NEW DELHI. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने दिल्ली सेवा अधिनियम बिल और डेटा प्रोटेक्शन बिल को मंजूरी दे दी है। इसी के साथ अब ये कानून बन गए हैं। दिल्ली सेवा बिल राजधानी में अफसरों की ट्रांसफर-पोस्टिंग में जुड़ा बिल है। वहीं डेटा प्रोटेक्शन बिल यूजर्स को ऑनलाइन फ्रॉड से बचाने के लिए लाया गया बिल है। दिल्ली सेवा बिल जो मानसून सत्र में सदन में पेश हुआ और एक-एक कर लोकसभा और राज्यसभा में पास हुआ था, वो अब राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बाद कानून बन गया है। इसे लेकर केंद्र सरकार ने अधिसूचना जारी कर दी है।
अधिसूचना में क्या है ?
सरकार की ओर से जारी अधिसूचना में कहा है कि इस अधिनियम को राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार (संशोधन) अधिनियम, 2023 कहा जाएगा। इस अधिनियम को 19 मई, 2023 से लागू माना जाएगा। दिल्ली सरकार अधिनियम, 1991 (जिसे इसके बाद मूल अधिनियम के रूप में संदर्भित किया गया है) की धारा 2 में खंड (ई) में कुछ प्रावधान शामिल किए गए। 'उपराज्यपाल' का अर्थ दिल्ली के लिए संविधान के अनुच्छेद 239 के तहत नियुक्त प्रशासक और राष्ट्रपति द्वारा उपराज्यपाल के रूप में नामित किया गया है।
विपक्ष के विरोध और हंगामे के बीच लोकसभा-राज्यसभा में हुआ पारित
दिल्ली की आम आदमी पार्टी (आप) सरकार और उपराज्यपाल के बीच नए सिरे से टकराव का मंच तैयार हो गया है। संसद में दिल्ली सेवा विधेयक 7 अगस्त को पारित हुआ था। इस दौरान आम आदमी पार्टी समेत कुछ विपक्षी दलों ने हंगामा किया था। राज्यसभा ने 102 के मुकाबले 131 मतों से ‘दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र शासन संशोधन विधेयक 2023’ को मंजूरी दी गई। लोकसभा में ये 10 अगस्त को पारित हुआ।
सुप्रीम कोर्ट की पीठ के फैसले का इंतजार
ये विधेयक दिल्ली में समूह-ए के अधिकारियों के स्थानांतरण एवं पदस्थापना के लिए एक प्राधिकार के गठन के लिहाज से लागू अध्यादेश की जगह लेगा। फिलहाल, इस मामले पर अब भी तलवार लटकी है क्योंकि SC ने दिल्ली में शासन पर संसद की शक्तियों का अध्ययन करने के लिए पिछले महीने संविधान पीठ गठित की थी, जिसने अभी तक फैसला नहीं सुनाया है।
नियम तोड़ने पर 250 करोड़ रुपए तक जुर्माना
ये कानून लागू होने के बाद लोगों को अपने डेटा कलेक्शन, स्टोरेज और प्रोसेसिंग के बारे में डीटेल मांगने का अधिकार मिल जाएगा। कंपनियों को ये बताना होगा कि वे कौन सा डेटा ले रही हैं और डेटा का क्या इस्तेमाल कर रही हैं। विधेयक में इसके प्रावधानों का उल्लंघन करने वालों पर न्यूनतम 50 करोड़ रुपए से लेकर अधिकतम 250 करोड़ रुपए तक के जुर्माने का प्रावधान रखा गया है। पुराने बिल में ये 500 करोड़ रुपए तक था।