नई दिल्ली. देश में आए दिन होने वाले रेल हादसों पर अंकुश लगाने के लिए रेलवे ने तैयारी कर ली है। सड़क से संसद तक रेल दुर्घटनाओं का मामला उठने के बाद अब रेलवे ने हादसे रोकने के लिए 1112 करोड़ रुपए से खास प्लानिंग बनाई है। इसे 'कवच' नाम दिया गया है। रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव का कहना है, हमने 'कवच' स्वदेशी रूप से विकसित स्वचालित ट्रेन सुरक्षा ( automatic train protection ) प्रणाली अपनाई है। कवच आधुनिक तकनीक है। इसके जरिए रेल हादसों में कमी लाई जा सकेगी।
कैसे काम करता है कवच ?
रेलमंत्री ने बताया कि कवच लोको पायलट (loco pilot ) द्वारा ब्रेक लगाने में फेल होने की स्थिति में स्वचालित रूप से ब्रेक लगाकर ट्रेन की रफ्तार कम करके रोक सकता है। उन्होंने बताया कि खराब मौसम के दौरान ट्रेन को सुरक्षित रूप से चलाने में भी कवच मदद करता है।
प्रत्येक स्टेशनों में कवच लगाने का लक्ष्य
रेलमंत्री ने बताया कि प्रत्येक स्टेशनों पर कवच लगाने का लक्ष्य रखा है। कवच का कार्यान्वयन साल 2014 के बाद शुरू हुआ। कवच को अब तक 1465 रूट किलोमीटर और दक्षिण मध्य रेलवे पर 144 लोकोमोटिव (locomotive ) पर तैनात किया चुका है। अभी दिल्ली-मुंबई और दिल्ली-हावड़ा कॉरिडोर (लगभग 3000 रूट किमी) पर कवच से संबंधित मुख्य मदों की प्रगति निम्नानुसार है।
ऑप्टिकल फाइबर केबल बिछाना 4275 किमी
दूरसंचार टॉवरों की स्थापना 364 नग
स्टेशनों पर उपकरणों का प्रावधान, 285 नग
लोको में उपकरणों का प्रावधान, 319 लोको
1384 किलोमीटर पर ट्रैक साइड उपकरणों की स्थापना
इतने रेलवे स्टेशनों में लग चुका है कवच
मंत्री ने बताया कि अब तक दक्षिण मध्य रेलवे पर 1 हजार 465 किमी और 144 इंजनों पर कवच की तैनाती की जा चुकी है। इसके अलावा दिल्ली-मुंबई (Delhi-Mumbai ) और दिल्ली-हावड़ा कॉरिडोर ( Delhi-Howrah Corridor ) पर कवच लगाने का काम तेजी के साथ किया जा रहा है। 4 हजार 275 किमी पर ऑप्टिकल फाइबर केबल बिछाई जा चुकी है और 364 टेलीकॉम टावर लगाए जा चुके हैं। रेल मंत्री ने बताया कि 285 स्टेशनों, 319 लोको और 1,384 किमी रेल ट्रैक पर कवच उपकरण लगाए जा चुके हैं।
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