एक जून की शाम को सभी टीवी चैनलों और यू-ट्यूब चैनलों पर एक्जिट पोल जारी होंगे। इससे यह अनुमान लगता है कि किसकी सरकार बनने वाली है। हालांकि कई बार एग्जिट पोल फेल भी साबित होते हैं, लेकिन कई बार एकदम सटीक भी साबित हो चुके हैं। बात करें 2019 लोकसभा चुनाव के दौरान की तो लगभग सभी एग्जिट पोल ने मोदी सरकारी की वापसी की भविष्यवाणी की थी और परिणाम भी यही आया था।
एग्जिट पोल होते क्या हैं
एग्जिट पोल ( Exit Poll ) एक चुनावी सर्वे है। मतदान के दिन न्यूज चैनल और एग्जिट पोल करने वाली एजेंसियों के प्रतिनिधि मतदान केंद्रों पर मौजूद होते हैं। मतदान करने के बाद मतदाताओं से चुनाव से जुड़े कुछ सवाल पूछते हैं। उनके जवाब के आधार पर एक रिपोर्ट तैयार की जाती है। इस रिपोर्ट के आकलन से पता चलता है कि मतदाताओं का रुझान किस पार्टी की ओर है। खास बात ये है कि एग्जिट पोल सर्वे में सिर्फ मतदाताओं को ही शामिल किया जाता है।
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अंतिम चरण के मतदान के बाद होते हैं एग्जिट पोल
दरअसल चुनाव कार्यक्रम की घोषणा के बाद कोई भी एग्जिट पोल या सर्वे जारी नहीं किया जा सकता है। अंतिम चरण के मतदान के बाद शाम को वोटिंग खत्म होने के आधे घंटे बाद ही एग्जिट पोल जारी किया जाता है। लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम-1951 की धारा 126 ए के तहत अंतिम चरण की वोटिंग खत्म होने के आधे घंटे बाद तक एग्जिट पोल जारी करने पर रोक है। उल्लंघन करने पर दो साल कारावास, जुर्माना या फिर दोनों से दंडित किया जा सकता है।
क्या है जनता के मन में ?
इस बार जनता के मन में क्या है? मध्य प्रदेश की जनता का मन किसके साथ है? यह जानने के लिए एक जून तक का इंतजार करना होगा। इंडिया टुडे एक्सिस मॉय इंडिया, एबीपी न्यूज सी-वोटर समेत सभी प्रमुख न्यूज चैनल सर्वे यानी एग्जिट पोल दिखाएंगे। 1 जून 2024 को शाम 6 बजे अंतिम मतदान होने के बाद उसी दिन शाम 6.30 बजे के बाद से एग्जिट पोल दिखाए जा सकेंगे। निर्वाचन आयोग की ओर से उपलब्ध कराई गई जानकारी के अनुसार, जनप्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की धारा 126 A के तहत 19 अप्रैल सुबह 7 बजे से 1 जून 6.30 बजे तक एग्जिट पोल पर बैन रहेगा।
कब बनी थी गाइड लाइन ?
भारत निर्वाचन आयोग ( Election Commission of India ) ने पहली बार 1998 में एग्जिट पोल की गाइडलाइंस जारी की थी। 2010 में छह राष्ट्रीय और 18 क्षेत्रीय दलों के समर्थन के बाद धारा 126 ए के तहत मतदान के दौरान सिर्फ एग्जिट पोल जारी करने पर रोक लगाई गई थी। हालांकि चुनाव आयोग चाहता था कि ओपिनियन और एग्जिट पोल दोनों पर रोक लगे। बता दें कि ओपिनियन और एग्जिट पोल जारी करते वक्त सर्वे एजेंसी का नाम, कितने मतदाताओं से और क्या सवाल पूछे, यह बताने का भी निर्देश है।
जानें क्या होते हैं ओपिनियन पोल ?
जानकारी के मुताबिक ओपिनियन पोल भी एक चुनावी सर्वे है। मगर इसे चुनाव से पहले किया जाता है। इसमें सभी लोगों को शामिल किया जाता है। हालांकि इसमें मतदाता होने की शर्त अनिवार्य नहीं है। इस सर्वे में विभिन्न मुद्दों के आधार पर क्षेत्रवार जनता के मूड का अनुमान लगाया जाता है। इसके बाद जनता को कौन सी योजना पसंद है या नापसंद है। किस पार्टी से कितना खुश है, इसका अनुमान ओपिनियन पोल से लगाया जाता है।