New Delhi : राज्यसभा में विपक्ष के नेता और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने सोमवार 18 दिसंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि उन्होंने राज्यों को आरक्षण से संबंधित पंडित जवाहरलाल नेहरू द्वारा लिखे गए पत्र के तथ्यों को तोड़-मरोड़ कर देश को गुमराह किया है। उन्होंने प्रधानमंत्री से माफी की मांग की और कहा कि यह तथ्य की अनदेखी कर देश को गलत दिशा में ले जाने की कोशिश की जा रही है। खरगे ने कहा कि यह बयान लोकतांत्रिक मूल्यों के खिलाफ और तानाशाही की ओर बढ़ने वाला कदम है।
प्रधानमंत्री मोदी का भाषण और कांग्रेस का विरोध
खरगे ने प्रधानमंत्री मोदी के हाल ही में दिए गए एक भाषण का हवाला दिया, जिसमें मोदी ने 1947 से 1952 के बीच किसी निर्वाचित सरकार के न होने का दावा किया और कांग्रेस द्वारा संविधान में अवैध रूप से संशोधन किए जाने की बात की। खरगे ने कहा कि यह दावा गलत है, क्योंकि पहला संविधान संशोधन संविधान सभा के सदस्यों द्वारा किया गया था, जिसमें श्यामा प्रसाद मुखर्जी भी शामिल थे। यह संशोधन अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़े वर्गों को आरक्षण प्रदान करने, शिक्षा और रोजगार से संबंधित समस्याओं को हल करने और जमींदारी प्रथा को खत्म करने के लिए था।
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नेहरू और आरक्षण पर प्रधानमंत्री के बयान पर सवाल
खरगे ने प्रधानमंत्री द्वारा पंडित नेहरू के पत्र को गलत तरीके से पेश करने पर आपत्ति जताई। उन्होंने कहा कि यह पत्र सरदार पटेल के सुझाव पर लिखा गया था, जिसमें संविधान संशोधन की जरूरत को बताया गया था। खरगे ने प्रधानमंत्री मोदी से अपील की कि वह अपने बयानों में तथ्यात्मक सत्य को स्वीकार करें और देश से माफी मांगें। उन्होंने कहा, "जब आप देश के सामने तथ्यों को तोड़-मरोड़ कर पेश करते हैं, तो आपको माफी मांगनी चाहिए।
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा कि बीजेपी के मुंह से संविधान की रक्षा बात हास्यास्पद लगती है। बीजेपी संविधान की प्रस्तावना का भी अलग अर्थ निकालती है। आज नफरती लोग संविधान का पाठ पढ़ा रहे हैं। संविधान सभा में हुई बहसों से यह साफ हो गया है कि आरएसएस के तत्कालीन नेता संविधान के खिलाफ थे। जो लोग झंडे, अशोक चक्र और संविधान से नफरत करते थे, वे आज हमें संविधान का पाठ पढ़ा रहे हैं। उन्होंने कहा कि संविधान के मुताबिक देश में चलाना चाहिए। बीजेपी के पाप गंभीर है, और उनके दाग धुलने वाले नहीं हैं।
संविधान और आरएसएस के विरोध पर बयान
खरगे ने यह भी कहा कि संविधान सभा की बहसों से यह साफ है कि आरएसएस के तत्कालीन नेता संविधान के विरोध में थे, क्योंकि वे इसे मनुस्मृति पर आधारित नहीं मानते थे। उन्होंने कहा कि आज जो लोग संविधान का सम्मान करने का दावा कर रहे हैं, वे वही लोग हैं जिन्होंने पहले इसके खिलाफ बयान दिए थे। कांग्रेस अध्यक्ष ने आगे कहा कि आरएसएस के मुखपत्र ने भी 1949 में संविधान के खिलाफ अपना विरोध जताया था।
महिला आरक्षण और मणिपुर का मुद्दा
खरगे ने महिला आरक्षण को लेकर भी भाजपा पर हमला बोला। उन्होंने कहा कि कांग्रेस भाजपा से अधिक तेजी से महिला आरक्षण लागू करेगी। इसके साथ ही, उन्होंने मणिपुर में जातीय हिंसा के मुद्दे को उठाया और प्रधानमंत्री मोदी पर आरोप लगाया कि वे संघर्षग्रस्त राज्य का दौरा करने का समय नहीं निकाल पा रहे हैं। खरगे ने इस मुद्दे को लेकर सरकार की उपेक्षापूर्ण नीति की आलोचना की और कहा कि यह स्थिति पूरी तरह से अस्वीकार्य है।
लोकतंत्र और जनता की जरूरतें
खरगे ने अंत में कहा कि प्रधानमंत्री मोदी को वर्तमान की उपलब्धियों को ध्यान में रखते हुए लोकतंत्र को मजबूती देने वाली योजनाओं पर चर्चा करनी चाहिए, न कि भूतकाल के आधार पर राजनीति करनी चाहिए। उन्होंने भाजपा की नीतियों को जुमला बताकर जनता को गुमराह करने का आरोप लगाया और दावा किया कि लोग अब भी दो करोड़ नौकरियों और किसानों की आय दोगुनी करने का इंतजार कर रहे हैं।
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