ज्ञानवापी मस्जिद में खंडित मूर्तियां और मंदिर के प्रमाण, अयोध्या मामले की राह पर बढ़ा केस? क्या लिखा है ASI की रिपोर्ट में

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Pooja Kumari
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ज्ञानवापी मस्जिद में खंडित मूर्तियां और मंदिर के प्रमाण, अयोध्या मामले की राह पर बढ़ा केस? क्या लिखा है ASI की रिपोर्ट में

BHOPAL. ज्ञानवापी मस्जिद को लेकर ASI की रिपोर्ट अब सामने आ गई है।जीपीआर सर्वे पर ASI का कहना है कि यहां पर एक बड़ा भव्य हिन्दू मंदिर था और ढांचे यानी मस्जिद के पहले एक बड़ा हिंदू मंदिर मौजूद था। बता दें कि ASI की सर्वे रिपोर्ट में मंदिर होने के 32 से ज्यादा प्रमाण मिलने की बात कही गई है। साथ ही 32 ऐसे शिलालेख भी मिले हैं जो पुराने हिंदू मंदिरों के हैं। ASI की रिपोर्ट के मुताबिक हिंदू मंदिर के खंभों को थोड़ा बहुत बदलकर नए ढांचे के लिए इस्तेमाल किया गया।

सर्वे की रिपोर्ट ने दिलाई अयोध्या फैसले की याद

ASI की मानें तो वर्तमान में जो ढांचा है उसकी पश्चिमी दीवार पहले के समय के हिंदू मंदिरों का हिस्सा है। बताया जा रहा है कि पिलर के नक्काशियों को मिटाने की कोशिश की गई है। हिंदू पक्ष की मानें तो, वह जो दलीलें दे रहा था उसकी तस्दीक ASI के सर्वे में मिले सबूत करते हैं। बता दें कि इस सर्वे रिपोर्ट के कुछ अंश सामने आए हैं, जिन्होंने एक बार दुबारा अयोध्या फैसले की याद दिला दी है। ऐसे में अब हिंदू पक्ष को उम्मीद है कि जिस तरह की कानूनी लड़ाई के बाद अयोध्या का फैसला उसके हक में आया, उसी तरह से अदालती फैसला भी उसके पक्ष में आएगा।

ASI रिपोर्ट का निष्कर्ष

जिन क्षेत्रों का अवलोकन और वैज्ञानिक परीक्षण करने के बाद भारतीय पुरातात्विक सर्वेक्षण (एएसआई) इस निष्कर्ष पर पहुंचा है, कि ज्ञानवापी मस्जिद के निर्माण से पहले वहां एक बड़ा हिंदू मंदिर मौजूद था, वो कुछ इस प्रकार से हैं-

  • मस्जिद से पहले वहां बने मंदिर में बड़ा केंद्रीय कक्ष और उत्तर की ओर छोटा कक्ष था।
  • मौजूदा ढांचे में पहले से मौजूद संरचना का केंद्रीय कक्ष और मुख्य प्रवेश द्वार।
  • मस्जिद का पश्चिमी कक्ष और पश्चिमी दीवार।
  • मस्जिद के निर्माण में मंदिर के खंभों के साथ ही अन्‍य हिस्सों में थोड़ा बहुत बदलाव कर इसे मस्जिद का आकार दिया गया है।
  • मौजूदा ढांचे पर अंकित शिलालेख।
  • पत्थरों पर अरबी और फ़ारसी के शिलालेख।
  • तहखानों में मूर्तिकला के अवशेष।

