कोर्ट मैरिज : सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि बिना रस्मों के हिंदू विवाह नहीं माना जाएगा , सिर्फ रजिस्ट्रेशन करा लेने से शादी वैध नहीं मानी जाएगी

सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि किसी अथॉरिटी की तरफ से एक सर्टिफिकेट मिलने से दोनों पार्टियों को शादीशुदा होने का स्टेटस नहीं मिलेगा और न इसे हिंदू मैरिज एक्ट के तहत शादी माना जाएगा।

Advertisment
author-image
Marut raj
New Update
Court Marriage Supreme Court has said that Hindu marriage will not be considered without rituals द सूत्र
Listen to this article
0.75x 1x 1.5x
00:00 / 00:00

नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट ( Supreme Court  ) ने कहा है कि जब तक रस्में नहीं निभाई जातीं, तब तक हिंदू मैरिज एक्ट के तहत शादी को वैध नहीं माना जा सकता है। स्टिस बीवी नागरत्ना और ऑगस्टिन जॉर्ज मसीह की बेंच ने साफ कहा है कि जब तक दूल्हा-दुल्हन शादी की रस्मों से नहीं गुजरे हैं, तब तक हिंदू मैरिज एक्ट के सेक्शन 7 के तहत कोई हिंदू विवाह नहीं माना जाएगा।

कोर्ट का कहना है कि किसी अथॉरिटी की तरफ से एक सर्टिफिकेट मिलने से दोनों पार्टियों को शादीशुदा होने का स्टेटस नहीं मिलेगा और न इसे हिंदू मैरिज एक्ट के तहत शादी माना जाएगा। कोर्ट ने कहा कि मैरिज रजिस्ट्रेशन के फायदे ये हैं कि इससे किसी विवाद की सूरत में प्रूफ के तौर पर पेश किया जा सकता है, लेकिन अगर हिंदू मैरिज एक्ट के सेक्शन 7 के तहत शादी नहीं हुई है, तो रजिस्ट्रेशन करा लेने से विवाह को मान्यता नहीं मिल जाएगी।

कॉमर्शियल पायलट का मैरिज सर्टिफिकेट नहीं चला

सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि हिंदू विवाह एक संस्कार और एक धार्मिक उत्सव है, जिसे भारतीय समाज के अहम संस्थान का दर्जा दिया जाना जरूरी है। कोर्ट ने यह बात दो कॉमर्शियल पायलट्स के तलाक के मामले की सुनवाई के दौरान कही, जिन्होंने वैध हिंदू विवाह सेरेमनी नहीं की थी। इन कमेंट्स के साथ बेंच ने संविधान के आर्टिकल 142 का हवाला देते हुए कहा कि दोनों पायलट्स कानून के मुताबिक शादीशुदा नहीं हैं। इसके साथ ही कोर्ट ने उनके मैरिज सर्टिफिकेट को रद्द करार दे दिया। कोर्ट ने उनके तलाक की प्रक्रिया और पति व उसके परिवार पर लगाया गया दहेज का केस खारिज कर दिया।

शादी के बंधन में बंधने से पहले अच्छे से सोच विचार करें 

बेंच ने कहा कि शादी कोई नाचने-गाने और खाने-पीने का इवेंट नहीं है। न ये कोई ऐसा मौका है जहां आप एक-दूसरे पर दबाव डालकर दहेज और तोहफों का लेनदेन करें, जिससे बाद में केस होने की संभावना रहे। विवाह कोई व्यापारिक लेन-देन नहीं है।

हम युवा पुरुष और महिलाओं से कहना चाहते हैं कि शादी के बंधन में बंधने के पहले विवाह संस्थान के बारे में अच्छे से सोच लें और ये समझने की कोशिश करें कि ये संस्थान भारतीय समाज के लिए कितना पवित्र है। ये ऐसा गंभीर बुनियादी इवेंट है, जो एक पुरुष और महिला के बीच रिलेशनशिप को सेलिब्रेट करता है, जिन्हें पति-पत्नी का दर्जा मिलता है, जो परिवार बनाता है। यही परिवार भारतीय समाज की मूलभूत इकाई है।

हिंदू मैरिज एक्ट में इन धर्म वाले भी शामिल

बेंच ने कहा कि 18 मई, 1955 को लागू होने के बाद से इस कानून ने हिंदूओं में विवाह का एक कानून बनाया है। इसके तहत न सिर्फ हिंदू, बल्कि लिंगायत, ब्रह्मो, आर्यसमाज, बौद्ध, जैन और सिख आते हैं।

कोर्ट मैरिज | court marriage | Marriage Certificate | Marriage certificate not valid | मैरिज सर्टिफिकेट मान्य नहीं | हिंदू मैरिज एक्ट में मैरिज सर्टिफिकेट मान्य नहीं | Marriage certificate is not valid under Hindu Marriage Act

मैरिज सर्टिफिकेट मान्य नहीं Marriage certificate not valid कोर्ट मैरिज मैरिज सर्टिफिकेट court marriage Marriage Certificate Supreme Court Marriage certificate is not valid under Hindu Marriage Act हिंदू मैरिज एक्ट में मैरिज सर्टिफिकेट मान्य नहीं