किस तिथि को मनाएं दिवाली 31 या 1, देश में तिथि को लेकर चल रहा कंफ्यूजन, काशी- मथुरा और अयोध्या के विद्वान एक मत नहीं

इस बार दिवाली की तिथि को लेकर देश में काफी कंफ्यूजन चल रही है। मथुरा, काशी और अयोध्या के विद्वानों का मत एक नहीं है और कोई 31 को तो कोई 1 को दीपावली मनाने की बात कह रहे हैं।

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Madhav Singh
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इस बार दीपों का पर्व दीपावली दो दिन 31 अक्टूबर व 1 नवंबर को मनाई जाएगी। वहीं अयोध्या में दीपावली का त्यौहार 1 नवंबर को मनाने की बात कही जा रही है, जबकि काशी के पंडितों ने कहा कि दीपावली व लक्ष्मी पूजन का शुभ मुहूर्त 31 अक्टूबर को है। वहीं वृंदावन के बांके बिहारी मंदिर, नाथद्वारा के श्रीनाथजी मंदिर, तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम और देवभूमि द्वारका के जगत मंदिर में 31 अक्टूबर को दीपावली मनाने की बात कही गई है। रामेश्वरम्, इस्कॉन व सभी गौड़िय मंदिरों और निम्बार्की मंदिरों में दीपावली एक नवंबर को मनाई जाएगी। इस असमंजस में दोनों तिथियों पर पंडितों, विद्वानों और आचार्यों के अपने-अपने तर्क दिए जा रहे हैं। 

क्या कहता है राष्ट्रीय पंचांग

अगर बात करें देश का राष्ट्रीय पंचांग तैयार करने वाली वैज्ञानिक संस्था पोजिशनल एस्ट्रोनॉमी सेंटर कोलकाता की तो कैलेंडर में दीपावली 31 अक्टूबर को है। 

क्या कहा भोपाल के आचार्यों ने

दीपावली के त्यौहार की तिथि के बारे में भोपाल के पं. विष्णु राजौरिया, पं. भंवरलाल शर्मा और पं. रामनारायण आचार्य का कहना है कि हमारे देश में उज्जैन, मथुरा और काशी प्रमुख धार्मिक केंद्र हैं, वहां जो निर्णय लिया गया है वह यहां भी मान्य होगा।

काशी के विद्वानों ने क्या कहा

कार्तिक की अमावस्या 31 अक्टूबर को दोपहर 3:52 से एक नवंबर शाम 5:13 बजे तक है, इसके बाद प्रतिपदा तिथि शुरू हो जाएगी। मतलब 31 अक्टूबर की शाम से रात्रि व्यापनी अमावस्या लग जाएगी। लक्ष्मी पूजन के लिए प्रदोष काल सबसे उत्तम है और प्रदोष काल सूर्यास्त के बाद दो घंटे 24 मिनट तक रहता है। प्रतिपदा को लक्ष्मी पूजन का विधान नहीं है। काशी के विद्वान इस बात पर एकमत हैं। आचार्य अशोक द्विवेदी अध्यक्ष काशी विद्युत कर्मकांड परिषद।

वृंदावन के पंडितों ने क्या बोला?

इस संबंध में वृंदावन के विद्वानो ने अपना मत रखते हुए कहा कि निम्बार्की और कई वैष्णव संप्रदायों में किसी भी पर्व या त्योहार की तिथि सूर्योदय के हिसाब से तय की जाती है यानी जिस तिथि में सूर्योदय होता है, फिर भले ही दोपहर में वह तिथि समाप्त हो जाए, लेकिन पूरा दिन वही तिथि मनाने की परंपरा है। इसे उदयाव्यापिनी तिथि कहा जाता है। चूंकि एक नवंबर को होने वाले सूर्योदय के समय अमावस्या होगी, इसलिए उसी दिन दीपावली मनाई जाएगी। 31 अक्टूबर को दिवाली नहीं मनानी चाहिए, क्योंकि उस दिन सूर्योदय के समय अमावस्या नहीं है।
वृंदावन बिहारी, वृंदावन के निम्बाकों विद्वान।  

क्या कहते हैं राम मंदिर के पुजारी?  

जिस जगह से देश में दीपावली की शुरुआत हुई उस पावन अयोध्या में स्थित राम मंदिर के मुख्य पुजारी सत्येंद्र दास ने कहा कि अयोध्या में रामलला के गर्भगृह व मुख्य मंदिर में दीपावली 1 नवंबर को ही मनाई जाएगी। वहीं, उज्जैन के ज्योतिर्विद् पंडित आनंदशंकर व्यास कहते हैं कि 31 अक्टूबर को अमावस्या प्रदोष काल तभी दीपावली मनाना सही। 

तिथि को लेकर इंदौर में हुई बैठक

दीपावली की तिथि को लेकर इंदौर सहित अन्य जगहों पर दिवाली कब मनाई जाए, 31 अक्टूबर या फिर 1 नवंबर? इसे लेकर ज्योतिष और विद्वानों में काफी मतभेद हैं। इसी के चलते इंदौर में सोमवार को विद्वानों की बैठक हुई। इसमें अधिकांश विद्वानों की राय थी कि पंचांग के हिसाब से 1 नवंबर को ही दिवाली मनाई जानी चाहिए। 

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