अभी भी मौजूद हैं मंदिरों के अवशेष

इस सर्वे के रिपोर्ट का कहना है कि मंदिर में पहले एक बड़ा केंद्र था और उत्तर, दक्षिण, पूर्व और पश्चिम में कभी कम से कम एक कक्ष था। साथ ही ये बताया कि वर्तमान में इनमें से तीन कक्षों (उत्तर, दक्षिण और पश्चिम) के अवशेष भी मौजूद हैं, लेकिन पूर्व में स्थित कक्ष के अवशेषों का पता नहीं लगाया जा सका है। जानकारी के मुताबिक वह विशेष क्षेत्र पत्थर के फर्श वाले एक मंच के नीचे ढका हुआ है, जो मंदिर का केंद्रीय कक्ष था वह अब मस्जिद का केंद्रीय कक्ष है। सजाए गए मेहराबों के निचले सिरों पर उकेरी गई जानवरों की आकृतियों को क्षतिग्रस्त कर दिया गया था और गुंबद के अंदरूनी हिस्से को ज्यामितीय डिजाइनों से सजाया गया था। रिपोर्ट की माने तो पश्चिमी कक्ष का पूर्वी आधा भाग अभी भी मौजूद है, जबकि पश्चिम का आधा हिस्सा नष्ट हो चुका है। वहीं पश्चिमी का एक गलियारा उत्तर, दक्षिण कक्षों से जुड़ा हुआ था। पश्चिमी दीवार पहले से मौजूद मंदिर का हिस्सा है।

मंदिरों के खंभों को किया गया है मोडिफाई

बता दें कि मस्जिद के खंभों और पायलटर्स को मोडिफाई किया गया है, जो मूल रूप से हिंदू मंदिर का हिस्सा थे। बताया जाता है कि उनके पुन: उपयोग के लिए उन पर उकेरी गई आकृतियों को क्षतिग्रस्त कर दिया गया और उनकी जगह फूलों के डिज़ाइन लगा दिए गए। मौजूदा और पहले से मौजूद ढांचे से 34 शिलालेख पाए गए थे। इनमें से 32 शिलालेखों की प्रतिकृतियां बनाई गईं। शिलालेख देवनागरी, ग्रंथ, तेलुगु और कन्नड़ लिपियों में पाए गए हैं। साथ ही देवताओं के तीन नाम - जनार्दन, रुद्र और उमेश्वर भी पाए गए। महा-मुक्तिमंडप जैसे शब्दों का उल्लेख तीन शिलालेखों में किया गया है। मस्जिद में शिलालेखों के फिर से किए गए उपयोग से पता चलता है कि मस्जिद के निर्माण में पहले की संरचनाओं को नष्ट कर दिया गया था और इसके हिस्सों का पुन: उपयोग किया गया था।

कब किया गया था मस्जिद का निर्माण

आपको बता दें कि एक पत्थर पर अंकित शिलालेख से ज्ञात होता है कि औरंगजेब के शासनकाल (1676-77) के दौरान मस्जिद का निर्माण किया गया था। शिलालेख में ये भी कहा गया है कि 1792-93 में मस्जिद की मरम्मत की गई थी। ASI ने औरंगजेब की जीवनी का हवाला देते हुए कहा है कि 2 सितंबर, 1669 को औरंगजेब ने कथित तौर पर काशी में विश्वनाथ के मंदिर को ध्वस्त करने का आदेश जारी किया था।

ASI का निष्कर्ष

कला और वास्तुकला के आधार पर, पूर्व-मौजूदा ढांचे को एक हिंदू मंदिर के रूप में पहचाना जा सकता है। ऐसा प्रतीत होता है कि मस्जिद का निर्माण औरंगजेब के शासनकाल के 20वें वर्ष में किया गया था और पहले से मौजूद मंदिर 17वीं शताब्दी में औरंगजेब के शासनकाल के दौरान नष्ट कर दिया गया। पहले से मौजूद मंदिर के एक हिस्से को फिर से बनाया गया था और मस्जिद में पुन: उपयोग किया गया। सन 1991 में लार्ड विश्वेश्वरनाथ का मुकदमा दाखिल करके पहली बार पूजापाठ की अनुमति मांगी गई. इसके बाद 1993 में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने यथास्थिति बनाए रखने का आदेश पारित किया।

Q & A

Q: ज्ञानवापी मस्जिद के बारे में ASI की रिपोर्ट में क्या-क्या कहा गया है?

