NEW DELHI. गुजरात सरकार ने सोमवार (20 फरवरी) को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान गोधरा कांड के दोषियों को मौत की सजा दिलाने के लिए दमदार पक्ष रखा। जाहिर है, गोधरा कांड के सभी 11 दोषियों को ट्रायल कोर्ट ने फांसी की सजा सुनाई थी, लेकिन गुजरात हाईकोर्ट ने फांसी की सजा को उम्रकैद में बदल दिया था। सुप्रीम कोर्ट गोधरा कांड के कई आरोपियों की जमानत याचिका पर सुनवाई कर रहा है। सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जस्टिस जेबी पारदीवाला की बेंच ने आरोपियों की जमानत पर सुनवाई के लिए तीन हफ्ते बाद का समय दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने दोनो पक्षों के वकीलों से इस दौरान एक चार्च फाइनल करने को कहा है, जिसमें आरोपियों द्वारा जेल में बिताए गए समय और उन्हें दी गई सजा की जानकारी देने के निर्देश दिए गए हैं।
गुजरात सरकार के सॉलिसिटर जनरल ने रखा पक्ष
गुजरात सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट में सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता पेश हुए और बेंच को बताया कि हम गंभीर कोशिश करेंगे कि दोषियों को फांसी की सजा दी जाए। यह दुर्लभतक से दुर्लभ मामाला है, जिसमें 59 लोगों केा जिंदा जला दिया गया था, जिनमें महिलाए और बच्चे भी शामिल थे। घटना में रेल की बोगी को बाहर से बंद कर दिया गया था और बोगी में आग लगा दी थी। जिससे 59 लोगों की मौत हो गई थी।
ये भी पढ़ें...
ट्रायल कोर्ट ने 11 दोषियों को सुनाई थी मौत की सजा
जाहिर है, गुजरात के गोधरा कांड में ट्रायल कोर्ट ने 11 दोषियों को मौत की सजा और 20 अन्य को उम्रकैद की सजा सुनाई थी। ट्रायल कोर्ट के फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई। जिसमें हाईकोर्ट ने 11 आरोपियों की मौत की सजा को उम्रकैद में बदल दिया। गुजरात सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दोषियों को मौत की सजा देने की अपील की है। गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने गोधरा कांड के दो दोषियों को जमानत दे दी है। सात लोगों की और जमानत याचिकाएं अभी पेंडिंग हैं।