सावन का पावन महीना भगवान शिव को समर्पित है। सावन माह का हर दिन शिव भक्तों के लिए फलदायी होता है। इस पावन महीने में भगवान शिव अपने परिवार समेत पृथ्वी पर आते हैं और अपने भक्तों की मनोकामनाओं पुरी करते हैं। भक्त भगवान शिव के परिवार में आप भगवान शिव, माता पार्वती और उनके दो पुत्र गणेश और कार्तिकेय एवं उनके गण नंदी के बारे में ही जानते हैं। लेकिन क्या आपको पता है भगवान शिव की बेटियां भी थीं। आइए जानते हैं भगवान शिव और माता पार्वती की पुत्रियों के बारे में...
ऐसे हुआ भगवान शिव की बेटीओं का जन्म
मधुश्रावणी की कथा में भगवान शिव और माता पार्वती की पांच बेटियों की वर्णन मिलता है। इस कथा में वर्णित मान्यताओं के अनुसार एकबार भगवान शिव गंगा में स्नान करने गए थे। भगवान भोलेनाथ के तप साधना में उनका पसीना बहा, उस पसीने से पांच कन्याओं का जन्म हुआ, लेकिन इन कन्याओं का जन्म मनुष्य रूप में नहीं बल्कि नाग रूप में हुआ था।
माता पार्वती को नहीं पता
माता पार्वती को इस बारे में कोई जानकारी नहीं थी कि शिवलीला से पांच नाग कन्याओं का जन्म हो गया है, लेकिन भगवान शिव को सब पता था और वह उनसे गणेश और कार्तिकेय की तरह स्नेह भी रखते थे, इसलिए वह हर सुबह जाकर सरोवर के पास 5 नाग कन्याओं से मिलते थे और उनके साथ खेलते थे। ऐसा कई दिनों तक निरंतर चलता रहा।
माता पार्वती को आया क्रोध
काफी समय तक ऐसा ही चलता रहा। बहुत समय बाद माता पार्वती को शक हुआ कि आखिर महादेव इतनी सुबह कहां चले जाते हैं। इसलिए उन्होंने तय किया कि वह इस रहस्य को जानकर रहेंगी। एक दिन जब भगवान शिव सरोवर के लिए सुबह निकले तब माता पार्वती भी उनके पीछे-पीछे सरोवर तक पहुंच गईं। माता पार्वती ने देखा कि महादेव पिता की तरह उन पांच नाग कन्याओं के साथ खेल रहे हैं। माता पार्वती को यह देखकर क्रोध आ गया और उन्होंने क्रोध में पांच नाग कन्याओं को मारना चाहा। जैसे ही उन्होंने मारने के लिए पैर उठाया तभी भोलेनाथ ने उनको रोककर कहा कि ये पांचों नाग कन्याएं आपकी पुत्री हैं। महादेव की इस बात से माता पार्वती आश्चर्य से देखने लगीं। फिर शिवजी ने देवी पार्वती को नाग कन्याओं के जन्म की कथा बताई। शिवजी की कथा सुनकर माता पार्वती ने भी उन्हें अपनी पुत्रियों के रूप में स्वीकार कर लिया।
नाग कन्याओं के नाम
भगवान शिव की इन नाग कन्याओं का नाम जया, विषहर, शामिलबारी, देव और दोतलि है।
सर्पदंश का भय नहीं रहेगा
भगवान शिव ने अपनी पुत्रियों के बारे में बताते हुए कहा कि जो भी इन नाग कन्याओं की पूजा करेगा, उनके परिवार को सर्पदंश का भय नहीं रहेगा। साथ ही इन देवियों की कृपा से घर में कभी धन-धान्य की कमी नहीं होती है एवं सुख-सौभाग्य में वृद्धि होती है।
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