सुप्रीम कोर्ट में खुली ED की पोल , सप्लीमेंट्री चार्जशीट का अब नहीं चलेगा खेल

ED द्वारा बार-बार सप्लीमेंट्री चार्जशीट दाखिल कर अवैध खनन से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपी की डेढ़ साल से जमानत का विरोध किया जा रहा था, इस पर कोर्ट ने नाराजगी जाहिर की है। जानिए पूरा मामला...

Advertisment
author-image
Marut raj
New Update
ED exposed in Supreme Court  supplementary chargesheet will no longer be an excuse द सूत्र  the sootr
Listen to this article
0.75x 1x 1.5x
00:00 / 00:00

भोपाल.  प्रवर्तन निदेशालय यानी ईडी ( ED ) द्वारा बार-बार सप्लीमेंट्री चार्जशीट (  supplementary chargesheet  ) दाखिल करने को लेकर सुप्रीम कोर्ट (  Supreme Court ) ने नाराजगी जाहिर की है। कोर्ट ने कहा कि जांच एजेंसी इसलिए ऐसा कर रही है, ताकि मामले में ट्रायल शुरू न हो पाए और आरोपी को जमानत न मिल सके। कोर्ट ने कहा कि इस तरह की प्रैक्टिस गलत है। ऐसा करके किसी आरोपी को अनिश्चितकाल के लिए जेल में नहीं रख सकते।

सिसोदिया का दिया हवाला

अदालत ने दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की कैद का जिक्र किया, जिन्हें फरवरी 2023 में शराब नीति मामले में ED ने गिरफ्तार किया था। जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की बेंच ने यह टिप्पणी झारखंड के अवैध खनन मामले से जुड़े आरोपी प्रेम प्रकाश द्वारा दायर जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए की। प्रकाश पर झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन का सहयोगी होने का आरोप है।

कोर्ट की दो अहम टिप्पणी

1
 जस्टिस खन्ना ने ED की तरफ से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल ( ASG ) एसवी राजू से कहा कि डिफॉल्ट बेल का मकसद है कि जांच पूरी होने तक किसी को गिरफ्तार नहीं किया जाए। आप यह नहीं कह सकते कि जब तक जांच पूरी नहीं हो जाती, तब तक मुकदमा शुरू नहीं होगा। ताकि शख्स को बिना ट्रायल के जेल में रहने के लिए मजबूर होना पड़े।


जस्टिस खन्ना ने आगे कहा कि जब आप किसी आरोपी को गिरफ्तार करते हैं तो मुकदमा शुरू किया जाना चाहिए। कानून के मुताबिक, अगर जांच पूरी नहीं हुई है तो जेल में बंद आरोपी डिफॉल्ट जमानत पाने का हकदार है। नहीं तो आपको फाइनल चार्जशीट CRPC या कोड ऑफ क्रिमिनल प्रोसीजर द्वारा निर्धारित समय सीमा के अंदर दायर करनी चाहिए। यह समय सीमा 90 दिन तक होती है।

18 महीने से जेल के अंदर थे
ED ने पिछले महीने अवैध खनन से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप में प्रेम प्रकाश को गिरफ्तार किया था। प्रकाश को पिछले साल जनवरी में झारखंड हाईकोर्ट ने जमानत देने से इनकार कर दिया था। इसके बाद उन्होंने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था, जिसमें कहा गया है कि उन्होंने 18 महीने जेल में बिताए हैं और फाइनल चार्जशीट दाखिल नहीं हुई है। ऐसे में उन्हें जमानत मिलनी चाहिए। कोर्ट ने प्रेम प्रकाश को एक महीने की अंतरिम जमानत दे दी।

 

Supreme Court सुप्रीम कोर्ट ED ईडी supplementary chargesheet सप्लीमेंट्री चार्जशीट