होटल में खून की उल्टियां करने लगा परिवार, हादसे में Dry Ice का था रोल

एक रेस्तरां में कुछ लोगों ने भोजन के बाद जो माउथ फ्रेशनर (Mouth Freshner) खाया, वह इनकी जान का दुश्मन बन गया। वे खून की उल्टी करने लगे। पता चला कि उन्होंने माउथ फ्रेशनर के तौर पर ड्राई आइस (Dry Ice) खाई थी

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DRY ICE STORY GURGAON
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डॉ. रामेश्वर दयाल @ NEWDELHI

दिल्ली- एनसीआर की टेक सिटी गुरुग्राम (Gurugram) हमेशा चर्चा में रही है। लेकिन अबकी बार नाम दूसरे कारणों से हो रहा है। असल में यहां के एक रेस्तरां La Forestta Cafe में कुछ लोगों ने भोजन के बाद जो माउथ फ्रेशनर (Mouth Freshner) खाया, वह इनकी जान का दुश्मन बन गया। वे खून की उल्टी करने लगे। घबराया होटल स्टाफ इन पांच लोगों को तुरंत एक अस्पताल लेकर गया। इनमें से दो लोगों की हालत गंभीर है। पुलिस मामले की जांच में जुटी है। 

इसलिए खून की उल्टी करने लगे पीड़ित

डॉक्टरों ने बताया कि किन कारणों से ड्राई आइस जान की दुश्मन बन गई। उनका कहना है कि असल में यह आइस कार्बन डाई ऑक्साइड का ठोस रूप है, जिसका तापमान माइनस 80 होता है, जबकि साधारण बर्फ का तापमान माइनस 2-3 के आसपास होता है। वैसे कार्बन डाईऑकसाइड गैस को शरीर के लिए खतरनाक नहीं माना जाता है, लेकिन यह जब ठोस ओर बेहद ठंडी हो जाती है तो इसको खाने से यह गले और अंदर जाकर चिपक जाती है, जिससे कोशिकाओं का गंभीर नुकसान पहुंच सकता है। इसका परिणाम यह निकलता है कि वहां से खून का रिसाव हो सकता है। इसे सीधे छूएंगे तो इस बात की आशंका है यह चिपक जाए और स्किन को नुकसान पहुंचा दे।  

आज की जरूरत बन गई है ड्राई आइस

डॉक्टर जब इनका इलाज कर रहे थे तो पता चला कि उन्होंने माउथ फ्रेशनर के तौर पर ड्राई आइस (Dry Ice) खाई थी, जो इनके शरीर पर भारी पड़ गई। अब डॉक्टर बता रहे हैं कि किन कारणों से यह आइस खून की उल्टी का सबब बन गई। वैसे आपको बता दें कि ड्राई आइस आज के आधुनिक युग में एक अनिवार्य वस्तु बन चुकी है और बड़े होटल, रेस्तरां और समारोह से लेकर मेडिकल इंडस्ट्री (Medical Industries) में किसी भी सामान को तेजी से ठंडा करने के लिए इसका प्रयोग किया जाता है। जिस भी सामान को ठंडा किया जाता है, उसका प्रयोग करने से कोई नुकसान नहीं है। दूसरी बड़ी बात यह है कि ड्राई आइस पानी नहीं छोड़ती, इसलिए समारोह स्थल साफ- सुथरे नजर आते हैं। 

इस तरह बनाई जाती है यह आइस

बता दें कि ड्राई आइस का प्रचलन तेजी से बढ़ रहा है। बड़े शहरों में आइसक्रीम की जो रेहड़ियां होती हैं, उनमें अब इसी आइस का प्रयोग किया जा रहा है। कारण है कि यह तेजी से ठंडक बनाती है, दूसरे जल्दी पिघलती भी नहीं है। ड्राई आइस बनाने के लिए CO2 को 109 डिग्री फॉरेनाइट पर ठंडा कर कम्प्रेस किया जाता है, जिससे यह गैस बन जाती है। जब यह हवा के संपर्क में आती है तो धीरे-धीरे अपना आकार खोने लगती है। सालों से फोटोशूट और थियेटर में आर्टिफिशियल धुआं बनाने के लिए इसका प्रयोग हो रहा है। इसके ऊपर गर्म पानी डाला जाता है तो यह धुएं में बदल जाती है।

Dry Ice रेस्तरां La Forestta Cafe