Congress MP DK Suresh demands separate country- कर्नाटक से कांग्रेस सांसद डीके सुरेश के एक बयान पर बवाल बढ़ गया है। उन्होंने दक्षिण भारत के लिए 'अलग देश' बनाने की बात कर डाली है। डीके सुरेश के इस बयान से कांग्रेस एक बार फिर कशमकश की स्थिति में है।
कांग्रेस सांसद डीके सुरेश ने कहा है कि बजट में दक्षिण भारत के साथ अन्याय किया जा रहा है। उन्होंने दावा किया कि जो फंड दक्षिण तक पहुंचना चाहिए था, उसे डायवर्ट कर उत्तर भारत में ही बांटा जा रहा है। हिंदी क्षेत्र ने दक्षिण भारत पर जो स्थिति थोप दी है, उसके नतीजे में 'अलग देश' मांगने के अलावा कोई विकल्प नहीं है। उनके बयान पर बवाल बढ़ गया है। बीजेपी सांसद तेजस्वी सूर्या ने कहा है कि कांग्रेस का इतिहास 'फूट डालो और राज करो' का रहा है। उनके सांसद डीके सुरेश फिर वही चाल चल रहे हैं। वो उत्तर और दक्षिण को बांटना चाहते हैं।
कौन हैं सासंद डीके सुरेश
डीके सुरेश कर्नाटक के डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार के छोटे भाई हैं। वो कर्नाटक की बेंगलुरु ग्रामीण सीट से सांसद हैं। बता दें कि कर्नाटक से वही कांग्रेस के इकलौते सांसद हैं। 1 अप्रैल 1966 को कर्नाटक के रामनगर जिले के कनकपुरा में जन्मे डीके सुरेश की सियासी पारी 2013 में शुरू हुई थी। दरअसल, पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवेगौड़ा के बेटे कुमारस्वामी ने लोकसभा सीट से इस्तीफा दे दिया था। इसके बाद 21 मई 2013 को हुए उपचुनाव में कांग्रेस ने डीके सुरेश को उम्मीदवार बनाया। इस उपचुनाव में जीतकर डीके सुरेश पहली बार लोकसभा पहुंचे थे। इसके बाद 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव में भी डीके सुरेश को जीत मिली। 2019 में डीके सुरेश ने बीजेपी के ए. नारायण गौड़ा को दो लाख से ज्यादा वोटों के अंतर से हराया था।
338 करोड़ की संपत्ति के हैं मालिक
तीन बार के सांसद डीके सुरेश ने 12वीं तक पढ़ाई की है। चुनाव आयोग में दाखिल हलफनामे में उन्होंने खुद को किसान और कारोबारी बताया है। हलफनामे में उन्होंने अपने पास 338 करोड़ रुपए की संपत्ति होने की बात बताई थी।
बवाल हुआ तो दी सफाई
हालांकि जब बवाल बढ़ा तो डीके सुरेश की सफाई भी आ गई। डीके सुरेश का अब कहना है कि उनके कहने का मकसद फंड बांटने में नाइंसाफी होने पर ध्यान दिलाना था। उन्होंने सोशल मीडिया एक्स पर लिखा कि मुझे भारतीय और कन्नड़ होने पर गर्व है। उन्होंने लिखा, 'फंड बांटने में दक्षिण भारत खासकर कर्नाटक के साथ नाइंसाफी की जा रही है। सबसे ज्यादा जीएसटी देने वाला दूसरा राज्य होने के बावजूद केंद्र सरकार कर्नाटक और दक्षिणी राज्यों के साथ अन्याय कर रही है. जबकि गुजरात के फंड में 51 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है. अगर ये अन्याय नहीं है तो क्या है?'