Electoral Bond : लिस्ट से गायब हैं देश की नामी कंपनियां

फ्यूचर गेमिंग ने 1,368 करोड़ रुपए का चंदा दिया है, जबकि मेघा की रकम 966 करोड़ है। क्विक सप्लाई चेन प्राइवेट लिमिटेड का चंदा 410 करोड़ रुपए है। जिन प्रमुख 10 कंपनियों ने मोटा चंदा दिया है, उनमें सबसे कम मदनलाल लिमिटेड का चंदा 185 करोड़ रुपए है।

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Dr Rameshwar Dayal
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New Delhi: इलेक्टोरल बॉन्ड ( electoral bond EXPOSE ) का खुलासा बड़ा ही सरकारी सा है। बड़ी बात यह है कि राजनीतिक पार्टियों ( political parties) को मोटा चंदा देने वाली कंपनियों में कई गुमनाम हैं। देश के लोग मोटा चंदा देने वाली जिन कंपनियों के बारे में कयास लगा रहे थे, वे कंपनियां तो इस लिस्ट से गायब हैं। जिस दो कंपनियों ने सबसे ज्यादा चंदा ( donation) दिया है, वे दक्षिण भारत की हैं। दान देने वाली कंपनियों के नाम काफी चौंकाने वाले हैं। जो जानकारी आई है, वह यह बता रही है कि चंदा लेने के मसले में राजनीतिक पार्टियां ‘हमाम में सब नंगे’ जैसी हैं। 

नामी कंपनी तो दिख ही नहीं रहीं

चुनाव आयोग ने गुरुवार को इलेक्टोरल बॉन्ड से जुड़ी सारी जानकारी अपलोड कर दी है। इसमें बताया गया है कि किन कंपनियों ने सबसे अधिक बॉन्ड खरीदे। इसमें बड़ा नियम यह था कि कंपनी जो भी बॉन्ड खरीदेगी, वह 15 दिन के भीतर कैश हो जानी चाहिए, वरना उसका पैसा प्रधानमंत्री राहत कोष में चला जाएगा। कुछ बॉन्ड कोष तक पहुंच गए है। लेकिन बड़ी बात यह है कि जिन कंपनियों ने सबसे अधिक बॉन्ड खरीदे वह बोलचाल की भाषा में अनाम ही हैं। जिन कंपनियों को लेकर विपक्षी पार्टियां आरोप लगा रही थीं कि उन्हें केंद्र की बीजेपी सरकार का वरद हस्त है और सबसे ज्यादा चंदा उन्होंने ही दिया होगा, वे कंपनियां इस लिस्ट से गायब हैं।

चंदा देने वाली कंपनियों का धंधा

आयोग ने अपनी वेबसाइट पर जो डिटेल डाली है, उसके दो पार्ट हैं। पहले पार्ट में 337 पेज हैं, जिनमें चुनावी बॉन्ड खरीदने वाली कंपनियों और संस्थाओं के नाम, बॉन्ड की रकम और खरीदने की तारीख शामिल है। दूसरी लिस्ट 426 पेज की है, जिनमें यह जानकारी है कि इन बॉन्ड को कैश कर किन राजनीतिक पार्टियों ने कितना चंदा बटोरा, यानि इसमें धनराशि की एकमुश्त जानकारी व बॉन्ड कैश करने की तारीख दी गई है। इनमें सबसे अधिक चंदा फ्यूचर गेमिंग एंड होटल सर्विसेज और दूसरी मेघा इंजीनियरिंग इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड ने दिया है। मजेदार बात यह है कि ये दोनों कंपनियां दक्षिण भारत की हैं और इनके मालिक लॉटरी व निर्माण से जुड़े हुए हैं।

दो बड़ी कंपनियों का दफ्तर साउथ इंडिया में

फ्यूचर गेमिंग ने 1,368 करोड़ रुपये का चंदा दिया है, जबकि मेघा के चंदे की रकम 966 करोड़ रुपये है। क्विक सप्लाई चेन प्राइवेट लिमिटेड का चंदा 410 करोड़ रुपये है। जिन प्रमुख 10 कंपनियों ने मोटा चंदा दिया है, उनमें सबसे कम मदनलाल लिमिटेड का चंदा 185 करोड़ रुपये है। फ्यूचर गेमिंग का मालिक सैंटियागो मार्टिन पुराने वक्त का लॉटरी किंग है और कर्नाटक का निवासी है। उसकी कंपनी के अन्य ऑफिस की जानकारी लुधियाना व सिक्किम में भी बताई गई है। मेघा इंजीनियरिंग का हैडक्वॉर्टर हैदराबाद में है और वह सिंचाई, बिजली प्रबंधन व निर्माण आदि से जुड़ी है। क्विक सप्लाई का ऑफिस नोएडा में  है।

बॉन्ड के चंदे का फन्डा

अब आपको इलेक्टोरल बॉन्ड की मोटी-मोटी जानकारी देते हैं। केंद्र सरकार की इस योजना को स्टेट बैंक ऑफ इंडिया ने साल 2018 में शुरू किया था। उसकी जानकारी के अनुसार 1 अप्रैल 2019 से 15 फरवरी 2024 के बीच 22,217 बॉन्ड खरीदे गए, जबकि कैश कराए गए बॉन्ड की संख्या 22,030 है। इनका तीन मूल्य वर्ग एक लाख, 10 लाख व 1 करोड़ रुपये तय की गई थी।

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