अब उठी लालकिले का नाम बदलने की मांग, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लिखा पत्र, जानिए क्या है मामला

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Neha Thakur
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अब उठी लालकिले का नाम बदलने की मांग, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लिखा पत्र, जानिए क्या है मामला


NEW DELHI. देश की राजधानी नई दिल्ली पुराने कलाओं का मिश्रण है। इसमें कई ऐतिहासिक दर्शनीय स्थल भी है। जिसमें से एक है लाल किला। इतिहासकारों के मुताबिक लाल बलुआ पत्थर से बने इस किले को मुगल सम्राट शाहजहां ने सन् 1648 में बनवाया था। इसी किले का नाम बदलकर भगवा किला करने का एक पत्र प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पास पहुंचा है। यह पत्र अखिल भारत हिंदू महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष स्वामी चक्रपाणि महाराज ने लिखा है।



लाल कले से पहले लाल कोट था नाम



राष्ट्रीय अध्यक्ष स्वामी चक्रपाणि महाराज ने पीएम मोदी को लिए इस ज्ञापन पत्र में बताया कि लाल किले का नाम बदलकर भगवा किला कर दिया जाए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखते हुए स्वामी चक्रपाणि महाराज ने कहा- जैसा कि पूर्व में लाल किला (पूर्व नाम लाल कोट) का निर्माण 1060 में हिंदू राजा अनंगपाल तोमर ने कराया था, जो अभिमन्यु के वंशज और महान हिंदू वीर पृथ्वीराज चौहान के नाना थे, लेकिन विदेशी लुटेरे मुगलों ने उस पर बाद में कब्जा कर लिया। लेकिन इतिहासकारों ने इस किले को शाहजहां द्वारा सन् 1638 में बनाने का दावा किया।



कई मंदिरों को अवैध कर बनाई मस्जिद



देश में जब मुगल साम्राज्य का शासन था उस दौरान देश के कई मंदिरों को तोड़कर मस्जिद बना दी गई। राम मंदिर, श्रीकृष्ण जन्मभूमि, श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर आदि पर मुगलों ने अवैध कब्जा रहा। उसी तरह हमारे बहुत सारे महापुरुषों द्वारा बनाए गए जैसे- आगरा के तेजो महालय शिव मंदिर को ताजमहल, दिल्ली के सूर्य मंदिर को कुतुबमीनार कर दिया। इसके साथ ही स्वामी चक्रपाणि महाराज ने अपने लेटर में लिखा कि हिंदू राजाओं द्वारा बनाया गया लाला किला जो पूर्व नाम लालकोट था जिसे कब्जे के बाद मुगलों ने अपने दरबारी इतिहासकारों से मुगलों द्वारा निर्मित होने का झूठा भ्रम फैलाया।



स्वतंत्रता दिवस पर फहराया जाता है तिरंगा



हर साल स्वतंत्रता दिवस कार्यक्रम का आयोजन दिल्ली के लाल किले पर मनाया जाता है। इस दिन स्वतंत्रता दिवस को लाल किले पर भारत के प्रधानमंत्री तिरंगा लहराते है। लाल किले पर तिरंगा फहराने की परंपरा आजादी के समय से है। भारत आजाद होने के बाद यहां से ही पहली बार भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरु ने लाल किले के लाहौरी गेट पर ही भारत का ध्वज लहराया था। उसी समय से आज तक यह परंपरा चल रही है।


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