भोपाल. लोकसभा चुनाव से ठीक पहले इस्तीफा देकर चुनाव आयुक्त अरुण गोयल ने सभी को चौंका दिया है। इससे पहले भी जब उन्होंने IAS से इस्तीफा दिया था तो सभी को चौंका दिया था, लेकिन इस बार का मामला अलग है। दरअसल, अरुण गोयल जो 1985 बैच के आइएएस अफसर हैं और वह पंजाब की शिरोमणी अकाली दल के काफी करीबी माने जाते हैं। यही वजह है कि पिछली बार उन्होंने आइएएस से इस्तीफा दिया तो उसी दिन उनका इस्तीफा राज्य सरकार ने स्वीकार कर लिया था। उस समय राज्य में शिरोमणी अकाली दल की सरकार थी। उसी दिन उनका इस्तीफा पीएमओ ने भी स्वीकार कर लिया था। यह सब उनकी शिरोमणी अकाली दल के साथ नजदीकियों की वजह से ही हुआ था।
शिरोमणी अकाली दल और बीजेपी में कराई सुलह
शिरोमणी अकाली दल एनडीए में बीजेपी के साथ सहयोगी था। किसान आंदोलन के बाद वह एनडीए से अलग हो गया था। राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि गोयल ने शिरोमणी अकाली दल और बीजेपी के बीच सुलह कराने में अहम भूमिका निभाई है। बीजेपी और शिरोमणी अकाली दल के साथ उनकी नजदीकियों को देखते हुए यह माना जा रहा है कि शिरोमणी आकाली दल या बीजेपी की ओर से उन्हें चुनाव के मैदान में उतारा जा सकता है।
पिछली बार भी गोयल के इस्तीफे ने चौंकाया था
अपनी सेवानिवृत्ति से 40 दिन पहले इस्तीफा देकर सभी को चौंका दिया था। उस समय वह केंद्र में डेपुटेशन पर थे। उनके इस्तीफे को पंजाब व केंद्र सरकार ने एक ही दिन में स्वीकार भी कर लिया था और अगले ही दिन निर्वाचन आयोग का आयुक्त नियुक्त किया गया है। गोयल मूलरूप से पटियाला के रहने वाले हैं।
बीए में रहे टॉपर
अरुण गोयल के पिता पंजाबी यूनिवर्सिटी में गणित के प्रोफेसर रहे हैं। अरुण गोयल शुरू से ही पढ़ाई में काफी तेज रहे। मोदी कालेज पटियाला में वह बीए में टॉपर रहे थे। आइएएस में आने के बाद पंजाब और केंद्र में कई महत्वपूर्ण पदों पर नियुक्त रहे हैं। अरुण गोयल जो 1985 बैच के आइएएस अफसर हैं। गोयल पंजाब की सिरोमणी अकाली दल के काफी करीबी माने जाते हैं।
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