बांग्लादेश और शेख हसीना की इतनी बुरी हालत के पीछे कौन ? पढ़े खबर

बांग्लादेश में भी बड़ा खेला हुआ है। हर बार की तरह इस बार भी वर्ल्ड सुपर पॉवर के एजेंट्स और जियोपॉलिटिकल इंटरेस्ट ने बड़ी भूमिका निभाई है। कहने को तो बहुत कहानियां हैं लेकिन कुछ ऐसे तथ्य हैं जिन्हे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।

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Shrawan mavai
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बांग्लादेश में जो कुछ हो रहा है उसके लिए कोई आरक्षण तो कोई शेख हसीना की गलत नीतियों पर दोष मढ़ रहा है लेकिन हर कहानी के पीछे एक छुपी हुई कहानी और कई ऐसे किरदार होते हैं जो बड़ा खेल कर जाते हैं वो भी गुपचुप-गुपचुप। बांग्लादेश में भी बड़ा खेला हुआ है। हर बार की तरह इस बार भी वर्ल्ड सुपर पॉवर के एजेंट्स और जियोपॉलिटिकल इंटरेस्ट ने बड़ी भूमिका निभाई है। कहने को तो बहुत कहानियां हैं लेकिन कुछ ऐसे तथ्य हैं जिन्हे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। आइए जानते हैं वो क्या कारण है और कौन से छुपे हुए किरदार हैं जिन्होंने शेख हसीना और बांग्लादेश की ये हालत कर दी...। 

बांग्लादेश में तेल के कोई बड़े भंडार तो हैं नहीं तो फिर वर्ल्ड सुपर पॉवर अमेरिका का ध्यान इस पर गया कैसे यह सबसे पहला सवाल है जो आपके मन में आना चाहिए अगर आप विश्व में अमेरिका द्वारा किये गए एडवेंचर के बारे में जानते हैं। अगर यहां उन कारनामों की चर्चा हो गई तो बात बहुत लंबी खिंच जाएगी। खैर बांग्लादेश में अमेरिका का क्या इंटरेस्ट हो सकता है इसके लिए इस मैप को देखिए। 

बांग्लादेश

मैप को देखने पर यह पता चलेगा कि, बांग्लादेश में अगर पैर जमा लिए जाएं तो चीन ही नहीं बल्कि भारत, भूटान पर  आसानी से नजर रही जा सकती है। भूटान तो सीधा साधा देश है लेकिन भारत और चीन की गतिविधि पर नजर रखना वर्ल्ड सुपर पॉवर को क्यों न भाता।

बांग्लादेश के मैप में ही छुपा है अमेरिका के इंटरेस्ट का दूसरा राज...सेंट मार्टिन आइलैंड। इस आइलैंड पर बांग्लादेश का अधिकार है और म्यांमार इस पर दावा ठोकता है। म्यांमार से इस आइलैंड की दूरी मात्र 8 किलोमीटर है। अब म्यांमार में हुआ कू और इस आइलैंड तक पहुंचना भी बांग्लादेश के लिए दुश्वार हो गया। अब यहां म्यांमार की आड़ में चीन कुछ करने की सोचे उससे भी पहले वर्ल्ड सुपर पॉवर इस मसले में कूद पड़ा। खैर सेंट मार्टिन आइलैंड पर अमेरिका की निगाहें बांग्लादेश बनने से पहले  थी। अगर इस आइलैंड पर सैन्य बेस बन जाये तो 'बे ऑफ बंगाल' (Bay of Bengal) पर सीधा प्रभाव डालकर साउथ एशिया (South Asia) को कंट्रोल जो किया जा सकता था। 

शेख हसीना कैसे फंस गईं :

प्रधानमंत्री रहते हुए शेख हसीना ने 2001 में अमेरिका की इस मांग को पूरा करने से मना कर दिया था। 2024 में तो उन्होंने खुलमखुल्ला कह दिया कि, गोरी चमड़ी वाले हवाई पट्टी और एयरबेस चाहते हैं उन्हें ईसाई स्टेट बनाना है। बस फिर चुभ गई सुपर पॉवर को ये बात। चीन के बांग्लादेश में बढ़ते इन्वेस्टमेंट ने तो सोने पर सुहागा का काम कर दिया। लग गया सुपर पॉवर फिर अपने नए मिशन में...।

अब तक जो बताया गया वो तो इस पूरी कहानी का बैकग्राउंड हैं असली कहानी तो अब शुरू होने वाली है। पहले थोड़ा फ्लैश बैक में होकर आते हैं...।

2024 में शेख हसीना ने गोरी चमड़ी वाले और ईसाई स्टेट कहकर सुपर पॉवर को जलाया था क्योंकि इसके कुछ समय पहले ही एक ऐसे व्यक्ति ने बांग्लादेश में कदम रखा था जो रिजीम चेंज करने के लिए कुख्यात है। बहरहाल रिजीम चेंज सुपर पॉवर के फेवरेट गेम में से एक है। अमेरिका के स्टेट डिपार्टमेंट के असिस्टेंट सेक्रेटरी डॉनल्ड लू जनवरी 2023 में बांग्लादेश दौरे पर थे। डॉनल्ड लू अमेरिका की साउथ और सेंट्रल एशिया नीति के लिए ज़िम्मेदार हैं। डॉनल्ड लू लोकसभा चुनाव के समय भारत में थे और इनकी मौजूदगी ने खुफिया एजेंसी के कान खड़े कर दिए थे। 

भारत तो ऐसे मसलों से डील करना जानता है। हमारे नेता कहां किसी के जाल में फंसते हैं। (इस बात को ज्यादा सीरियसली न लिया जाए।) बांग्लादेश इनके जाल में फंस गया बेचारा। शेख हसीना के 2024 के बयान ने आग में घी दाल दिया। ढाका में बीजिंग की बढ़ती सक्रिया तो ऐसे ही सुपर पॉवर को नागवारा थी। 

योजना तो बन चुकी थी अब उसे अंजाम दिया गया। चुनाव का ऐलान हुआ तो बीएनपी ने केयर टेकर सरकार और शेख हसीना के इस्तीफे की मांग कर दी। इस दौरान हसीना को भारत का एजेंट भी बताया गया और भारत विरोधी प्रदर्शन भी हुए। ये सुपर पॉवर के प्लान का हिस्सा था या नहीं कुछ कहा नहीं जा सकता। शेख हसीना ने बीएनपी की मांग को ठुकरा दिया और बिना विपक्षी पार्टी के ही चुनाव हो गए। चुनाव का बहिष्कार कर एक बहाना मिल गया कि, शेख हसीना तो अकेले ही चुनाव लड़ीं और अकेले ही जीत गईं।

चुनाव ख़त्म, फिर सही तरह से न चुने जाने की दुहाई। शेख हसीना की जड़ें काटने की तैयारी पूरी। अब बांग्लादेश में कौन-सा प्रदर्शन पहली बार हुए थे लेकिन यूं सेना और पुलिस का हाथ खड़े कर लेना, शेख हसीना को इस्तीफा दिलवाकर भारत निर्वासित कर देना बड़ी सोची समझी योजना थी। CIA एजेंट्स की योजना कभी असफल नहीं होती। अब इस योजना में सीआईए की क्या भूमिका थी ये समझने के लिए पाठक स्वयं समझदार हैं। 

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