हरियाणा में एग्जिट पोल धराशायी, गलत अनुमान से बढ़ता अविश्वास और तनाव... पढ़िए क्या कहती है साइकोलॉजी

हरियाणा विधानसभा चुनाव में एग्जिट पोल गलत साबित हुए। नतीजों ने सबको चौंका दिया। जब एग्जिट पोल के अनुमान सच्चाई के करीब नहीं होते तो लोगों के दिलो-दिमाग पर इसका क्या असर होता है? इसे समझिए भोपाल के वरिष्ठ मनोचिकित्सक और स्तंभकार डॉ. सत्यकांत त्रिवेदी से...

Advertisment
author-image
Ravi Singh
एडिट
New Update
मध्‍य प्रदेश
Listen to this article
0.75x 1x 1.5x
00:00 / 00:00

BHOPAL : हरियाणा विधानसभा चुनाव में एग्जिट पोल धराशायी हो गए हैं। नतीजों ने सबको चौंका दिया है। एग्जिट पोल के अनुमान सच के करीब नहीं होने पर लोगों के दिलो दिमाग पर क्या असर होता है, यह समझने के लिए द सूत्र ने भोपाल के वरिष्ठ मनोचिकित्सक व स्तंभकार डॉ.सत्यकांत त्रिवेदी से बात की। इसमें उन्होंने बताया कि एग्जिट पोल का समाज पर कितना प्रभाव पड़ता है। उन्होंने चरणबद्ध तरीके से यह समझाया कि कब और कैसे एग्जिट पोल क्या असर डालते हैं।

पढ़िए क्या कहती है साइकोलॉजी...

'द सूत्र' से बातचीत में डॉ.त्रिवेदी ने कहा, लोकसभा चुनाव में एक्जिट पोल के विपरीत नतीजे देखने के बाद आज एग्जिट पोल हरियाणा में भी फेल साबित हुए। दरअसल, एग्जिट पोल चुनाव परिणामों की पूर्वानुमानित तस्वीर बताते हैं, जो अक्सर चुनाव के बाद के कौतूहल को शांत करने के लिए किए जाते हैं। हालांकि, एग्जिट पोल सही साबित हों या गलत, उनका समाज पर गहरा प्रभाव पड़ता है। एग्जिट पोल के परिणाम चाहे सही निकलें या गलत, यह समाज की मानसिक स्थिति, विश्वास और पोलराइजेशन पर प्रभाव डाल सकते हैं।

निराशा और भ्रम की स्थिति

एग्जिट पोल जब बिलकुल ही गलत साबित होते हैं तो लोग अनिश्चितता और मानसिक तनाव का अनुभव करते हैं। एग्जिट पोल जनता को एक परिणाम विशेष की होप देते हैं और जब वास्तविक नतीजे इससे उलट आते हैं तो निराशा और भ्रम पैदा होता है। लोग अपनी अपेक्षाओं के साथ जुड़ जाते हैं और जब ये अपेक्षाएं पूरी नहीं होतीं तो मानसिक असुरक्षा का भाव पैदा होता है। खासकर राजनीति में गहरा इंटरेस्ट रखने वाले लोग इस प्रकार के मनोवैज्ञानिक दबाव से अधिक प्रभावित होते हैं।

सूचनाओं पर बढ़ता अविश्वास

बार-बार गलत एग्जिट पोल आने से लोगों के बीच मीडिया और विशेषज्ञों पर ट्रस्ट इश्यूज विकसित होते हैं। जब लोग चुनाव विश्लेषकों, पत्रकारों और सर्वेक्षण करने वाली संस्थाओं की सटीकता पर संदेह करने लगते हैं तो समाज में सूचनाओं पर अविश्वास बढ़ता है। इससे मानसिक असुरक्षा की भावना उत्पन्न हो सकती है। लोग यह मानने लगते हैं कि उन्हें सही जानकारी नहीं दी जा रही है, जिससे उनके मानसिक संतुलन पर नकारात्मक असर पड़ता है।

राजनीतिक ध्रुवीकरण को बढ़ावा

गलत एग्जिट पोल समाज में राजनीतिक ध्रुवीकरण को बढ़ावा देते हैं। विभिन्न राजनीतिक समूहों को जब अपने पक्ष में झुकाव दिखता है और फिर परिणाम इसके विपरीत आते हैं तो यह वैचारिक संघर्ष को बढ़ावा देता है। ऐसे ध्रुवीकरण से समाज में मानसिक तनाव और अविश्वास बढ़ सकता है। राजनीतिक धारणाओं के प्रति लोग और अधिक कट्टर हो सकते हैं, जिससे उनके मानसिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।

जब एग्जिट पोल गलत साबित होते हैं...

एग्जिट पोल गलत साबित होते हैं तो उनके समर्थकों के लिए बड़ा फ्रेसट्रेटिंग होता है । अगर किसी पार्टी या नेता की जीत की भविष्यवाणी होती है और परिणाम विपरीत आते हैं, तो उनके समर्थकों में निराशा और हताशा का भाव उत्पन्न हो सकता है। इससे मानसिक अवसाद की स्थिति पैदा हो सकती है, खासकर उन लोगों में जो राजनीति से गहराई से जुड़े होते हैं।एग्जिट पोल गलत होने पर राजनीतिक अस्थिरता का भय भी बढ़ जाता है। लोग यह सोचने लगते हैं कि चुनावी प्रक्रिया में कुछ गड़बड़ी हो सकती है, जिससे वे मानसिक रूप से असुरक्षित महसूस करते हैं। इससे समाज में चिंता और मानसिक तनाव का माहौल बन सकता है। कुल मिलाकर एग्जिट पोल के सही या गलत होने से समाज में मानसिक तनाव, ध्रुवीकरण और विश्वास में कमी जैसे प्रभाव दिखाई देते हैं।

thesootr links

द सूत्र की खबरें आपको कैसी लगती हैं? Google my Business पर हमें कमेंट के साथ रिव्यू दें। कमेंट करने के लिए इसी लिंक पर क्लिक करें

CONGRESS BJP Exit Polls Haryana हरियाणा Dr. Satyakant Trivedi exit poll 2024 haryana election Haryana Assembly Election 2024 एग्जिट पोल हरियाणा डॉ.सत्यकांत त्रिवेदी Exit Poll Haryana