NEW DELHI. माफिया डॉन अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ अहमद की पुलिस की मौजूदगी में हुई हत्या की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज की अध्यक्षता में स्वतंत्र जांच समिति बनाने की मांग की गई। इस मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई है। सुप्रीम कोर्ट इस याचिका पर 24 अप्रैल को सुनवाई करेगा। याचिका में योगी सरकार में अभी तक हुए कुल 183 एनकाउंटर पर भी सवाल उठाए गए हैं।
रिटायर्ड आईपीएस अफसर ने दायर की याचिका
पूर्व आईपीएस अधिकारी अमिताभ ठाकुर ने भी सुप्रीम कोर्ट में लेटर पिटिशन दाखिल करके अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ की हत्या मामले की सुप्रीम कोर्ट या हाईकोर्ट की निगरानी में सीबीआई जांच कराने की मांग की है। अमिताभ ठाकुर ने याचिका में कहा है कि भले ही अतीक अहमद और उसका भाई अपराधी हों, मगर जिस तरह से उनकी हत्या हुई, उससे इस घटना के राज्य पोषित होने की पर्याप्त संभावना दिखती है। उन्होंने कहा कि इस हत्या के बाद जिस प्रकार से उत्तर प्रदेश पुलिस ने इस मामले को ढीला करने का प्रयास किया है और मामले में कोई भी ठोस कार्रवाई नहीं की है, उससे भी इस मामले के उच्च स्तरीय षड्यंत्र की संभावना दिखती है।
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अराजकता लोकतंत्र के लिए गंभीर चुनौती
याचिकाकर्ता ठाकुर ने कहा कि विकास दुबे से लेकर असद की मुठभेड़ में हत्या या फिर अब अतीक-अशरफ की हत्या इसी श्रेणी में है। ये अराजकता लोकतंत्र के लिए गंभीर चुनौती है। पुलिस को एक लोकतांत्रिक व्यवस्था में इस तरह मनमाने तरीके से न्याय करने से बचना चाहिए। एक लोकतांत्रिक समाज में पुलिस को दंड देने वाली संस्था बनने की अनुमति नहीं दी जा सकती है।
सीबीआई के जरिए जांच कराना बेहतर
अमिताभ ठाकुर ने कहा कि भले ही कोई व्यक्ति अपराधी क्यों ना हो लेकिन, किसी भी व्यक्ति को पुलिस अभिरक्षा में राज्य द्वारा षड्यंत्र करके हत्या कर दिया जाना किसी भी सभ्य समाज में स्वीकार्य नहीं है। इन स्थितियों में यदि इस बात की संभावना व्यक्त की जा रही है कि यह राज्य पोषित हत्या हो सकती है तो निश्चित रूप से इसकी जांच स्थानीय पुलिस से नहीं कराई जा सकती। उन्होंने कहा कि मामले की निष्पक्ष जांच मात्र सुप्रीम कोर्ट या हाई कोर्ट के पर्यवेक्षण में सीबीआई के जरिए कराना बेहतर है।
अखिल गोगोई को जमानत पर रिहा करने का आदेश
सुप्रीम कोर्ट ने निर्दलीय विधायक अखिल गोगोई को जमानत पर रिहा करने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने कहा है कि जब तक अखिल गोगोई के खिलाफ सुनवाई होगी तब तक वह जमानत पर रहेंगे, लेकिन उन्हें विधानसभा सदस्य को विशेष अदालत द्वारा लगाए गए नियमों और शर्तों का पालन करना होगा। बता दें कि सीएए के खिलाफ हुए विरोध प्रदर्शन के मामले में अखिल गोगोई के खिलाफ गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम), 1967 के तहत मुकदमे का सामना कर रहे हैं। सुनवाई के दौरान अखिल गोगोई के वकील ने कहा कि यह स्पष्ट रूप से राजनीतिक प्रतिशोध का मामला है। हालांकि राष्ट्रीय जांच एजेंसी की ओर से पेश हुईं एडिश्नल सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने इन दलीलों का जोरदार विरोध किया।