SEOPUR. चीता ज्वाला का चौथा शावक अब स्वस्थ है। डॉक्टरों का कहना है कि वह पहले से काफी हद तक ठीक हो चुका है। लेकिन, उसे मां के बाड़े में छोड़ने के पहले काफी एहतियात बरता जा रहा है। इसका कारण कैट प्रजाति की आदतें हैं। ज्वाला ने चार शावकों को जन्म दिया था, जिसमें से अब यह आखिरी शावक जीवित बचा है।
स्वीकार न करने का डर
शावक को उसकी मां के पास छोड़ने की तायारी है, लेकिन इस कदम को विशेषज्ञ काफी सोच समझकर उठा रहे हैं। उनका मानना है कि कैट प्रजाति की आदत होती है कि वह अपने ही बच्चों को रिजेक्ट भी कर देती है। दो दिन से एक्सपर्ट की निगरानी में शावक को मां के बाड़े में ले जाया जा रहा है। लेकिन, शावक की सुरक्षा को देखते हुए कुछ देर बाद वापस कर लिया जाता है। एक्सपर्ट का मानना है कि कई बार मां अपने शावक को स्वीकार न कर मार देती है।
लंबा समय है मां से दूर होकर
शावक का स्वास्थ्य खराब हो गया था जिसके बाद 25 मई से अपनी मां ज्वाला से दूर है। अब डर यह है कि मां के बाड़े में छोड़ने पर वह उस पर हमला भी कर सकती है। नेशनल पार्क के विशेषज्ञ यह देख रहे हैं कि उसे बाड़े में कैसे सुरक्षित तरीके से छोड़ा जाए। इसके लिए विदेशी एक्सपर्ट से भी सलाह ली जा रही है। शावक को मां के बाड़े में थोड़ी-थोड़ी देर के लिए सुरक्षित रूप से छोड़ने पर भी विचार किया जा रहा है।
कूनो में चीतों की सुरक्षा को लेकर सवाल
कूनो नेशनल पार्क में चीतों के आने के बाद से ही उनकी मौत हो रही है। ऐसे में चीतों की सुरक्षा को लेकर लगातार सवाल उठाए जा रहे हैं। चीतों को यहां से शिफ्ट करने को लकर सुप्रीम कोर्ट भी निर्देश दे चुका है। बीच में मंदसौर में चीतों को शिफ्ट करने की बात भी उठी थी, लेकिन उस पर अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठा है।
नहीं शिफ्ट होंगे चीते
केंद्रीय वनमंत्री भूपेंद्र यादव ने मंगलवार को कूनो का दौरा करने के बाद कहा कि चीता प्रोजेक्ट पूरी तरह सफल है। फिलहाल कूनो चीतों को शिफ्ट करने पर विचार नहीं किया जाएगा। प्रोजेक्ट यहां सफल होने के बाद ही चीतों को कहीं और बसाने पर विचार किया जाएगा। मंत्री ने यह भी जानकारी दी कि दूसरे चरण में जो चीते आने हैं, उनको किसी दूसरे पार्क में भेजने पर विचार होगा। केंद्रीय वनमंत्री के साथ यहां एडीजी एनटीसीए एसपी यादव भी मौजूद थे।