Delhi Nuclear Bunker : इजराइल और ईरान के बीच युद्ध चल रहा है। आपने देखा होगा कि युद्ध के दौरान आम लोगों को बंकरों में भेजा जाता है। बंकरों पर गोला-बारूद का कोई असर नहीं होता। इसी तरह दिल्ली में कई ऐसी कंपनियां हैं जो युद्ध के दौरान लोगों को सुरक्षित रखने के लिए घरों में बंकर की सुविधा दे रही है।
सुरक्षा की गारंटी
एनसीआर में कई ऐसी कंपनियां हैं जो अंडरग्राउंड सीबीआरएन बेच रही हैं इसका मतलब है कि केमिकल, बायोलॉजिकल, रेडियोलॉजिकल और न्यूक्लियर बंकर। दिल्ली में इमारतों के नीचे बंकर बनाए जा रहे हैं। बंकर की कीमत की बात करें तो सवा करोड़ से लेकर दसियों करोड़ तक हो सकती है। और इसकी भी गारंटी है कि दुनिया खत्म हो जाए तो भी आप कुछ दिनों तक सुरक्षित रह सकते हैं। यह सेटअप बहुत ही गुप्त तरीके से काम करता है और कई अन्य वादे भी करता है। जैसे आपको यहां एक सुरक्षित कमरा मिलेगा। यह वह कमरा है जो लोगों को चोरों, लुटेरों या भीड़ के हमलों से बचा सकता है। ऐसे कमरों की अभिनेताओं और राजनेताओं के बीच बहुत मांग है।
10 महीनों तक छिपे रह सकते हैं
बंकर में कमरों की बात करें तो दो एडल्ट और एक बच्चा एक महीने तक रह सकते हैं। इसमें इतनी जगह होगी और इतने दिनों का खाना-पानी स्टोर किया जा सकता है। एक कैटेगरी है- ट्रायम्फ। इसमें आपको बना-बनाया घर मिलेगा, जिसे बस जमीन के अंदर 'फिट' करना होगा। यहां 8 लोग करीब तीन सौ दिनों तक छिपे रह सकते हैं। सबसे प्रीमियम क्वालिटी का शेल्टर किसी आलीशान हवेली जितना बड़ा और विशाल है। तीन हजार वर्ग फीट के इन घरों में 15 से लेकर दो-चार और लोग भी आराम से एडजस्ट हो सकते हैं। स्टोरेज एरिया इससे लगभग दोगुना है। यहां इतना खाना, पानी और बिजली होगी, जो एक साल से लेकर तीन साल तक चल सकती है।
बंकर में हथियारों का रुम
बंकर के अंदर एक हाइड्रोपोनिक रूम होगा, जहां मिट्टी की जगह पानी में फल और पौधे उगाए जा सकेंगे। अगर बाहर ज्यादा खतरा हुआ, युद्ध लंबे समय तक चला या ग्लोबल वार्मिंग ने तबाही मचाई तो अंदर फंसे लोग बच सकेंगे। एक हथियार कक्ष भी है। अगर युद्ध आसन्न हुआ और बाहर जाना जरूरी हो गया तो कंपनी यह भी सुनिश्चित करेगी कि बंकर में रहने वाले लोग बिना किसी प्रयास के भाग न पाएं। कंपनी ने साल 2021 में देश का पहला बंकर बेचा था।
सीबीआरएन शेल्टर सैन्य बंकरों से अलग
सीबीआरएन शेल्टर सैन्य बंकरों से काफी अलग होते हैं। सेना के बंकर जमीन में काफी गहराई में दबे होते हैं, लेकिन ये उतने गहरे नहीं होते। ऐसे में अगर कोई बम सीधे बंकर पर गिर जाए तो बचना मुश्किल है। कोई भी देश इतनी रिसर्च और मेहनत से तैयार किए गए बम को आम लोगों पर बर्बाद नहीं करना चाहेगा! इसका असली निशाना नेतृत्व या सेना होगी। हमारे बंकर इसलिए हैं ताकि जब जमीन पर अफरा-तफरी मचे तो लोग नीचे सुरक्षित रह सकें और खतरा कम होने या खत्म होने पर ही बाहर आ सकें।
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