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डॉ. अंबेडकर का योगदान
डॉ. भीमराव अंबेडकर, जिन्हें बाबा साहेब के नाम से जाना जाता है, एक महान अर्थशास्त्री, राजनीतिज्ञ और समाज सुधारक थे। उन्होंने दलितों के अधिकार के लिए अपना जीवन समर्पित किया।
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जन्म और परिवार
डॉ. अंबेडकर का जन्म 14 अप्रैल 1891 को महू में हुआ था। वह अपने माता-पिता के चौदहवें और आखिरी बच्चे थे।
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जातिवाद के खिलाफ संघर्ष
बाबा साहेब ने जातिवाद के खिलाफ संघर्ष करते हुए दलितों और पिछड़े वर्ग के अधिकारों के लिए अपना जीवन समर्पित किया।
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विदेश से डॉक्टरेट की डिग्री पाने वाले पहले भारतीय
डॉ. अंबेडकर पहले भारतीय थे जिन्होंने विदेश से डॉक्टरेट की डिग्री और इकनॉमिक्स में एक डिग्री प्राप्त की। उनके पास कुल 8 डिग्रियां थीं।
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64 विषयों में महारत
डॉ. अंबेडकर ने 64 विषयों में गहरी समझ और मास्टरी हासिल की थी। 2011 में कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी के आंकड़ों के अनुसार यह सबसे ज्यादा था।
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भारतीय संविधान का जनक
डॉ. भीमराव अंबेडकर को भारतीय संविधान का जनक कहा जाता है क्योंकि उन्होंने संविधान तैयार किया और इसे लागू करने में मदद की। उनके संघर्ष और ज्ञान ने भारतीय समाज में न्याय और समानता की नींव रखी।
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काम करने के घंटे घटाए
डॉ. अंबेडकर ने भारतीय श्रमिकों के लिए काम करने के घंटों को 14 से घटाकर 8 घंटे करने की सिफारिश की, जो भारतीय श्रमिकों के हित में एक महत्वपूर्ण कदम था।
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महान विद्वान
डॉ. अंबेडकर एक महान विद्वान और समाजसेवी थे, उनकी बुद्धिमत्ता और संघर्ष उन्हें अद्वितीय बनाते थे।
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जातिविहीन समाज
उन्होंने जातिविहीन और वर्गविहीन समाज बनाने के लिए संघर्ष किया, क्योंकि जातिवाद और वर्ग ने इंसान को दलित बना दिया था।
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सम्मान और मृत्यु
उनकी मृत्यु 6 दिसंबर 1956 को हुई और मरणोपरांत 1990 में उन्हें भारत रत्न से नवाजा गया।