दिल्ली में किसानों की महापंचायत, अब रामलीला मैदान में जमावड़ा, MSP पर कानून बनाने की मांग, जानें सबकुछ

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Atul Tiwari
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दिल्ली में किसानों की महापंचायत, अब रामलीला मैदान में जमावड़ा, MSP पर कानून बनाने की मांग, जानें सबकुछ

NEW DELHI. दिल्ली में एक बार फिर किसानों का जमावड़ा लग रहा है। दिल्ली की सीमाओं पर दिसंबर 2020 में भी किसान जुटे थे। तब किसानों की मांग 3 कृषि कानूनों को वापस लिया जाना थी। किसान महापंचायत न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर कानूनी गारंटी की मांग को लेकर है। संयुक्त किसान मोर्चा ने मांग की है कि केंद्र सरकार ने 9 दिसंबर को जो लिखित में आश्वासन दिए थे, उन्हें पूरा करे और किसानों के सामने लगातार बढ़ते संकट को कम करने के लिए प्रभावी कदम उठाए।   







— ਦੀਪ ਸੰਧੂ Deep Sandhu (@_Deep_KSandhu) March 20, 2023

 





केंद्र सरकार ने सितंबर 2020 में संसद में तीन कृषि कानून पास किए थे। इन कानूनों के खिलाफ पंजाब, हरियाणा, यूपी, एमपी समेत देश के कई राज्यों के किसानों ने दिल्ली की सीमाओं पर डेरा जमाया था। करीब एक साल तक किसान दिल्ली के बॉर्डरों पर डटे रहे थे। सरकार से कई स्तरों की बातचीत के बाद सरकार ने तीनों कानूनों को वापस लिया था। गुरुनानक जयंती पर खुद पीएम नरेंद्र मोदी ने कानूनों को वापस लेने का ऐलान किया था। साथ ही किसानों के खिलाफ दर्ज मामलों को वापस लेने और एमएसपी की कानूनी गारंटी सहित किसानों की लंबित मांगों पर विचार करने का भरोसा जताया था।





कमेटी बनी, लेकिन किसान इससे संतुष्ट नहीं





केंद्र सरकार ने एमएसपी पर सुझाव के लिए 29 सदस्यीय एक कमेटी का गठन किया था। किसान संगठन इस कमेटी से संतुष्ट नहीं हैं। उनकी मांग है कि सरकार कमेटी को भंग करे और एमएसपी पर कानून लाए। एक न्यूज चैनल से बातचीत में किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा कि हमने एमएसपी कमेटी की मांग नहीं की, हमने एमएसपी गारंटी कानून की मांग की है। हमने मुजफ्फरनगर में बीजेपी को 8 सीटों से घटाकर एक सीट पर कर दिया। 2024 में पूरे देश में बीजेपी का एक जैसा हश्र होगा। हम यहां केंद्र सरकार से मिलने आए हैं। आपसी सहमति से मसले को सुलझाना चाहिए। संयुक्त किसान मोर्चा देश भर में पंचायतों का आयोजन करता है। हमने कभी एमएसपी पर कमेटी की मांग नहीं की। हमने एमएसपी गारंटी कानून की मांग की है। सरकार को संसद में बिल पेश करना चाहिए और इसे पास करना चाहिए।





तो क्या किसान आंदोलन 2.0 की तैयारी





संयुक्त किसान मोर्चा का दावा है कि किसान महापंचायत में देशभर से लाखों किसान जुटेंगे। ऐसे में इसे किसान आंदोलन 2.0 की तैयारी भी मानी जा रही है। उधर, केंद्र सरकार ने किसानों को रुख देखते हुए किसान संगठनों के नेताओं को बातचीत के लिए बुलाया। केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के साथ किसान नेताओं की बैठक हुई। हालांकि, इसमें कोई बात बनती नहीं दिख रही। बैठक के बाद किसान नेताओं ने कहा कि अगर हमारी बात नहीं मानी गई, तो 20-21 दिन में आंदोलन करेंगे। 





किसानों की 11 मांगें





1- स्वामीनाथन आयोग की सिफारिश के अनुसार सभी फसलों पर सी2+50 प्रतिशत के फार्मूला के आधार पर MSP पर खरीद की गारंटी के लिए कानून लाया जाए और लागू किया जाए।





2- सभी फसलों की MSP पर कानूनी गारंटी के लिए एमएसपी पर एक नई समिति को गठित किया जाए, जैसा कि केंद्र सरकार ने वादा किया गया था। 





3- किसानों की कर्ज मुक्ति और खाद की कीमतों में कमी की मांग।





4- संयुक्त संसदीय समिति को विचार के लिए भेजे गए बिजली संशोधन विधेयक, 2022 को वापस लिया जाए।





5- कृषि के लिए मुफ्त बिजली और ग्रामीण परिवारों के लिए 300 यूनिट बिजली फ्री मिले। 





6- लखीमपुर हिंसा के मामले में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी को कैबिनेट से बाहर किया जाए और गिरफ्तार कर जेल भेजा जाए।





7- किसान आंदोलन के दौरान और लखीमपुर में मारे गए किसानों के परिवारों को मुआवजा और पुनर्वास प्रदान करने का वादा पूरा किया जाए।





8- अप्रभावी प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना को रद्द कर, बाढ़, सुखा, ओलावृष्टि, असामयिक और/या अत्यधिक बारिश, फसल संबंधित बीमारियां, जंगली जानवर, आवारा पशु के कारण किसानों द्वारा लगातार सामना किए जा रहे नुकसान की भरपाई के लिए सरकार सभी फसलों के लिए सार्वभौमिक, व्यापक और प्रभावी फसल बीमा और मुआवजा पैकेज को लागू करें।





9- किसान आंदोलन के दौरान भाजपा शासित राज्यों और अन्य राज्यों में किसानों के खिलाफ दर्ज किए गए फर्जी मामले तुरंत वापस लिए जाएं।





10- सिंघु मोर्चे पर आंदोलन के दौरान शहीद किसानों के स्मारक बनाने के लिए जमीन दी जाए।





11- सभी किसानों और खेत-मजदूरों के लिए हर महीने 5,000 रुपए की किसान पेंशन योजना को तुरंत लागू किया जाए।







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