A: ASI की रिपोर्ट में कहा गया है कि ज्ञानवापी मस्जिद के निर्माण से पहले वहां एक बड़ा हिंदू मंदिर मौजूद था। रिपोर्ट में मंदिर के होने के 32 से ज्यादा प्रमाण मिलने की बात कही गई है। इनमें शामिल हैं:

मंदिर में एक बड़ा केंद्रीय कक्ष और उत्तर की ओर छोटा कक्ष था।

मौजूदा ढांचे में पहले से मौजूद संरचना का केंद्रीय कक्ष और मुख्य प्रवेश द्वार मौजूद है।

मस्जिद का पश्चिमी कक्ष और पश्चिमी दीवार।

मस्जिद के निर्माण में मंदिर के खंभों के साथ ही अन्य हिस्सों में थोड़ा बहुत बदलाव कर इसे मस्जिद का आकार दिया गया है।

मौजूदा ढांचे पर अंकित शिलालेख।

पत्थरों पर अरबी और फ़ारसी के शिलालेख।

तहखानों में मूर्तिकला के अवशेष।

रिपोर्ट में कहा गया है कि मंदिर में पहले एक बड़ा केंद्र था और उत्तर, दक्षिण, पूर्व और पश्चिम में कभी कम से कम एक कक्ष था। वर्तमान में इनमें से तीन कक्षों (उत्तर, दक्षिण और पश्चिम) के अवशेष भी मौजूद हैं, लेकिन पूर्व में स्थित कक्ष के अवशेषों का पता नहीं लगाया जा सका है। रिपोर्ट की माने तो पश्चिमी कक्ष का पूर्वी आधा भाग अभी भी मौजूद है, जबकि पश्चिम का आधा हिस्सा नष्ट हो चुका है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि मस्जिद के खंभों और पायलटर्स को मोडिफाई किया गया है, जो मूल रूप से हिंदू मंदिर का हिस्सा थे। बताया जाता है कि उनके पुन: उपयोग के लिए उन पर उकेरी गई आकृतियों को क्षतिग्रस्त कर दिया गया और उनकी जगह फूलों के डिज़ाइन लगा दिए गए।

रिपोर्ट में कहा गया है कि एक पत्थर पर अंकित शिलालेख से ज्ञात होता है कि औरंगजेब के शासनकाल (1676-77) के दौरान मस्जिद का निर्माण किया गया था। शिलालेख में ये भी कहा गया है कि 1792-93 में मस्जिद की मरम्मत की गई थी।

रिपोर्ट में कहा गया है कि कला और वास्तुकला के आधार पर, पूर्व-मौजूदा ढांचे को एक हिंदू मंदिर के रूप में पहचाना जा सकता है। ऐसा प्रतीत होता है कि मस्जिद का निर्माण औरंगजेब के शासनकाल के 20वें वर्ष में किया गया था और पहले से मौजूद मंदिर 17वीं शताब्दी में औरंगजेब के शासनकाल के दौरान नष्ट कर दिया गया। पहले से मौजूद मंदिर के एक हिस्से को फिर से बनाया गया था और मस्जिद में पुन: उपयोग किया गया।

Q: ASI की रिपोर्ट के बाद क्या होगा?

A: ASI की रिपोर्ट के बाद अब इस मामले में कोर्ट का फैसला होना बाकी है। हिंदू पक्ष का दावा है कि रिपोर्ट से साबित हो गया है कि ज्ञानवापी मस्जिद का निर्माण हिंदू मंदिर को तोड़कर किया गया था। इसलिए, उन्हें मंदिर में पूजा-पाठ करने की अनुमति दी जानी चाहिए। वहीं, मुस्लिम पक्ष का कहना है कि रिपोर्ट में मंदिर होने के कोई ठोस सबूत नहीं मिले हैं। इसलिए, मस्जिद की मौजूदा स्थिति को बरकरार रखा जाना चाहिए।

कोर्ट का फैसला आने में अभी कुछ समय लगेगा। इस बीच, दोनों पक्षों के बीच तनाव बना हुआ है।

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