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BHOPAL. पिता...कभी सख्त तो कभी मोम से नरम, कभी त्याग की प्रतिमूर्ति तो कभी प्रेरणादायी। पिता यानी बरगद का पेड़, जिनकी छांव में हम जीवन की धूप से हमेशा निश्चिंत रहते हैं। पापा के इसी त्याग, समर्पण और प्रेम को फादर्स डे के जरिए सेलिब्रेट किया जाता है। इस दिन को आप अपने पिता के साथ कई तरीके से सेलिब्रेट कर सकते हैं। फादर्स डे जून के तीसरे संडे को मनाया जाता है।
ऐसे शुरू हुआ था फादर्स डे
फादर्स डे को मनाने की शुरुआत अमेरिका में हुई थी। दरअसल 20 वीं शताब्दी की शुरुआत में यूएस की महिला सोनोरा स्मार्ट डोड ने मदर्स डे की तर्ज पर पिता को सम्मानित करने के लिए कोई एक खास दिन रखने पर जोर दिया था। पहली बार 19 जून 1910 को वॉशिंगटन के स्पोकेन में फादर्स डे मनाया गया था। राष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन ने 1972 में जून में तीसरे रविवार को फादर्स डे मनाना तय किया था।
पिता के लिए ग्रंथों में क्या लिखा गया है?
ग्रंथों में लिखा है- पिता को सही मायने में सम्मान और खुश करने के लिए क्या करना चाहिए।
सर्वत्र जयमन्विच्छेत्, पुत्रादिच्छेत् पराभवम्।
पिता चाहते हैं कि उनकी संतान सारे कीर्तिमान तोड़ दे। ऐसे में उन्हें सबसे ज्यादा खुशी तब मिलती है, जब संतान पिता का सिर गर्व से ऊंचा करे। पिता की दी हुई सीख और मार्गदर्शन को जीवन में उतार लिया जाए तो संतान संस्कारी और सफल हो सकती है।
सर्वतीर्थमयी माता सर्वदेवमय: पिता।
मातरं पितरं तस्मात् सर्वयत्नेन पूजयेत्।।
मां सभी तीर्थों जैसी और पिता सम्पूर्ण देवताओं का स्वरूप हैं, इसलिए माता-पिता का पूजन करना चाहिए। जो माता-पिता की प्रदक्षिणा करता है, वह सातों द्वीपों से युक्त पृथ्वी की परिक्रमा कर लेता है।
जानें, आपके पिता कौन से हैं
काम में डूबे रहने वाले पिता
आपने बहुत से ऐसे पिता देखे होंगे जो हमेशा काम में ही डूबे रहते हैं। चाहे वो ऑफिस का काम हो या फिर घर का। ऐसे पिता कभी भी शांत नही बैठते और बच्चों के साथ उनके कार्यों में किसी भी तरह का हाथ नहीं बंटाते। इतना ही नहीं, इस तरह के स्वभाव वाले पिता बच्चों के साथ अगर घूमने भी जाते हैं, उस वक्त भी मोबाइल में ईमेल्स और न्यूज देखने में व्यस्त रहते हैं। इस तरह के स्वभाव वाले पिता के साथ गहरा संबंध स्थापित करना थोड़ा मुश्किल होता है। हालांकि, ये लोग भविष्य और रोजगार संबंधी क्षेत्र में आगे बढ़ने के लिए बेहतरीन सलाह देते हैं।
बच्चे को बड़ा करने में हर तरह से सहयोगी
इस तरह के स्वभाव वाले पिता अपने बच्चों को बेहतरीन जिंदगी के साथ-साथ नैतिक और शिक्षित बनने के लिए हमेशा प्रेरित करते हैं। ऐसे स्वभाव के पिता हमेशा ये निश्चित करते हैं कि उनके बच्चों की परवरिश सही से हो रही है या नहीं। ऐसे पिता बच्चों के लिए रोजमर्रा की जरूरतों कि पूर्ति करने के लिए हमेशा व्यस्त रहते हैं।
बच्चों के साथ एन्जॉय करने वाले पिता
इस तरह के स्वभाव वाले पिता अपने बचपन को अपने बच्चों के जरिए फिर से जीने की चाह और इसी में खुशी लेने में विश्वास रखते हैं। ऐसे पिता नए कामों और चुनौतियों का सामना करने में बिल्कुल नहीं घबराते और बच्चों को सभी चुनौतियां पार करने के लिए प्रेरित भी करते रहते हैं। वे बच्चों के हर फैसले में अपनी सहमति देते हैं और मुमकिन हो तो उस कार्य का हिस्सा बनना भी पसंद करते हैं।
अपने स्वभाव से प्रभावित करने वाले पिता
इस तरह के स्वभाव वाले पिता अपने बच्चों को भावुक भावनाओं को समझने की कोशिश करते हैं। ऐसे पिता बच्चों से बातचीत करके किसी भी मसले को हल करना अहम समझते हैं। साथ ही बच्चों को उनकी बातों को सामने रखने के लिए प्रेरित करते हैं और बच्चों के आत्मविश्वास को बढ़ाने में उनकी मदद करते हैं।
