LUCKNOW. मशहूर शायर मुनव्वर राणा का लंबी बीमारी के चलते निधन हो गया। रविवार देर रात साढ़े 11 बजे के आसपास उन्होंने अंतिम सांस ली। 71 साल के मुनव्वर राणा लंबे समय से बीमार चल रहे थे और उनका काफी दिनों से लखनऊ के पीजीआई अस्पताल के आईसीयू वार्ड में भर्ती थे। प्रसिद्ध शायर पहले से ही गुर्दे की बीमारी, शुगर और ब्लड प्रेशर जैसी पुरानी बीमारियों से पीड़ित थे। अचानक तबीयत खराब होने के बाद गुरुवार तड़के अस्पताल में उन्हें भर्ती कराया गया।
लखनऊ में ली अंतिम सांस
मुनव्वर राणा की बेटी सुमैया ने बीते गुरुवार सुबह करीब साढ़े तीन बजे जारी एक वीडियो में कहा था कि पिछले दो-तीन दिनों से मेरे पिता की तबीयत बिगड़ रही है। डायलिसिस के दौरान उनके पेट में तेज दर्द हुआ, डॉक्टरों ने सीटी स्कैन किया और उनके पित्ताशय में कुछ समस्या पाई, फिर उनका ऑपरेशन किया। उनके पिता को वेंटिलेटर पर रखा गया और उनकी हालत गंभीर है। इसके बाद जब उनकी हालत और खराब होने लगी तो उन्हें पीजीआई में भर्ती कराया गया, जहां रविवार को निधन हो गया।
असहिष्णुता के मुद्दे पर लौटा दिया था पुरस्कार
बता दे कि मुनव्वर राणा का जन्म 26 नवंबर 1952 को उत्तर प्रदेश के रायबरेली में हुआ था, मुनव्वर राना उर्दू साहित्य के बड़े नाम रहे हैं, उन्हें 2014 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से भी नवाजा जा चुका है। वह अक्सर हिंदी और अवधी शब्दों का इस्तेमाल करते थे, जो भारतीय श्रोताओं को काफी पसंद आता था, उनकी सबसे प्रसिद्ध कविता 'मां' है, जो गजल शैली में मां के गुणों का वर्णन करती है। मुनव्वर राणा को साहित्य अकादमी पुरस्कार और माटी रतन सम्मान से सम्मानित किया गया था। असहिष्णुता के मुद्दे पर उन्होंने पुरस्कार लौटा दिया था। साथ ही बढ़ती असहिष्णुता के कारण कभी भी सरकारी पुरस्कार स्वीकार नहीं करने की कसम खाई थी।