ममता बनर्जी ने राजनाथ सिंह से फोन पर की बात, डिप्टी स्पीकर के लिए दिया इनके का नाम का प्रस्ताव

30 जून को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से फोन पर बात की है। संसद स्पीकर और डिप्टी स्पीकर के मुद्दे पर चर्चा करी। ममता बनर्जी ने अयोध्या से नवनिर्वाचित सांसद अवधेश प्रसाद को डिप्टी स्पीकर बनाने का प्रस्ताव दिया।

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Ravi Singh
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लोकसभा स्पीकर को लेकर सत्तापक्ष और विपक्ष में घमासान देखने को मिल रही है। डिप्टी स्पीकर की पोस्ट के लिए भी विपक्षी दलों ने दावेदारी तेज हो गई है। वहीं रविवार 30 जून को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से फोन पर बात की है। संसद स्पीकर और डिप्टी स्पीकर के मुद्दे पर चर्चा करी। ममता बनर्जी ने अयोध्या से नवनिर्वाचित सांसद अवधेश प्रसाद को डिप्टी स्पीकर बनाने का प्रस्ताव दिया।

अवधेश प्रसाद कौन हैं 

फैजाबाद सीट से सांसद बनने से पहले अवधेश प्रसाद अयोध्या जनपद की मिल्कीपुर विधानसभा से सपा के विधायक थे। वह लंबे समय से समाजवादी पार्टी से जुड़े रहे हैं और पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव के काफी करीबी लोगों में इनका भी नाम शमिल है। राजनीति की शुरुआत इन्होंने जनता पार्टी से की थी और 1977 में पहली बार अयोध्या जनपद की सोहावल विधानसभा से चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचे थे। इसके बाद तो अवधेश प्रसाद ने पीछे मुड़कर नहीं देखा 1985, 1989, 1993, 1996, 2002, 2007 और 2012 लगातार विधानसभा चुनाव जीतते रहे। अवधेश प्रसाद ने लोकसभा चुनाव 2024 में 54 हजार 567 वोटों से जीते थे। उनके प्रतिद्वंद्वी और बीजेपी कैंडिडेट लल्लू सिंह चुनाव हार गए थे।

फैजाबाद सांसद पर दांव 

deputy speaker का पद विपक्ष को देने की परंपरा रही है, लेकिन माना जा रहा है कि अवधेश प्रसाद बीजेपी सरकार के लिए एक कठिन प्रस्ताव हैं क्योंकि सपा सांसद ने अयोध्या (फैजाबाद सीट) से जीत हासिल की है। ममता ने एक गैर कांग्रेसी विपक्षी उम्मीदवार का प्रस्ताव रख दिया है।

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लोकसभा स्पीकर का पद सत्तारूढ़ पार्टी या गठबंधन के पास होता है, जबकि deputy speaker का विपक्ष के पास होता है। 1990 से लेकर 2014 तक डिप्टी स्पीकर से 2019 तक ये पद सत्तारूढ़ गठबंधन के पास रहा। जबकि, 2019 से 2024 तक डिप्टी स्पीकर का पद खाली ही रहा था।

डिप्टी स्पीकर के पास क्या अधिकार

स्पीकर की गैरमौजूदगी में डिप्टी स्पीकर ही उनका काम संभालता है। उसके पास स्पीकर के सारे अधिकार होते हैं। अगर स्पीकर इस्तीफा देते हैं तो वह अपना इस्तीफा डिप्टी स्पीकर को ही सौंपते हैं। अगर किसी विषय पर पक्ष और विपक्ष में पड़े वोट बराबर होते हैं तो स्पीकर की तरह डिप्टी स्पीकर का वोट भी निर्णायक होता है। 

कब होगा चुनाव

संविधान के अनुसार नई सरकार को जल्द से जल्द स्पीकर और डिप्टी स्पीकर का चयन कर लेना चाहिए। हालांकि, इसके लिए कोई लिखित समय सीमा नहीं है। इसी वजह से पिछले कार्यकाल में एनडीए सरकार ने डिप्टी स्पीकर का पद खाली छोड़ दिया था। विपक्ष ने इसकी मांग की थी, लेकिन एनडीए इसके लिए सहमत नहीं हुआ। इससे पहले आठ बार सत्ताधारी दल का डिप्टी स्पीकर चुना जा चुका है और 11 बार विपक्ष का डिप्टी स्पीकर रहा है।

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