इमोशनल पिता
माना जाता है कि मां अपने बच्चों के लिए काफी भावुक रहती हैं। लेकिन मां ही नहीं, बल्कि जब बात बच्चों की हो तो पिता भी भावुक हो जाते हैं। कई पिता अपने बच्चे की छोटी-छोटी बातों को बढ़ा-चढ़ाकर बताने के लिए उत्सुक रहते हैं। कुछ पिता बच्चों के साथ बिताए हुए हर पल को कैमरे में कैद करना पसंद करते हैं।
पिता हमेशा अपने बच्चों की बेहतर जिंदगी के लिए मेहनत करते हैं। बेशक उनका तरीका अलग-अलग हो सकता है, लेकिन बच्चों के भविष्य के लिए सभी पिता समान रूप से चिंतित और इमोशनल रहते हैं।
भारत के वो पिता, जिनके बच्चों ने अलग मुकाम बनाया
1. जवाहर लाल नेहरू-इंदिरा गांधी
जवाहर लाल नेहरू देश के पहले प्रधानमंत्री थे। जवाहर 1947 में अंतरिम प्रधानमंत्री बनने के बाद 1951 में पहले चुनाव होने के बाद वे देश की पहली चुनी हुई सरकार के प्रमुख बने। नेहरू 1964 तक पीएम रहे। नेहरू भारत में सबसे लंबे समय तक प्रधानमंत्री रहे। नेहरू के बाद उनकी बेटी इंदिरा गांधी भी प्रधानमंत्री बनीं। इंदिरा का नाम भी देश के ताकतवर प्रधानमंत्रियों में शुमार किया जाता है।
2. हरिवंश राय बच्चन-अमिताभ बच्चन
हरिवंश राय बच्चन कवि थे। उन्होंने कैंब्रिज से पीएचडी की थी। हरिवंश जी को मधुशाला के लिए जाना जाता है। उनके बेटे अमिताभ ने पहले रेडियो में नौकरी की, फिर फिल्मों में आए। अमिताभ ने 1969 में पहली फिल्म सात हिंदुस्तानी की, शुरुआती नौ फिल्में फ्लॉप रहीं। 1973 में जंजीर की सफलता ने उन्हें सुपरस्टार बना दिया। जब अमिताभ को काम नहीं मिल रहा था तो उन्होंने पिता से इस पर बात की थी। हरिवंश जी ने कहा था- मन को हो तो अच्छा, ना हो तो और अच्छा।
3. प्रकाश पादुकोण-दीपिका पादुकोण
प्रकाश पादुकोण बैडमिंटन खिलाड़ी थे। ऑल इंग्लैंड चैंपियनशिप जीतने वाले प्रकाश भारत के पहले बैडमिंटन प्लेयर थे। उनकी बेटी दीपिका ने भी स्टेट लेवल तक बैडमिंटन खेला, उसके बाद फिल्मों में एंट्री की। आज वो जानी-मानी एक्ट्रेस हैं।
4. विक्रम साराभाई-मल्लिका साराभाई
विक्रम साराभाई देश के महान साइंटिस्ट्स में से एक थे। भारत के स्पेस प्रोग्राम उनका अहम योगदान था। उन्हें पद्म भूषण और पद्मश्री दोनों सम्मानों से नवाजा गया था। उनकी बेटी मल्लिका साराभाई ने अपने पिता की तरह विज्ञान में करियर नहीं बनाया। मल्लिका क्लासिकल डांसर बनीं, फिल्मों में भी आईं। मल्लिका को भी पद्म भूषण से नवाजा गया।
5. पंडित रविशंकर-अनुष्का शंकर
ग्रैमी अवॉर्ड विजेता सितार वादक पंडित रविशंकर किसी परिचय के मोहताज नहीं। उन्हें दुनिया में क्लासिकल म्यूजिक को लोकप्रिय बनाने का भी श्रेय दिया जाता है। पंडित जी ने अपनी बेटी अनुष्का को भी सितार की बारीकियां सिखाईं। पिता-बेटी ने दुनियाभर में कई परफॉर्मेंस दीं।
6. लाला अमरनाथ-मोहिंदर अमरनाथ
क्रिकेटर लाला अमरनाथ भारत के बेहतरीन ऑलराउंडर माने जाते थे।
लाला और उनके बेटे सुरिंदर ने अपने टेस्ट डेब्यू में सेंचुरी लगाई थी। लाला जी का दूसरा बेटा मोहिंदर अमरनाथ भी देश के बेहतरीन ऑलराउंडर माने जाते हैं। 1983 वर्ल्ड कप के सेमीफाइनल और फाइनल में मोहिंदर के ऑलराउंड परफॉर्मेंस ने भारत को जीत के रास्ते तक पहुंचाया था।
7. ध्यानचंद-अशोक ध्यानचंद
मेजर ध्यानचंद हॉकी के जादूगर कहे जाते हैं। 1936 के बर्लिन ओलंपिक में हिटलर, ध्यानचंद की हॉकी देखकर दंग रह गया था। ध्यानचंद के बेटे अशोक ने भी पिता की तरह हॉकी को जिंदगी बनाया। अशोक ने 1975 में कुआलालंपुर में हुए हॉकी वर्ल्ड कप फाइनल में पाकिस्तान के खिलाफ विजयी गोल दागा था।