एक किसान ने बैलों की एक जोड़ी खरीदने के लिए इतने पैसे खर्च कर दिए, जितने में एक फॉर्च्यूनर कार ( fortuner car ) आसानी से खरीदी जा सकती है। अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि किसान ने ऐसा क्यों किया? दरअसल, यह पूरा मामला कर्नाटक का है। दक्षिणी राज्य के कई इलाकों में बैलगाड़ी दौड़ प्रतियोगिताएं ( Bullock cart race competition ) आयोजित की जाती हैं। लोग इसमें बड़े उत्साह के साथ भाग लेते हैं।
लाखों में बैलों की कीमत
कर्नाटक के जिस किसान ने फॉर्च्यूनर कार ( fortuner car ) जितने महंगे बैलों को खरीदा है, उसका नाम यल्लंगोडा पाटिल बसवेश्वर है, वह जात्रा समिति महालिंगपुर के अध्यक्ष हैं। उन्होंने बैलों को 36 लाख में खरीदा है। इतना महंगे बैलों को खरीदने के बारे में यल्लंगोडा पाटिल ने बताया कि परिवार के सदस्य 50 साल से अधिक समय से बैलगाड़ी दौड़ में भाग लेते आ रहे हैं। इसमें भाग लेना परिवार की परंपरा है। हम दौड़ जीतने के लिए हमेशा मजबूत और शक्तिशाली बैल खरीदते हैं। हमने एक बैल 11 लाख रुपए और दूसरा 14 लाख रुपए में खरीदा है और कई दौड़ में प्रथम पुरस्कार जीता है।
क्या है मकसद?
यल्लनगोड़ा पाटिल ( Yallangoda Patil ) ने आगे बताया कि हमारे बैल हाल ही में एक प्रतियोगिता में तीसरे स्थान पर आए थे, इसलिए हमने नए बैलों की एक जोड़ी खरीदने की योजना बनाई। इस बीच, हमें पता चला कि एक किसान बैलों की एक जोड़ी बेच रहा है, जिन्होंने 100 से अधिक दौड़ में भाग लिया और जीते हैं। हमने उन्हें 36 लाख रुपए में खरीदा। उन्होंने आगे बताया कि अब बैलों को 4 अक्टूबर को मुधोल और 15 अक्टूबर को यादवड़ में दशहरा उत्सव में भाग लेने के लिए तैयार किया जा रहा है।
क्यों महंगे दाम में बेचे जाते हैं बैल?
कर्नाटक के बागलकोट, विजयपुरा, गोकक और क्षेत्र के अन्य जिलों में बैलगाड़ी दौड़ प्रतियोगिताओं होती हैं। इसमें भाग लेने वाले बैलों की कीमत 12 से 14 लाख रुपए के बीच होती है। बैलगाड़ी दौड़, जात्रा (मेलों) और त्यौहारों के अवसर पर गांव के लोगों द्वारा आयोजित लोकप्रिय कार्यक्रमों में से एक है।
इस आयोजन में भाग लेने के लिए किसान बहुत उत्साहित रहते हैं। इसमें भाग लेना और जीतना किसानों के लिए गर्व की बात मानी जाती है। यही कारण है कि बैलों को ऊंचे दामों पर बेचा और खरीदा जाता है।